'2050 तक सबसे आगे निकल जाएगा भारत', तेल खपत पर ब्रिटिश पेट्रोलियम का बड़ा दावा; यहां चीन से भी तेज है रफ्तार
British Petroleum की नई रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक भारत की तेल खपत सभी देशों से आगे निकल जाएगी और यह अकेले वैश्विक ऊर्जा उपयोग का 12% हिस्सा बन जाएगा। ...और पढ़ें

नई दिल्ली| भारत आने वाले 25 सालों में दुनिया का सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश बन जाएगा। ब्रिटिश पेट्रोलियम (BP) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक भारत की तेल खपत सभी देशों से आगे निकल जाएगी और यह अकेले वैश्विक ऊर्जा उपयोग का 12% हिस्सा बन जाएगा।
बीपी के चीफ इकोनॉमिस्ट स्पेंसर डेल के मुताबिक, भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि इस तेजी की मुख्य वजह होगी। फिलहाल भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता और चौथा सबसे बड़ा एलएनजी (LNG) आयातक है।
रिपोर्ट के अनुसार, देश की तेल की मांग 2023 के 5.4 मिलियन बैरल प्रति दिन से बढ़कर 2050 तक 9.1 मिलियन बैरल प्रति दिन तक पहुंच सकती है। वहीं, नैचुरल गैस की खपत भी 63 अरब क्यूबिक मीटर से बढ़कर 153 अरब क्यूबिक मीटर तक पहुंचने की संभावना है।
भारत, दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता बाजार
स्पेंसर डेल ने कहा कि,
"अगर हम आगे देखें तो भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता ऊर्जा बाजार है। जब हम वैश्विक ऊर्जा की दिशा देखते हैं, तो भारत इस पूरी प्रक्रिया के केंद्र में है।"
रिपोर्ट दो परिदृश्यों पर आधारित है। पहली- 'करंट ट्रेजेक्टरी' और 'बिलो 2 डिग्री'। 'करंट ट्रेजेक्टरी' मौजूदा रफ्तार को दर्शाता है, जबकि दूसरा पेरिस समझौते के लक्ष्य यानी वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के अनुरूप है।
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सोलर एनर्जी और कोयले पर बड़ा अनुमान
बीपी के अनुमानों के मुताबिक, नवीकरणीय ऊर्जा- खासकर सौर और पवन ऊर्जा, की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ेगी। लेकिन कोयले की भूमिका अब भी अहम रहेगी। मौजूदा अनुमान में 2050 तक भारत की ऊर्जा खपत में कोयले की हिस्सेदारी 40% से ज्यादा रहेगी, जबकि 'बिलो 2 डिग्री' परिदृश्य में यह घटकर 16% रह जाएगी। बिजली की हिस्सेदारी भी 2023 के 20% से बढ़कर 2050 में 30-50% के बीच रहने की उम्मीद है। भारत की ऊर्जा खपत की रफ्तार चीन से भी तेज मानी जा रही है।
भारत का घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर फोकस
बीपी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की "500 गीगावॉट गैर-फॉसिल बिजली क्षमता" का लक्ष्य 2030 तक लगभग हासिल हो जाएगा। डेल ने कहा कि बढ़ती जियोपॉलिटिकल चुनौतियों के बीच भारत जैसे आयात-निर्भर देश अब घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं।
हालांकि, 2050 तक भारत की तेल और गैस की मांग लगातार बढ़ती रहेगी, लेकिन अगर तेज़ डीकार्बोनाइजेशन होता है, तो तेल की खपत 2030 के बाद 6.5 मिलियन बैरल प्रति दिन पर स्थिर होकर धीरे-धीरे घट सकती है। भारत की यह बढ़त बताती है कि आने वाले दशकों में वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य का असली केंद्र भारत होगा।

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