Income Tax: सैलरी का कौन-कौन सा हिस्सा होता है Taxable, जानें क्या कहता है नियम?
सभी टैक्स इनकम टैक्स (Income Tax) फाइल करने लगे हैं ताकि वे अंत में होने वाली टैक्स फाइल की उलझनों से बचा रहें। इनकम टैक्स फाइल करने की अंतिम तारीख सितंबर 2025 है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि आपकी सैलरी का कौन-कौन सा हिस्सा टैक्सेबल होता है।

नई दिल्ली। इनकम टैक्स से जुड़े ऐसे कई तथ्य है, जो हमें फाइल करते समय ध्यान रखने चाहिए। अगर आप इनकम टैक्स फाइल करने जा रहे हैं, तो ये जानना बेहद जरूरी है कि आपकी सैलरी का कौन-कौन सा भाग टैक्सेबल है।
यहां हमने सीटीसी (Cost to Company) में शामिल होने वाले अलग-अलग भाग को लिया है।
Basic Salary- इनकम का ये हिस्सा पूरी तरह से टैक्सेबल होता है।
Dearness Allowance:- महंगाई भत्ता ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को दिया जाता है। ये भी पूरी तरह से टैक्सेबल होता है। इसका मतलब है कि इसमें किसी भी तरह की छूट नहीं होती। महंगाई भत्ता का उद्देश्य बढ़ती महंगाई से कर्मचारियों को छुटकारा देना है।
House Rent Allowance:- ये भत्ता घर का किराया या अलग-अलग शहर में किराया अलग-अलग हो सकता है। इसके हिसाब से ही ये भत्ता दिया जाता है। इसमें आपको एक सीमा तक छूट मिलती है।
Bonus या Commission- अगर आपको कंपनी की ओर से बोनस या कमीशन मिलता है, तो ये भी टैक्स के दायरे में आ जाता है।
Provident Fund:- हर नौकरीपेशा की सैलरी का कुछ भाग पीएफ खाते में जमा होता है। अगर कोई व्यक्ति 12 से अधिक पीएफ में जमा करता है, तो इसे भी टैक्सेबल माना जाता है।
अगर आप आईटीआर फाइल कर रहे हैं, तो ये जानना जरूरी है कि कौन-सा फॉर्म किसके लिए होता है।
- आईटीआर 1- सैलरी
- आईटीआर 2- सैलरी + कैपिटल गेन
- आईटीआर 3- बिजनेस + कैपिटल गेन
- आईटीआर 4- बिजनेस से हुई कमाई
आईटीआर 1 सबसे आसान है, ये वे व्यक्ति भरते हैं जिनकी कमाई केवल सैलरी से हो रही हो। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति जो शेयर बाजार या कहीं और निवेश करते हैं या उनकी कमाई के और सोर्स भी है, उसे आईटीआर 2 में शामिल किया जाता है।
इसी तरह जो सिर्फ बिजनेस से कमाए उन्हें आईटीआर-4 और जो बिजनेस के अलावा अन्य सोर्स से कमाई करते हैं, उनके लिए आईटीआर 4 भरते हैं।
कैपिटल गेन में क्या-क्या होता है शामिल?
बिजनेस और सैलरी के अलावा अन्य सोर्स से होने वाली कमाई कैपिटल गेन में शामिल की जाती है। इनमें शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, रियल एस्टेट और वैल्युएबल चीजें इत्यादि शामिल होती है। वैल्युएबल सामान में वे चीजें शामिल होती है, जो कीमती हो। जैसे सोना-चांदी, कोई महंगी पेंटिंग इत्यादि।
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