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    ट्रंप टैरिफ की निकली हवा! भारत के लिए आगे आया दोस्त रूस, कहा- भारतीय उत्पादों के लिए खुला है रूसी बाजार

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 06:35 AM (IST)

    रूस के उप राजदूत रोमन बाबुश्किन ने कहा कि अगर भारत को अमेरिकी बाजार में सामान बेचने में दिक्कत हो रही है तो रूस भारतीय निर्यात का स्वागत करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि रूस भारत को सस्ते दामों पर कच्चा तेल देना जारी रखेगा। रूस ने भारतीय रुपये में भुगतान स्वीकार करना शुरू कर दिया है।

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    भारत के लिए आगे आया दोस्त रूस, बोला- भारतीय उत्पादों के लिए खोलेगे अपना बाजार

    नई दिल्ली। अगर भारत को अमेरिकी बाजार में अपना सामान बेचने में परेशानी हो रही है तो रूस का दरवाजा खुला है। हम भारतीय निर्यात के स्वागत को तैयार हैं। भारत को यह भरोसा दिलाया है रूस के उप राजदूत रोमन बाबुश्किन ने। खासकर ऐसे वक्त जब अमेरिकी ट्रंप प्रशासन ने भारत के खिलाफ टैरिफ जंग छेड़ रखी है और भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है।

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    मीडिया से बातचीत के दौरान बाबुश्किन ने कहा कि भारत की तेल खरीद नीति पर अमेरिका का दबाव अन्यायपूर्ण है। आज से नहीं बल्कि पिछले दो-ढाई वर्षों से अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा है कि वह रूस से तेल की खरीद न करे, लेकिन इसके बावजूद रूस और भारत के बीच ऊर्जा कारोबार जारी है। आगे भी इस तरह के प्रतिबंधों का तोड़ निकाल लिया जाएगा।

    रूस के राजदूत ने कहा हम खोलेंगे भारत के लिए बाजार

    रूसी दूतावास के अधिकारी ने स्पष्ट किया कि रूस भारत को औसतन पांच से सात प्रतिशत सस्ती दर पर क्रूड उपलब्ध कराता है जो भारत के लिए एक लाभकारी सौदा है और रूस आगे भी ऐसा करता रहेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर पश्चिम आपकी आलोचना करता है तो इसका मतलब है कि आप सब कुछ सही कर रहे हैं।

    बाबुश्किन ने भारतीय मीडिया से जब बात की तो उसके कुछ घंटे पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर मास्को पहुंचे हैं। जयशंकर की रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी जबकि रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मांटुरोव के साथ वह व्यापार, आर्थिक, प्रौद्योगिकी व संस्कृति सहयोग पर गठित भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग (आइआरआइजीसी) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। दोनों देशों के विदेश मंत्रालय व दूसरे संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच लगातार विमर्श चल रहा है जो इस साल के अंत में भारत-रूस शिखर सम्मेलन के एजेंडे को तय करेगा।

    अपनी जरूरतों का 40 फीसदी तेल रूस से खरीदता है भारत

    यानी अमेरिका की तरफ से भारत पर जितना भी रूस के साथ संबंधों को सीमित करने का दबाव बनाया जा रहा है, असलियत में दोनों देशों के बीच सहयोग की कोशिशें उतनी ही तेज हो रही हैं। बाबुश्किन ने कहा- 'भारत अपनी जरूरत का 40 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से खरीदता है। यह भारत की इकोनमी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। रूस, भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। भारत की तेल खरीद बढ़ रही है क्योंकि यहां खपत भी बढ़ रही है। रूस इस आपूर्ति को जारी रखेगा। अमेरिका और पश्चिमी देशों का दबाव है, लेकिन हमने एक व्यवस्था बना रखी है कि तेल की आपूर्ति कैसे जारी रखी जाए। इस बारे में मैं चर्चा नहीं कर सकता।'

    जब उनसे पूछा गया कि यदि भारत ने अमेरिकी दबाव में तेल खरीदना बंद कर दिया तो क्या होगा तो बाबुश्किन ने कहा- 'हम जानते हैं कि ऐसा नहीं होगा। रूस, भारत की चुनौतीपूर्ण स्थिति को समझता है। हमें भारत के साथ संबंधों पर भरोसा है। उम्मीद है कि हम मिलकर इस चुनौती का सामना कर सकेंगे। पिछले दो वर्षों में हमारा द्विपक्षीय कारोबार सात गुना बढ़ा है, जो बताता है कि हम मिलकर चुनौतियों का सामना करना जानते हैं।'

    रूस के भारत में व्यापार प्रतिनिधि अवगिनी ग्रीवा ने बताया कि भारत को तेल खरीद में मोटे तौर पर पांच प्रतिशत छूट मिलती रही है। हालांकि, कुछ दिन पहले भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों के अधिकारियों ने बताया कि यूरोप के नए प्रतिबंध के बाद रूस 47-48 डालर से ज्यादा कीमत पर तेल नहीं बेच सकता। पहले यह कीमत 60 डालर प्रति बैरल थी।

    5 डॉलर प्रति बैरल मिली छूट

    इस प्रकार, भारत को मिलने वाली छूट भी चार-पांच डालर प्रति बैरल से घटकर डेढ़-दो डालर प्रति बैरल रह गई है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने हाल ही में भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाया है, क्योंकि वह रूस से तेल की खरीद करता है। यह शुल्क पहले से भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत शुल्क के अतिरिक्त है। भारत ने राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम की कड़ी ¨नदा की है। उधर रूस के उप व्यापार आयुक्त एवगेनी ग्रिवा ने कहा कि रूस ने भारतीय बैंकों में फंसे अरबों डालर के मुद्दों के समाधान के बाद अपने सामान के लिए भारतीय रुपये में भुगतान स्वीकार करना शुरू कर दिया है।

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