RBI ब्याज दरों में कब तक करेगा कटौती, क्या इशारा कर रही रिपोर्ट?
क्रिसिल इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भविष्य में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान में कटौती की है। आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दर को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा। एमपीसी ने माना कि अमेरिकी शुल्क के कारण जीडीपी वृद्धि में गिरावट का जोखिम है।

नई दिल्ली। क्रिसिल इंटेलिजेंस की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बरकरार रखी है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुद्रास्फीति के अपने पूर्वानुमान में भारी कटौती की है।
केंद्रीय बैंक ने एक अक्टूबर को शुल्क अनिश्चितताओं का हवाला देते हुए अपनी नीतिगत ब्याज दर को लगातार दूसरी बार 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा था। रिपोर्ट में कहा गया कि एमपीसी ने स्वीकार किया है कि अमेरिकी शुल्क के प्रभाव के कारण चालू वित्त वर्ष (2025-26) की दूसरी छमाही में जीडीपी वृद्धि में गिरावट का जोखिम रहेगा।
क्रिसिल इंटेलिजेंस ने कहा कि जीएसटी दरों में हालिया कमी से वृद्धि पर शुल्क का समग्र प्रभाव आंशिक रूप से कम हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया, ''कुछ श्रम-प्रधान क्षेत्र अमेरिकी शुल्क के प्रभाव से सबसे अधिक संवेदनशील हैं और उन्हें नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है।
चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति कम चिंता का विषय होने के साथ, अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करता है, तो आरबीआई के लिए भी ऐसा करने की गुंजाइश बनेगी।''
भारतीय रिजर्व बैंक ने अक्टूबर मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में कटौती न करने का फैसला लिया है। इसका मतलब है कि रेपो रेट 5.5 फीसदी पर बरकरार रहेगी। बता दें कि साल 2025 में आरबीआई रेपो रेट में कुल मिलाकर 1 फीसदी की कटौती कर चुका है।
ये हैं सभी जरूरी दर
कौन सी दर | पहले कितनी थी (प्रतिशत में) | अब कितनी (प्रतिशत में) |
रेपो रेट | 5.5 | 5.5 |
रिवर्स रेपो रेट | 3.35 | 3.35 |
स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी | 5.25 | 5.25 |
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी | 5.75 | 5.75 |
बैंक रेट | 5.75 | 5.75 |
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governor Sanjay Malhotra) ने अक्टूबर पॉलिसी की जानकारी देते हुए कहा कि आरबीआई का रुख 'न्यूट्रल' रहेगा। इसके अलावा आरबीआई ने आईपीओ फाइनेंसिंग लिमिट को बढ़ाकर प्रति निवेशक 25 लाख रुपये कर दिया है।
भारतीय बैंकों के लिए बड़ा कदम
रियल इकोनॉमी में क्रेडिट फ्लो में सुधार के उपाय प्रस्तावित किए गए हैं, जिनमें भारतीय कॉरपोरेशंस द्वारा अन्य कंपनियों को खरीदने की फाइनेंसिंग के लिए भारतीय बैंकों के लिए एक फ्रेमवर्क शामिल है। लोन देने में आसानी बढ़ाने के लिए लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज पर कर्ज देने की रेगुलेटरी सीमा को हटाने का भी प्रस्ताव रखा गया है।
शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के मामले में, इस क्षेत्र में सकारात्मक ग्रोथ को देखते हुए, रिजर्व बैंक नए यूसीबी को लाइसेंस देने की योजना बना रहा है। इसके लिए पहले एक चर्चा पत्र प्रकाशित किया जा सकता है।
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