वेदांता डीमर्जर प्लान पर बड़ी खबर, अनिल अग्रवाल की कंपनी को NCLAT से मिली राहत, जानिए पूरी डिटेल
Vedanta Demerger वेदांता ग्रुप ने शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि 27 मई 2025 को एनसीएलएटी द्वारा दिए गए आदेश में एनसीएलटी मुंबई पीठ द्वारा 4 मार्च 2025 को पारित आदेश (जो योजना को खारिज करता है) पर अंतरिम स्थगन दिया गया है। अब कंपनी डीमर्जर प्लान पर आगे बढ़ रही है।

नई दिल्ली. देश के बड़े औद्योगिक समूह, वेदांता ग्रुप को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने वेदांता के पावर बिजनेस के डिमर्जर और उसे टलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) के साथ मर्ज करने की योजना को खारिज करने वाले एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।
यह आदेश वेदांता लिमिटेड के लिए एक राहत के रूप में आया है, जो अपनी विभिन्न बिजनेस यूनिट्स को अलग-अलग संस्थाओं में डिमर्ज करने की प्रक्रिया में है। बीएसई को दी गई एक फाइलिंग में वेदांता ने बताया कि 27 मई 2025 को एनसीएलएटी द्वारा दिए गए आदेश में एनसीएलटी मुंबई बेंच द्वारा 4 मार्च 2025 को पारित आदेश (जो योजना को खारिज करता है) पर अंतरिम स्थगन दिया गया है, बशर्ते कि आदेश में उल्लिखित शर्तों का पालन किया जाए।
वेदांता ने कहा कि वह अपनी रणनीतिक डीमर्जर प्लान के लिए प्रति प्रतिबद्ध है। एनसीएलएटी की दो सदस्यीय बेंच ने कहा, "हमारे समक्ष उठाए गए मुद्दों पर विस्तृत विचार करने की आवश्यकता है। यदि उक्त आदेश पर स्थगन नहीं दिया गया, तो यह अन्य तीन ट्रांसफर कंपनियों से संबंधित दूसरे मोशन एप्लिकेशन को प्रभावित कर सकता है, जो विभिन्न ट्रिब्यूनलों में लंबित हैं।"
अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को निर्धारित की गई है। इससे पहले, एनसीएलटी मुंबई पीठ ने टीएसपीएल की डिमर्जर योजना की याचिका को खारिज कर दिया था, क्योंकि टीएसपीएल के एक लैंडर एसईपीसीओ (SEPCO) ने इस पर आपत्ति जताई थी।
NCLT ने क्या कहा
एनसीएलटी ने यह पाया कि “आवेदक कंपनी द्वारा महत्वपूर्ण तथ्यों को उजागर नहीं किया गया, जो कंपनियों अधिनियम, 2013 की धारा 230(2)(a) का उल्लंघन है, और जो हमारे विचार में जनहित को प्रभावित कर सकता है।”
चीन की कंपनी एसईपीसीओ इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन ने आपत्ति जताई थी कि डिमर्जर योजना में जानबूझकर उनकी 1,251 करोड़ रुपये की बकाया राशि को लेनदारों की सूची से बाहर रखा गया।
एसईपीसीओ ने आरोप लगाया कि टीएसपीएल ने अपनी देनदारियों की जानकारी को छुपाया है। “यह जानबूझकर एसईपीसीओ के अधिकारों को निष्फल करने के लिए किया गया है,” एनसीएलटी ने कहा।
डीमर्जर प्लान पर आगे बढ़ रही कंपनी
वेदांता के प्रवक्ता के अनुसार, एनसीएलटी का आदेश केवल टीएसपीएल के आवेदन और पावर बिजनेस यूनिट से संबंधित था और अन्य व्यवसायों के डिमर्जर की प्रगति को प्रभावित नहीं करता। एसईपीसीओ को 1,251 करोड़ रुपये तक की राशि के लिए एक अनसिक्योर्ड लैंडर के रूप में लिस्ट किया गया था, जो प्राइस के अनुसार अनसिक्योर्ड लोन का 75 प्रतिशत से अधिक होता। ऐसे में एसईपीसीओ के विरोध में मतदान करने से योजना पर असर पड़ सकता था और यह टीएसपीएल के हितों को नुकसान पहुंचा सकता था।
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