RBI Vs SBI: 'हमने चोरी नहीं...' RBI और SBI के अधिकारियों में किस बात को लेकर हुई तकरार? छिड़ गई जोरदार बहस
सोशल मीडिया पर आरबीआई अधिकारी द्वारा एसबीआई की इको रैप रिपोर्ट पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगाने से विवाद शुरू हो गया। आरबीआई अधिकारी ने एसबीआई पर आरबीआई की रिपोर्ट से डेटा और विश्लेषण कॉपी करने का आरोप लगाया है। एसबीआई ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा का उपयोग किया है और आरबीआई को स्रोत के रूप में उद्धृत किया है। विशेषज्ञों ने इस मामले में शोध नैतिकता के महत्व पर जोर दिया है।

नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर छोटी-मोटी नोकझोंक आम बात है, लेकिन जब मामला देश के दो सबसे अहम वित्तीय संस्थानों भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बीच हो, तो बात बड़ी बन ही जाती है।
दरअसल, RBI के एक अधिकारी ने SBI की Ecowrap रिपोर्ट पर प्लेगरिज्म यानी नकल का आरोप लगाया है। RBI की मॉनिटरी पॉलिसी विंग के सदस्य और असिस्टेंट जनरल मैनेजर सार्थक गुलाटी ने दिवाली के दौरान एक लिंकडिन (LinkedIn) पोस्ट में कहा कि SBI की टीम ने RBI की मॉनेटरी पॉलिसी रिपोर्ट से डेटा, चार्ट और विश्लेषण तक हूबहू कॉपी किया है और बिना उसका किसी तरह का क्रेडिड भी नहीं दिया है।
गुलाटी ने लिखा कि हम आर्थिक और वित्तीय रिसर्च समुदाय के तौर पर मौलिकता और ईमानदारी पर भरोसा करते हैं। लेकिन यह देखना निराशाजनक है कि SBI की जुलाई और अक्टूबर 2025 की Ecowrap रिपोर्ट में RBI की रिपोर्ट के हिस्से पैराग्राफ-दर-पैराग्राफ कॉपी किए गए हैं, वो भी बिना किसी क्रेडिट के।

उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की हरकत रिसर्च की साख और संस्थानों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाती है। गुलाटी ने अपनी पोस्ट में #ResearchIntegrity और #OriginalWorkMatters जैसे हैशटैग भी लगाए और लिखा कि यह बहस रिसर्च में पारदर्शिता और एथिक्स पर ध्यान खींचने के लिए जरूरी है।
SBI का जवाब-हमने डेटा अपडेट किया, चोरी नहीं
RBI अधिकारी के आरोपों के अगले ही दिन SBI की तरफ से जवाब आया। Ecowrap टीम के सदस्य डॉ. तपस परिदा ने एक लंबा पोस्ट लिखते हुए आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया।
परिदा ने कहा, ''हमने वही डेटा इस्तेमाल किया जो सरकारी स्रोतों (MOSPI) से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। रिपोर्ट में हमने RBI को स्रोत के रूप में उद्धृत भी किया है। हमने पुराने डेटा को अपडेट किया, न कि किसी की मेहनत कॉपी की है।''
उन्होंने अपने पोस्ट का अंत सूफी कवि रूमी की पंक्तियों से किया कि ''अपनी आवाज नहीं, अपने शब्द ऊंचे करो, बारिश फूल उगाती है, गरज नहीं।''
परिदा ने कहा कि यह “प्लेजरिज्म नहीं, बल्कि एक स्वस्थ संवाद की शुरुआत है और SBI रिसर्च टीम हमेशा ईमानदार और पारदर्शी रिसर्च के पक्ष में खड़ी है।
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एक्सपर्ट्स की राय
इस पूरे सोशल मीडिया विवाद पर जाने-माने अर्थशास्त्री अजीत राणाडे ने टिप्पणी की कि ''विचारों की चोरी भले लेखक के लिए तारीफ जैसी लगे, लेकिन यह शोध के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। सही संदर्भ और उद्धरण देना शोध की बुनियाद है। उम्मीद है कि Ecowrap इस पर सफाई देगा।''

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