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    भारत को चाइनीज निवेश के लिए इकोनॉमी खोलनी चाहिए… नीति आयोग के पूर्व वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने ऐसा क्यों कहा

    NITI Aayog के पूर्व वाइस चेयरमैन Rajiv Kumar का कहना है कि चीन एकमात्र पड़ोसी देश है जो भारत के लिए मायने रखता है। वर्ष 2020 में गलवान घटना के बाद भारत ने चीन से निवेश पर अंकुश लगा रखा है। राजीव कुमार का कहना है कि चीन से आयात करने से बेहतर है कि हम चीनी निवेश (Chinese FDI) की अनुमति दें। इससे यहां मैन्युफैक्चरिंग बढ़ेगी और रोजगार मिलेगा।

    By Jagran News Edited By: Sunil Kumar Singh Updated: Thu, 14 Aug 2025 01:22 PM (IST)
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    भारत को चाइनीज निवेश के लिए इकोनॉमी खोलनी चाहिए… नीति आयोग पूर्व वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने ऐसा क्यों कहा

    नीति आयोग (NITI Aayog) के पूर्व वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने भारत में चीनी निवेश पर प्रतिबंध हटाने की बात कही है। उनका कहना है कि इससे घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार भी बढ़ेगा। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि चीन दूसरे देशों में बड़ा निवेशक है और भारत को भी उसके निवेश (Chinese investment boost) की जरूरत है। समय आ गया है कि भारत को चीनी निवेश की अनुमति देने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

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    पिछले कुछ महीने में भारत और चीन ने द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के प्रयास किए हैं। जून 2020 में गलवान घटना के बाद आपसी संबंध काफी तल्ख हो गए थे। राजीव कुमार ने कहा, अब समय आ गया है कि भारत पड़ोसी देशों से निवेश को नियंत्रित करने वाले प्रेस नोट 3 को समाप्त करे। उन्होंने कहा कि चीन एकमात्र पड़ोसी देश है जो हमारे लिए मायने रखता है।

    वर्ष 2020 में जारी प्रेस नोट 3 में सरकार ने भारत की भौगोलिक सीमा से लगते पड़ोसी देशों से विदेशी निवेश के लिए पूर्व मंजूरी अनिवार्य कर दिया था। प्रेस नोट 3 का यह प्रावधान चीन के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल और अफगानिस्तान पर लागू होता है।

    चीन से निवेश आने पर भारत में रोजगार मिलेंगे

    नीति आयोग के पूर्व वाइस चेयरमैन ने कहा कि चीन से निवेश आने पर भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि चीन से आयात करने पर भारत में रोजगार पैदा नहीं होता। आयात से बैकवर्ड लिंकेज नहीं बनते। इसलिए अगर आप मैन्युफैक्चरिंग में चीनी निवेश की इजाजत दें तो वे यहां मैन्युफैक्चरिंग (domestic manufacturing employment) करेंगे, और हो सकता है यहां से वे दूसरे देशों को निर्यात भी करें।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस माह के अंत में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) की सालाना बैठक में भाग लेने जाने की उम्मीद है। ऐसा हुआ तो वे सात वर्षों के बाद चीन जाएंगे। प्रधानमंत्री 29 जून को जापान जाएंगे, उसके बाद एससीओ सम्मेलन में भाग लेने तियानजिन की यात्रा करेंगे। यह शिखर सम्मेलन 31 अगस्त और 1 सितंबर को होना है।

    निर्यात का विविधीकरण कर सकता है भारत

    रूस से कच्चा तेल खरीदने पर अमेरिका की तरफ से 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के सवाल पर राजीव कुमार ने कहा कि हमें ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिससे इसका प्रभाव कम हो सके। उन्होंने कहा कि कुछ अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि इस अतिरिक्त टैरिफ से भारत की जीडीपी 0.25 प्रतिशत से 0.5 प्रतिशत घट सकती है। लेकिन वे इस तथ्य की अनदेखी करते हैं कि भारत अभी तक जो निर्यात अमेरिका को करता था, उसे वह दूसरे देशों को भेज सकता है।

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    अमेरिका से कृषि आयात की भी वकालत

    क्या अमेरिका को भारत के कृषि क्षेत्र में एक्सेस दी जानी चाहिए, यह इस सवाल पर राजीव कुमार ने कहा कि भारत का कोऑपरेटिव और डेयरी सेक्टर अमेरिकी आयात को कड़ी टक्कर दे सकता है। प्रतिस्पर्धा से घरेलू डेयरी सेक्टर में उत्पादकता भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि जेनेटिकली मोडिफाइड आर्गनिज्म (GMO) को छोड़कर मैं कृषि क्षेत्र में अमेरिकी आयात को कुछ एक्सेस देने के खिलाफ नहीं हूं।