Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जरूरी खबरः Income Tax विभाग ने ITR Filing के इन नियमों में किया बदलाव; एक्सपर्ट्स से जानिए डिटेल्स

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 09:16 AM (IST)

    ITR Filing की अंतिम तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर सितंबर तक कर दी है। अब इनकम टैक्स (Income Tax Rules) ने ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत आईटीआर फाइलिंग को लेकर नियमों में बदलाव किया है। टैक्सपेयर्स को अब टैक्स बेनिफिट पाने के लिए ज्यादा जानकारी देनी होगी। इस बारे में आइए CA सिद्धार्थ केजरीवाल और CA विकास अग्रवाल से जानते हैं।

    Hero Image
    पुराने टैक्स रिजीम से ITR फाइलिंग हुई मुश्किल, देने होंगे ज्यादा डिटेल्स!

    नई दिल्ली। आईटीआर फाइलिंग को लेकर टैक्सपेयर्स के पास ओल्ड टैक्स रिजीम और नई टैक्स रिजीम दोनों का ही विकल्प मौजूद है। लेकिन ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत अब आईटीआर फाइल करना मुश्किल हो सकता है। हाल ही में इनकम टैक्स विभाग ने ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत टैक्स फाइलिंग से जुड़े नियमों में बदलाव किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इन बदलावों के बारे में हमें CA सिद्धार्थ केजरीवाल और CA विकास अग्रवाल ने डिटेल में बताया है।

    क्या हैं बदलाव?

    वे टैक्सपेयर्स जो ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत आईटीआर फाइल करना चाहते हैं, उन्हें अब अलग-अलग सेक्शन का लाभ पाने के लिए ज्यादा डिटेल और डॉक्यूमेंट देने की जरूरत पड़ेगी। इनकम टैक्स द्वारा ये बदलाव खास तौर पर सेक्शन 80सी, सेक्शन 80डी, HRA, 80EE, 80EEB इत्यादि में किए गए हैं।

    Section 80C (सेक्शन 80सी)

    अगर कोई भी टैक्सपेयर्स सेक्शन 80सी के तहत पीपीएफ, ईपीएफ, एनएससी, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम इत्यादि टैक्स सेविंग लाभ पाना चाहता है, तो उसे ज्यादा डिटेल्स देनी होगी। इनमें रिसीप्ट नंबर, पॉलिसी या डॉक्यूमेंटेशन आईडी, अकाउंट डिटेल्स, भुगतान करने वाले का नाम जैसी डिटेल शामिल हैं।

    Section 80D (सेक्शन 80डी)

    अगर कोई व्यक्ति सेक्शन 80डी के तहत इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन क्लेम करना चाहता है। उसे भी अब ज्यादा डिटेल्स देनी होगाी। जैसे इंश्योरेंस लेने वाले का नाम, पॉलिसी या रिसीप्ट नंबर, प्रीमियम पेमेंट को लेकर कोई प्रूफ और अगर किसी और के लिए इंश्योरेंस लिया है, तो उसके क्या संबंध है।

    House Rent Allowance (एचआरए)

    सेक्शन 10(13A) के तहत अगर कोई व्यक्ति किराया भरने को लेकर टैक्स क्लेम करता है, उसे भी कई जानकारी देनी होगी। जैसे कहां काम करते हैं, एचआरए कितना रिसीव हो रहा है, कितना किराया भरा जा रहा है (रेंट रिसिप्ट और मकान मालिक का नाम, पैन नंबर (अगर रेंट 1 लाख से ज्यादा है)

    Section 80E/EEB (सेक्शन 80ई/ईईबी )

    सेक्शन 80ई/ईई का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब बच्चे, पति या पत्नी और खुद के लिए होम लोन या एजुकेशन लोन लिया गया हो। इस लोन के ब्याज पर टैक्स सेविंग क्लेम करने के लिए इस सेक्शन का उपयोग किया जाता है। अब इसके लिए टैक्सपेयर्स को लोन अकाउंट नंबर, इंटरेस्ट पेमेंट सर्टिफिकेट और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का नाम, और जिसके के लोन लिया हो, उसका नाम बताना पड़ेगा।

    सेक्शन 80ईईबी के तहत अगर आपने कार या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान के लिए लोन लिया है, तो उसके ब्याज पर टैक्स सेविंग क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए लोन अकाउंट नंबर, इंटरेस्ट पेमेंट सर्टिफिकेट और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन का नाम, और जिसके के लोन लिया हो, उसका नाम बताना होगा।