इनकम टैक्स और अब GST कटौती से अर्थव्यवस्था को मिलेगा बूस्ट, तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत: वित्त मंत्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी दरों में कटौती और स्लैब में बदलाव से भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। उनका मानना है कि इस बूस्ट से भारत 2025-26 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। उन्होंने नवरात्र से दिसंबर तक खरीदारी में तेजी आने की उम्मीद जताई है। सीतारमण ने कहा कि जीएसटी कटौती से मांग और खपत बढ़ेगी जिससे उत्पादन और रोजगार में वृद्धि होगी।

नई दिल्ली। पहले इनकम टैक्स और फिर 400 से अधिक वस्तुओं की जीएसटी दरों में कटौती एवं स्लैब में बदलाव के फैसले से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश की अर्थव्यवस्था बढ़ोतरी को लेकर काफी सकारात्मक है। उन्होंने दैनिक जागरण को बताया कि इस प्रकार की कटौती से अर्थव्यवस्था को जो बूस्ट मिलेगा, उससे हो सकता है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 के अंत तक ही भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाए।
अभी भारत अर्थव्यवस्था के आकार के लिहाज से दुनिया में चौथा सबसे बड़ा देश है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल के बाद लोगों ने जैसे जबरदस्त खरीदारी की थी, वैसी ही स्थिति इस साल नवरात्र से लेकर दिसंबर तक देखने को मिल सकती है। गत तीन सितंबर को जीएसटी की दरों में होने वाले बदलाव को आगामी 22 सितंबर यानी कि नवरात्र के दिनों से लागू किया जाएगा।
सीतारमण ने बताया कि खाने-पीने की वस्तुओं से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल्स, कपड़े-जूते सभी प्रकार के आइटम की जीएसटी दरों में कटौती की गई है जिससे अर्थव्यवस्था की मांग और खपत में इजाफा होगा और इसका असर उत्पादन और रोजगार पर दिखेगा जिससे पूरे आर्थिक चक्र को गति मिलेगी। निर्यात के मोर्चे पर उन्होंने बताया कि अमेरिका की तरफ से 50 प्रतिशत के टैरिफ के असर का मूल्यांकन किया जा रहा है और सभी प्रभावित सेक्टर को अपने नुकसान का आकलन करने के लिए कहा गया है। उसके बाद ही वित्त मंत्रालय उन्हें किसी प्रकार के पैकेज देने पर विचार करेगा।
कांग्रेस के इस बयान पर कि उनके दबाव में सरकार ने जीएसटी दरों में कटौती की है, वित्त मंत्री ने कहा कि विपक्ष यह समझ नहीं पाता है कि जनता के हित में लिए जाने वाले इस प्रकार के फैसले का वे आलोचना करे या तारीफ। वित्त मंत्री ने साफ कर दिया कि केंद्र अब क्षतिपूर्ति सेस के नाम पर जनता पर कोई अतिरिक्त कर लगाने के पक्ष में कहीं से नहीं है। उनका साफ कहना है कि राजस्व का संग्रह चाहे केंद्र की सरकार हो या राज्य की, जनता के लिए करती है। ऐसे में उसी जनता पर अतिरिक्त टैक्स लगाने का क्या मतलब है। विकसित देशों की तरह वह भारत में भी जीएसटी की एक दर लाने के पक्ष में अभी नहीं है। इसके लिए देश में प्रति व्यक्ति आय का बढ़ना जरूरी है।
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