रूस से कम नहीं हुई तेल खरीदारी, लेकिन अमेरिका से बढ़ा क्रूड आयात; भारत ने त्रिकोणमितीय स्ट्रैटिजी से बदला खेल
भारत ने अपनी तेल खरीद रणनीति में बदलाव करते हुए अमेरिका से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया है, जबकि रूस से तेल की खरीदारी जारी है। यह त्रिकोणमितीय रणनीति भारत को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करती है और विभिन्न स्रोतों से तेल प्राप्त करने में मदद करती है। अमेरिका से आयात में वृद्धि दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंधों को दर्शाती है।

रूस से कम नहीं हुई तेल खरीदारी, लेकिन अमेरिका से बढ़ा क्रूड आयात; भारत ने त्रिकोणमितीय स्ट्रैटिजी से बदला खेल
नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदना का बहुत दबाव बनाया। ट्रंप ने वो हर कदम उठाए जिससे यह संभव हो पाए कि भारत, रूस से कच्चा तेल खरीद न पाए। इसके लिए अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की। लेकिन भारत ने रूस से खरीदारी कम नहीं की। भारत लगातार रूस से तेल की खरीदारी कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर भरत ने अमेरिका से तेल आयात बढ़ा दिया है। मार्च 2021 के बाद भारत ने अमेरिका से अक्टूबर 2025 में सबसे ज्यादा तेल खरीदा। भारत ने अमेरिका के दबाव को त्रिकोणमितीय स्ट्रैटिजी से बदल दिया है। दरअसल, भारत, रूस के अलावा अन्य देशों से भी तेल खरीद बढा रहा है। इसमें अमेरिका, रूस और सऊदी अरब प्रमुख हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी रिपोर्ट में केप्लर के आंकड़ों के मुताबिक बताया कि मार्च 2021 के बाद भारत का अमेरिका से तेल आयात कई अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है। वहीं, भारत की रूस से तेल खरीदारी जस की तस बनी रही। भारत ने अक्टूबर 2025 में रूस से 1.61 मिलियन बैरल तेल खरीदा। साल दर साल यह थोड़ा कम है। इससे पहले अक्टूबर 2024 में भारत ने अक्टूबर 2025 में रूस से 1.73 मिलियन बैरल तेल खरीदा था।
अमेरिका से कितनी बढ़ी खरीदारी
केप्लर के आंकड़ों के अनुसार भारत की रिफाइनरियों ने अक्टूबर 2025 में 593000 बैरल प्रति दिल तेल अमेरिका से खरीदा। वहीं, यह आंकड़ा सितंबर में 207000 प्रति दिन बैरल था। अक्टूबर में अमेरिका से की गई कच्चे तेल की खरीदारी तीन साल के औसत 305000 प्रति दिन बैरल से भी अधिक है।
अक्टूबर में भारत ने अमेरिका से प्रतिदिन 593000, सऊदी अरब से 669000 और रूस से 161800 बैरल प्रति दिन तेल खरीदा। केपलर में रिफाइनिंग और मॉडलिंग के लीड रिसर्च एनालिस्ट सुमित रितोलिया ने कहा, "यह बढ़ोतरी इकोनॉमिक्स की वजह से हुई, जिसे एक मजबूत आर्बिट्रेज विंडो, ब्रेंट-WTI स्प्रेड में बढ़ोतरी, और कमजोर चीनी डिमांड का सपोर्ट मिला, जिससे डिलीवर बेसिस पर WTI मिडलैंड कॉम्पिटिटिव हो गया।" उन्होंने कहा, "इसके बावजूद, आगे और बढ़ोतरी लिमिटेड है, क्योंकि यह बढ़ोतरी आर्बिट्रेज की वजह से है, स्ट्रक्चरल नहीं, और यह लंबे यात्रा समय, ज्यादा फ्रेट कॉस्ट, और WTI के हल्के, नैफ्था-रिच यील्ड से सीमित है।"
अक्टूबर में बढ़ा रूसी तेल आयात
अक्टूबर में रूसी तेल का इंपोर्ट सितंबर की तुलना में थोड़ा अधिक है। अक्टूबर का क्रूड इंपोर्ट डेटा अभी तक प्रमुख रूसी तेल कंपनियों पर US के लेटेस्ट बैन के बाद भारत की खरीद स्ट्रेटेजी को पूरी तरह से नहीं दिखाता है। 30 से 45 दिनों के फ्रेट टाइम को देखते हुए, अक्टूबर में रूस से आने वाले कार्गो मिड अगस्त और सितंबर के बीच बुक किए गए होंगे। 21 नवंबर से, US प्रेसिडेंट डोनल्ड ट्रंप ने मॉस्को की फाइनेंशियल कैपेसिटी को कम करने और यूक्रेन में युद्ध खत्म करने की कोशिश में दो रूसी तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर बैन लगा दिया। ये दोनों कंपनियाँ भारत के रूसी क्रूड इंपोर्ट का लगभग 60-70 प्रतिशत सप्लाई करती हैं।
रितोलिया ने कहा, "बैन के बाद, हमने डेडलाइन से पहले रूसी क्रूड की आवक में तेजी देखी, और नायरा को छोड़कर किसी भी रिफाइनर से उसके बाद बैन किए गए सप्लायर से इंपोर्ट करने की उम्मीद नहीं है। रूसी क्रूड फ्लो 21 नवंबर तक 1.6-1.8 मिलियन bpd रहने की संभावना है, जिसके बाद रिफाइनर संभावित ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल से संबंधित एक्सपोजर से बचने के लिए इसमें कमी करेंगे।"
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