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    सरकारी खर्च और निर्यात से भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी, 6.7% वृद्धि का अनुमान

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 09:27 PM (IST)

    रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार सरकारी पूंजीगत व्यय और निर्यात में वृद्धि के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। यह आरबीआई के 6.5 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि निवेश गतिविधियों में तेजी आई है।

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    भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।

     नई दिल्ली। सरकारी पूंजीगत व्यय और निर्यात में वृद्धि के चलते चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। यह एक साल पहले की समान अवधि के 6.5 प्रतिशत से अधिक है। रेटिंग एजेंसी इक्रा का यह अनुमान आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति द्वारा लगाए गए जून तिमाही में 6.5 प्रतिशत के वृद्धि अनुमान से अधिक है।

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    वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधिकारिक आंकड़े 29 अगस्त को जारी किए जाएंगे।इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में निवेश गतिविधियों में सरकारी पूंजीगत व्यय में वृद्धि से तेजी आई है। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव और टैरिफ-संबंधी घटनाक्रमों के कारण बढ़ी अनिश्चितता के बीच यह वृद्धि कम आधार पर हुई है।

    नायर ने कहा, सरकारी पूंजी के साथ-साथ राजस्व व्यय, कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में अग्रिम निर्यात और बेहतर उपभोग के शुरुआती संकेतों से लाभान्वित होकर, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में विस्तार की गति 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितता के चलते अगली तिमाही में वृद्धि दर कम हो सकती है। 

    अगर ऐसा होता है तो चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर छह प्रतिशत पर सीमित रहेगी। सीजीए के आंकड़ों के अनुसार, सरकार का सकल पूंजीगत व्यय जून तिमाही में साल-दर-साल 52 प्रतिशत बढ़कर 2.8 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा, नई परियोजनाओं की घोषणाओं का मूल्य वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के तीन लाख करोड़ रुपये से लगभग दोगुना होकर 5.8 लाख करोड़ रुपये हो गया।

    जीएसटी में बदलाव से कुछ समय के लिए बढ़ सकता है राजकोषीय घाटानई दिल्ली, एएनआइ: एमके रिसर्च के मुताबिक, जीएसटी प्रणाली में प्रस्तावित बदलावों के चलते सरकार के राजकोषीय घाटे में अल्पकालिक वृद्धि हो सकती है। हालांकि, इन बदलावों से विकास को एक गति मिलेगी, जो अस्थायी गिरावट से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 में राजकोषीय घाटा 0.1 प्रतिशत बढ़कर 4.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2027 में 0.2 प्रतिशत बढ़कर 4.6 प्रतिशत हो सकता है। 

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    हालांकि, राजकोषीय घाटे में यह वृद्धि क्षणिक होगी और दो से तीन सालों में यह सामान्य हो जाएगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार के पास जीएसटी में बदलाव को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त संख्याबल है, लेकिन उसे राज्यों को राजी करना होगा, क्योंकि कुछ राज्यों के लिए राजस्व हानि तीन प्रतिशत से 3.5 प्रतिशत की सीमा से ज्यादा हो सकता है।

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का जटिल जीएसटी ढांचा विकास के लिए एक बाधा है और इसे तर्कसंगत बनाने का जोखिम उठाना ठीक होगा। रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि दो स्तरीय जीएसटी संरचना में बदलाव की नीतिगत मंशा एक स्वागत योग्य कदम है, क्योंकि अप्रत्यक्ष कर प्रतिगामी प्रकृति के होते हैं। रिपोर्ट का सकारात्मक पहलू यह है कि इसमें अनुमान लगाया गया है कि अगले वर्ष खुदरा महंगाई में लगभग 50-60 आधार अंक की कमी आ सकती है।