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    विदेश से दाल खरीदने की बजाय देश में ही दलहन में आत्मनिर्भरता बढ़ाएगी सरकार, 7 लाख हेक्टेयर बढ़ा रकबा

    Updated: Thu, 13 Mar 2025 09:45 PM (IST)

    दाल में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं। दाल में आत्मनिर्भरता अभियान को ग्रीष्मकालीन उपज गति देगी। सरकार ने विदेश से दाल आयात करने की बजाय देश में ही उपज बढ़ाने के उपायों पर काम शुरू कर दिया है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार 7 लाख हेक्टेयर बुवाई का रकबा बढ़ गया है। सरकार का लक्ष्य 5 साल में दाल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।

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    सरकार ने दाल आयात करने की बजाय देश में ही उपज बढ़ाने के उपायों पर काम शुरू कर दिया है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए दशकों से दालों का आयात करते आ रही केंद्र सरकार अगले पांच वर्षों के भीतर दलहन में आत्मनिर्भरता के लिए प्रयासरत है। अपने उत्पादन की मात्रा के एक चौथाई दलहन का प्रत्येक वर्ष आयात करने वाले देश के लिए यह लक्ष्य आसान भी नहीं है।

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    फिर भी रबी एवं खरीफ दाल से अलग जायद (ग्रीष्मकालीन) दलहन की फसलों के रकबे में तेजी से हो रही वृद्धि उम्मीद जगा रही है। यह वृद्धि उस स्थिति में है जब कई राज्यों में जलाशयों का स्तर कम है। दूसरी ओर बफर स्टाक को भी समृद्ध करने का प्रयास जारी है। देश में ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा लगभग 72 लाख हेक्टेयर है। मार्च मध्य तक 40 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है।

    पिछले वर्ष 33 लाख हेक्टेयर में हुई थी दलहन की बुवाई

    पिछले वर्ष इसी अवधि में लगभग 33 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुवाई हुई थी। इस बार मध्य मार्च में ही दलहन का रकबा दोगुना से भी अधिक हो गया है, जबकि ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई मई तक चलती है। पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान दलहन का रकबा 2.05 लाख हेक्टेयर था।

    मूंग और उड़द की बुवाई में तेजी

    इस बार मूंग एवं उड़द की बुवाई में तेज वृद्धि देखी जा रही है। मूंग की बुवाई 1.34 लाख हेक्टेयर से 168 प्रतिशत बढ़कर 3.58 लाख हेक्टेयर हो गई है, जबकि उड़द की बुवाई 63 हजार हेक्टेयर से 106 प्रतिशत बढ़कर 1.3 लाख हेक्टेयर हो गई है। मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश एवं गुजरात में ग्रीष्मकालीन दलहन की खेती ज्यादा होती है।

    बफर स्टाक को भी समृद्ध करेगी सरकार

    आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए दोतरफा प्रयास है। पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ बफर स्टाक को भी समृद्ध करना है, जो खाली होने की स्थिति में है। दलहन की खेती के लिए किसानों को प्रेरित और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार अगले चार वर्षों तक तुअर, मसूर एवं उड़द की सारी उपज की खरीदारी करेगी। इस बार के बजट में भी इसका प्रविधान किया गया है।

    कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने दी मंजूरी

    कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बफर स्टाक के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तुअर 13.22 लाख टन, मसूर 9.40 लाख टन एवं उड़द 1.35 लाख टन खरीदारी को मंजूरी दी है। छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक में अरहर की खेती ज्यादा होती है। खरीदारी शुरू हो चुकी है।

    90 हजार किसानों से 1.31 लाख टन अरहर की खरीदी

    अभी तक 90 हजार किसानों से 1.31 लाख टन अरहर की खरीद की गई है। अन्य राज्यों में भी जल्द शुरू होगी। तुअर की खरीद नैफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के संयुक्त पोर्टल पर पूर्व-पंजीकृत किसानों से की जाती है।