Israel Iran war effect: ईरान से एक बूंद तेल नहीं लेता भारत, फिर भी ये युद्ध कर सकता है बड़ा नुकसान; जानिए कैसे?
Israel Iran War Effect इजरायल और ईरान के बीच शुरू हुए युद्ध ने भारत समेत पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। ईरान भारत का पुराना सहयोगी रहा है और इजरायल से भी भारत की अच्छी दोस्ती है। हालांकि भारत ने ईरान से कच्चा तेल खरीदना पूरी तरह बंद कर दिया है। इसके बावजूद यह युद्ध भारत की इकोनॉमी के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है।

नई दिल्ली। इजरायल और ईरान के बीच शुरू हुए युद्ध (Israel Iran War) ने मिडिल ईस्ट को फिर से अशांत बना दिया है। यह इलाका पूरी दुनिया को कच्चे तेल की सप्लाई करता है। यहां बढ़ा तनाव कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के साथ पूरी दुनिया की जेब ढीली कर देता है। भारत कुछ साल पहले तक ईरान से भारी मात्रा में कच्चा तेल आयात करता था, लेकिन फिलहाल भारत का ईरान से क्रूड इंपोर्ट जीराे है। हालांकि, इसके बाद भी ये युद्ध भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की ग्रोथ पर बुरा असर डाल सकता है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा कहती हैं, ईरान हर साल तकरीब 3.3mbpd कच्चे तेल का उत्पादन करता है, जो कि वैश्विक उत्पादन का करीब 3% है। वहीं, ईरान लगभग 1.5mbpd कच्चा तेल निर्यात करता है, जिसमें 80 फीसदी आयात अकेले चीन करता है, बाकी तुर्की आदि देश को जाता है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के कमोडिटी रिसर्च हेड नवनीत दमानी ने कहा कि इजराइल द्वारा ईरान पर किए गए हवाई हमलों ने आपूर्ति में बाधा की आशंका बढ़ा दी है। इससे कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ गई है।
कच्चे तेल की कीमतें पहले ही 10% बढ़ चुकी हैं। अगर ईरान ने जवाबी कार्रवाई की, तो कीमतों में 8-9% की और तेजी आ सकती है। इससे भी बड़ी चिंता यह है कि यह स्थिति एक बड़े क्षेत्रीय संकट में बदल सकती है, जिसका वैश्विक तेल आपूर्ति पर गंभीर असर पड़ेगा।
दमानी ने कहा कि सबसे खराब स्थिति वह होगी, जिसमें होर्मुज जलडमरूमध्य बंद हो जाए। क्योंकि इससे गुजर कर ही रोजाना 20 मिलियन बैरल तेल पश्चिमी देशों को जाता है।
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अरोड़ा ने कहा कि भारत भले ही ईरान से तेल आयात न करता हो, लेकिन वह तेल की आपूर्ति के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है। इजरायल के शुक्रवार सुबह ईरान पर हमला करते ही कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल आया और ब्रेंट 78 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। ईरान होर्मुज की खाड़ी के उत्तरी किनारे पर है, जिसके माध्यम से सऊदी, यूएई आदि के साथ 20mbpd+ तेल व्यापार होता है। ईरान ने पुरानी झड़पों में इसे रोकने की चेतावनी दी है। संघर्ष बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल आ सकता है।
जीडीपी ग्रोथ इतनी हो सकती है कम
कच्चे तेल के दाम का जीडीपी की ग्रोथ रेट पर भी असर पड़ता है। तेल में हर $10/बैरल की वृद्धि से खुदरा महंगाई की दर में 35 आधार अंकों की बढ़ोतरी हो जाती है। अरोड़ा ने कहा कि, हमने वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की विकास दर 6% रहने का अनुमान जताया है। यह अनुमान ब्रेंट क्रूड के 70 डॉलर प्रति बैरल रहने पर है। यदि क्रूड 80 डॉलर पर पहुंचा तो जीडीपी ग्रोथ में 16 से 20 आधार अंकों की कमी आ सकती है।
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