30 लाख से शुरुआत, अब 4 लाख करोड़ का बैंकिंग कारोबार, दोस्त आनंद महिंद्रा की मदद से ऐसे चमकी उदय कोटक की किस्मत
देश के चौथे सबसे बड़े बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक की शुरुआत 40 साल पहले महज 30 लाख रुपये की पूंजी के साथ हुई थी। उस वक्त यह एक एनबीएफसी कंपनी हुआ करती थी ...और पढ़ें
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कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर, उदय कोटक
नई दिल्ली। देश में बाजार पूंजीकरण के लिहाज से प्राइवेट बैंक, सरकारी बैंक से काफी आगे हैं। अगर भारत के टॉप 10 बैंकों की बात की जाए तो मार्केट कैप के लिहाज से पहले और दूसरे पायदान पर HDFC व ICICI बैंक है। इसी लिस्ट में एसबीआई के बाद चौथे नंबर पर आता है कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank), जिसकी शुरुआत आज से 40 साल पहले हुई थी। लेकिन, इस प्राइवेट बैंक 4 दशक में बड़ी उपलब्धि हासिल की और यह बाजार पूंजीकरण के लिहाज से सबसे बड़े बैंकों की लिस्ट में दूसरे और तीसरे नंबर पर भी रहा। आपको जानकार हैरानी होगी कि इस बैंक की शुरुआत महज 30 लाख रुपये की जमा पूंजी के साथ हुई थी।
21 नवंबर को कोटक महिंद्रा बैंक ने अपनी स्थापना के 40 साल पूरे किए। 21 नवंबर 1985 को यह बैंक कोटक कैपिटल मैनेजमेंट फाइनेंस लिमिटेड के तौर पर शुरू हुआ था। 1986 में जब दिग्गज उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इस कंपनी में इन्वेस्टमेंट किया तो इसका नाम बदलकर कोटक महिंद्रा फाइनेंस कर दिया गया। साल 2003 में इस NBFC कंपनी को बैंकिंग लाइसेंस मिल गया और ये बन गया कोटक महिंद्रा बैंक। इस बैंक की स्थापना के सूत्रधार रहे उदय कोटक, जिन्होंने महज 26 साल की उम्र में भारत के फाइनेंशियल मार्केट में कदम रखा और अपनी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया।
कैसे हुई कोटक बैंक की शुरुआत
एक इंटरव्यू में कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर और पूर्व एमडी व सीईओ, उदय कोटक ने बताया कि इस बैंक की शुरुआत मैंने और मेरे दोस्तों ने मिलकर कुल ₹30 लाख की पूंजी के साथ की। मैंने पैसे उधार लिए और ₹13.5 लाख लगाए। वहीं, आनंद महिंद्रा ने ₹4.5 लाख लगाए, बाकी पैसे दोस्तों ने दिए। यही हमारी शुरुआती पूंजी थी। उन्होंने कहा कि आनंद महिंद्रा हमारे पहले वेंचर कैपिटलिस्ट बने थे।
40 years ago today, I started a company with ₹30 lakh capital, in a 300 sq ft office in Fort, Mumbai. Today that company, which I ran for 38 years, is Kotak Mahindra Bank. As this Indian institution navigates changing times, may it prosper. Happy Birthday…tum jiyo hazaaro saal. pic.twitter.com/NYnZgPH3lb
— Uday Kotak (@udaykotak) November 21, 2025
दरअसल, कोटक कैपिटल मैनेजमेंट की शुरुआत के बाद उदय कोटक की मुलाकात आनंद महिंद्रा से हुई, जो उस समय हार्वर्ड से पढ़कर लौटे थे। इस दौरान उदय कोटक ने एक वित्तपोषण योजना पेश की जिससे महिंद्रा के आपूर्तिकर्ताओं को कम दरों पर तत्काल नकदी मिल सके। इस मॉडल ने आनंद महिंद्रा को प्रभावित किया और जल्द ही वे कंपनी के पहले बाहरी निवेशक बन गए।
कैसे आया बैंक शुरू करने का आइडिया
उदय कोटक बताते हैं कि 1985 में भारत में अत्यधिक विनियमित वित्तीय प्रणाली थी और उस दौर में बैंकिंग बिजनेस 97% सरकारी स्वामित्व वाला था। उस वक्त ब्याज दरों में बड़ी असमानता थी बैंक से कर्ज लेने वालों को 17% इंटरेस्ट देना पड़ता था जबकि जमाकर्ताओं को सिर्फ़ 6% ब्याज मिलता था। ऐसे में छोटे और मध्यम आकार के बिजनेस वेंचर्स को इतनी ऊंची दरों पर धन जुटाने में कठिनाई होती थी। कोटक ने इस परेशानी को समझा और इसी वजह से फाइनेंशिल कारोबार में कदम रखा।
कम ब्याज पर लोन
उदय कोटक की फर्म कोटक कैपिटल ने छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों को 16% इंटरेस्ट रेट पर लोन देना शुरू किया और ग्राहकों को बचत योजनाओं पर 12% रिटर्न ऑफर किया। ब्याज की इन दरों से कंपनी और ग्राहकों, दोनों को फायदा हुआ और हमारे फाइनेंशियल कारोबार को गति मिली।
30 लाख से 4 लाख करोड़ का कारोबार
भारत के फाइनेंशियल मार्केट की ताकत को 40 साल पहले पहचानने का नतीजा यह हुआ कि आज की तारीख में कोटक महिंद्रा बैंक, भारत का चौथा बड़ा बैंक बन गया है, जिसका मार्केट कैप 427581 करोड़ रुपये है।

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