IIT का कमाल, प्रोफेसर ने ₹1500 में बना दिया प्रोसेसर; अब चीन-अमेरिका की तर्ज पर करेंगे ये बड़ा काम
IIT Innovation भारत की गिनती सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में दुनिया के दिग्गज देशों में होती है। TCS इन्फोसिस समेत देश की प्रमुख आईटी कंपनियां दुनियाभर में अपनी अच्छी और किफायती आईटी सर्विसेज के लिए जानी जाती हैं। सॉफ्टवेयर में इतनी तरक्की करने के बावजूद कंप्यूटर हार्डवेयर के मामले में भारत पिछड़ा रह गया। लेकिन यह तस्वीर बहुत जल्द बदल सकती है।

IIT Innovation: कुछ माइक्रोचिप्स और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के इस्तेमाल, कुछ महीनों की मेहनत और 1500 रुपए के खर्च से आईआईटी गांधीनगर के प्रोफेसर ने सहयोगियों के साथ मिलकर एक 8 Bit RISC प्रोसेसर का निर्माण कर दिया है। इस प्रोसेसर को थोड़ा और बेहतर बनाकर वीडियो गेम चलाने से लेकर पर्सनल कंप्यूटर के जरिए किए जाने वाले ज्यादातर काम किए जा सकते हैं।
यह कारनामा किया है आईआईटी गांधीनगर के सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग (CCL) ने। आईआईटी गांधीनगर अब देशभर में 10वीं एवं उससे ऊपर की कक्षा के छात्र-छात्राओं को सेमीकंडक्टर एवं कंप्यूटर हार्डवेयर के क्षेत्र में “कर के सीखने” की ट्रेनिंग देना चाहता हैं।
आईआईटी गांधीनगर के प्रोफेसर और सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग के प्रिंसिपल कोऑर्डिनेटर मनीष जैन ने जागरण से बातचीत में कहा कि भारत तकनीकी क्रांति के मुहाने पर खड़ा है। यहां से हमें ऐसे स्किल्ड पेशेवरों की एक फाैज तैयार करनी होगी, जो न केवल उपभोक्ता के रूप में, बल्कि निर्माता के रूप में भी सोच सके। फिलहाल, अधिकांश इंजीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग को करियर के रूप में चुन लेते हैं, क्योंकि हार्डवेयर को बहुत कठिन माना जाता है और इसमें रोजगार के अवसर भी कम हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सभी स्तरों पर हार्डवेयर शिक्षा ज्यादातर सैद्धांतिक रही और इसमें इंजीनियरिंग पर ध्यान केंद्रित करने का अभाव है।
प्रो. जैन ने कहा कि भारत को एआई, बैटरी, ड्रोन आदि जैसे कई क्षेत्रों में नेतृत्व हासिल करने के लिए हार्डवेयर विशेषज्ञों की आवश्यकता है। भारत में सेमीकंडक्टर से संबंधित वर्तमान शिक्षा सैद्धांतिक रूप से तो मजबूत है, लेकिन इसमें व्यावहारिक अनुभव का अभाव है। इस कमी को सेमीकंडक्टर पेडागाजी में बदलाव से ही हासिल किया जा सकता है।
सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजने जा रहा है। ‘प्रोजेक्ट माधव’ नाम के इस प्रस्ताव इसके तहत 10वीं, आईटीआई, पॉलिटेक्निक एवं इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को सेमीकंडक्टर एवं कंप्यूटर हार्डवेयर के बारे में “कर के सीखने” की पद्धति से सिखाया जाएगा। सेंटर को उम्मीद है कि केंद्रीय उच्च शिक्षा विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) या विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से उसे मंजूरी मिल जाएगी।
अमेरिका आज एआई समेत उभरती उच्च तकनीकी में सबसे आगे है, इसकी वजह वहां 1980 के दशक में शुरू किया गया MOSIS कार्यक्रम है। इसने अमेरिका में सेमीकंडक्टर एवं अन्य हार्डवेयर तकनीकी में दक्ष पेशेवरों की फौज खड़ी कर दी थी। इसी तरह, चीन ने भी सेमीकंडक्टर शिक्षा कार्यक्रम चलाया था। आज चीन इन तकनीकी में दुनिया का लीडर है।
सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग का ‘प्रोजेक्ट माधव’ अमेरिका के MOSIS और ben eater से प्रेरित है। यह एक दो वर्ष की योजना है, जिसके तहत पाठ्यक्रम निर्माण, उसका पायलट कार्यान्वयन और शिक्षक प्रशिक्षण किया जाएगा। प्रो. जैन ने कहा कि यह प्रोजेक्ट शक्ति, VEGA और RISC-V आधारित प्रोसेसर जैसी मौजूदा स्वदेशी तकनीकी को मजबूत करेगा।
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