रियल एस्टेट में PE निवेश 15 घटकर 81.9 करोड़ डालर हुआ, पहली छमाही में कुल विदेशी पूंजी की हिस्सेदारी 73% रही
वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण भारतीय रियल एस्टेट में निजी इक्विटी निवेश जुलाई-सितंबर तिमाही में 15% घटकर 81.9 करोड़ डॉलर हो गया। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में भी पीई निवेश में गिरावट दर्ज की गई। आवासीय क्षेत्र में बेहतर बिक्री से डेवलपर्स को कुछ राहत मिली है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थिति स्पष्ट होने पर पीई फंड प्रवाह में तेजी आ सकती है।

नई दिल्ली। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच जुलाई-सितंबर में भारतीय रियल एस्टेट में निजी इक्विटी निवेश 15 प्रतिशत घटकर 81.9 करोड़ डालर रह गया। एक साल पहले इसी अवधि में निजी इक्विटी (पीई) प्रवाह 96.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर था।
संपत्ति सलाहकार एनाराक की शाखा एनाराक कैपिटल के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान, पीई निवेश पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 2.6 अरब डालर से 15 प्रतिशत घटकर 2.2 अरब डालर रह गया। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान कुल निवेश में विदेशी पूंजी की हिस्सेदारी 73 प्रतिशत रही।
एनाराक कैपिटल के सीईओ शोभित अग्रवाल ने कहा, वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में मजबूत सौदों ने उम्मीद की एक किरण दिखाई थी, लेकिन दूसरी तिमाही में गतिविधियां फिर से धीमी पड़ गईं। पूरे वर्ष के आधार पर देखा जाए तो पीई गतिविधि वित्त वर्ष 2020-21 के 6.4 अरब डालर के उच्चस्तर से घटकर वित्त वर्ष 25 में 3.7 अरब डालर रह गई है।
उन्होंने बताया कि आवासीय क्षेत्र में रियल एस्टेट की बिक्री की मात्रा अधिक है और इसलिए डेवलपर्स के नकदी प्रवाह में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। अग्रवाल ने कहा, वैश्विक अनिश्चितता के चलते वैश्विक निवेश प्रवाह में गिरावट आई है। हम इसे एक अस्थायी घटना मानते हैं, क्योंकि भारत एक विकासशील बाजार बना हुआ है और उन कुछ देशों में से एक है जहां निवेश बढ़ सकता है। एक बार स्थिति साफ होने पर पीई फंड प्रवाह में तेजी आ सकती है।
इस वित्त वर्ष के पहले छह महीनों के दौरान, औद्योगिक और लाजिस्टिक्स क्षेत्र में कोई पीई निवेश नहीं हुआ, जबकि खुदरा, मिश्रित उपयोग और वाणिज्यिक परिसंपत्ति वर्गों ने मजबूत उपस्थिति दर्ज की।
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