National Mango Day: मुकेश अंबानी ने यहां बनाया है एशिया का सबसे बड़ा आम का बगीचा, करते हैं करोड़ों की कमाई
आज नेशनल मैंगो डे (National Mango Day 2025) पर जानिए कैसे मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani ) के आम के बगीचे ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को सबसे बड़ा आम निर्यातक बना दिया। 1997 में जामनगर रिफाइनरी में पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करते हुए रिलायंस ने बंजर जमीन को धीरूभाई अंबानी लाखीबाग अमरायी में बदल दिया।

नई दिल्ली। National Mango Day 2025: आज नेशनल मैंगो डे है। यानी आज आम दिवस है। ऐसे में हम आपको देश के सबसे बड़े अरबपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani ) के फेमस आम के बगीचे के बारे में बता रहे हैं। जिसकी बदौलत रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड दुनिया का सबसे बड़ा आम निर्यातक भी बना। यह बदलाव जितना चौंकाने वाला है, उतना ही प्रेरणादायक भी।
मुकेश अंबानी ने कैसे शुरू की आम की खेती की शुरुआत
रिलायंस के जामनगर रिफाइनरी में 1997 में जब प्रदूषण की गंभीर समस्याएं सामने आईं तो पर्यावरणीय चेतावनियों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती के बाद, रिलायंस ने इस चुनौती को एक अवसर में बदला। उन्होंने रिफाइनरी के आसपास की बंजर जमीन को हरे-भरे आम के बाग में बदलने का निर्णय लिया और यहीं से ‘धीरूभाई अंबानी लाखीबाग अमरायी’ शुरुआत हुई।
देसी और विदेशी किस्म के आमों की भरमार
इस बगीचे में न सिर्फ केसर, हापुस (अल्फांसो), रत्ना, सिंधु, नीलम और अमरपाली जैसी देसी किस्में उगाई जाती हैं, बल्कि टोमी एटकिंस, केंट (फ्लोरिडा), लिली, कीट और माया जैसी अंतरराष्ट्रीय किस्मों की भी पैदावार होती है। हर साल लगभग 600 टन आम पैदा होते हैं, जो देश और विदेश में बेचे जाते हैं।
रिलायंस आज भारत के प्रीमियम आम बाज़ार का 25% हिस्सा अपने नाम कर चुका है। रिलायंस रिटेल के 10,000 से ज्यादा स्टोर्स और ऑनलाइन नेटवर्क के जरिए इन आमों की पहुँच है, जिससे सालाना ₹200 करोड़ (लगभग $25 मिलियन) की घरेलू कमाई होती है।
600 एकड़ में फैला एशिया के सबसे बड़ा आम बगीचा
यह बगीचा रिलायंस के फाउंडर धीरूभाई अंबानी के नाम पर रखा गया है। 600 एकड़ में फैले इस बगीचे में 1.5 लाख से ज्यादा आम के पेड़ हैं, जिनमें 200 से भी अधिक किस्मों के आम शामिल हैं। इसका नाम मुगल सम्राट अकबर द्वारा स्थापित ऐतिहासिक ‘लाखीबाग’ से प्रेरित है।
जामनगर की खारी और शुष्क भूमि में आम उगाना आसान नहीं था। लेकिन रिलायंस ने तकनीकी नवाचारों से कई प्रयोग किए। जैसे कि समुद्री जल से मीठा पानी बनाने वाला डीसैलीनेशन प्लांट, ड्रिप इरिगेशन और स्मार्ट फर्टिलाइजेशन का सहारा लिया। इन तरीकों से न सिर्फ बगीचे को जीवन मिला, बल्कि आसपास के पर्यावरण को भी फायदा हुआ।
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