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    भारत को टैरिफ से घरेलू बाजार का बड़ा आकार देगा सुरक्षा, सीधा प्रभाव होगा सीमित

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 09:09 PM (IST)

    अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के बावजूद भारत के घरेलू बाजार का बड़ा आकार उसे बचाने में मदद करेगा। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार भारत का वस्तु निर्यात-जीडीपी अनुपात कम है और बाहरी मांग पर निर्भरता कम है। रेटिंग एजेंसी फिच का मानना है कि टैरिफ के बावजूद वित्त वर्ष 2026 में अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर बनाए रखेगी।

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    घरेलू बाजार का बड़ा आकार भारत की टैरिफ वृद्धि से करेगा बचाव

    आइएएनएस, नई दिल्ली। ट्रंप ने भले ही भारत पर टैरिफ का एलान कर दिया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। मार्गन स्टेनली की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि ट्रंप द्वारा शुल्क बढ़ाने की धमकी से उत्पन्न वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत एशिया में सबसे बेहतर स्थिति वाला देश है।

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    इसकी वजह यह है कि उसका वस्तु निर्यात-जीडीपी अनुपात कम है। फिच की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के घरेलू बाजार का बड़ा आकार उसकी बाहरी मांग पर निर्भरता को कम करता है और यह देश को अमेरिकी शुल्क वृद्धि से बचाएगा।

    अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा था कि अगर अमेरिका भारत पर किसी तरह का टैरिफ लगाता है तब भी वित्त वर्ष 2026 में अर्थव्यवस्था के 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर बनाए रखने की उम्मीद है। एसबीआई रिसर्च की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को भारत का निर्यात उसके सकल घरेलू उत्पाद का केवल चार प्रतिशत है, इसलिए भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ में वृद्धि का सीधा प्रभाव केवल सीमित होगा।

    वित्त वर्ष 2023 से अमेरिका को भारत का निर्यात घट रहा है और कुल निर्यात में इसकी हिस्सेदारी लगभग 17-18 प्रतिशत है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका को निर्यात की जाने वाली शीर्ष 15 वस्तुओं का कुल निर्यात में 63 प्रतिशत हिस्सा है।

    झींगा निर्यात पर पड़ेगा 'गंभीर' असर

    कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने कहा है कि अमेरिका के 25 प्रतिशत के ऊंचे शुल्क और जुर्माने से भारत के समुद्री खाद्य निर्यात, विशेष रूप से झींगा मछली के निर्यात पर 'गंभीर' असर पड़ेगा। गुलाटी ने कहा कि ट्रंप का सभी भारतीय वस्तुओं पर ऊंचा शुल्क लगाने का फैसला 'बहुत बुरा' और 'चौंकाने वाला' है। उन्होंने कहा कि उन्हें केवल 10-15 प्रतिशत शुल्क की उम्मीद थी। उन्होंने बताया, 'यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि ट्रंप अप्रत्याशित और दंडात्मक रुख वाले हैं।'

    गुलाटी ने कहा कि इस कदम से देश के झींगा निर्यात पर 'गंभीर' असर पड़ेगा तथा कम शुल्क और अमेरिका से करीबी भौगोलिक नजदीकी रखने वाले इक्वाडोर को फायदा होगा। झींगा निर्यात के अलावा, भारत के वस्त्र उद्योग पर उच्च अमेरिकी शुल्क का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा, 'भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते से हमें जो बड़ा लाभ मिलता है, वह उच्च अमेरिकी शुल्क के कारण बेअसर हो जाएगा।'

    वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का झींगा निर्यात लगभग 4.88 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो कुल समुद्री खाद्य निर्यात का 66 प्रतिशत है। अमेरिका और चीन भारतीय झींगा के लिए शीर्ष बाजार बने हुए हैं, जहां कच्चे झींगा की किस्मों के निर्यात का लगभग आधा हिस्सा अमेरिका को जाता है।