सेबी की बड़ी कार्रवाई: अवधूत साठे और अकादमी पर प्रतिबंध, 546 करोड़ जब्त
भारतीय बाजार नियामक सेबी ने वित्तीय इन्फ्लुएंसर अवधूत साठे और उनकी अकादमी (ASTA) को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है। सेबी ने अवैध रूप से इन्व ...और पढ़ें

नई दिल्ली। भारतीय बाजार नियामक सेबी ने मशहूर फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर अवधूत साठे और उनकी अवधूत साठे ट्रडिंग एकेडमी (ASTA) के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते हुए उन्हें प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है। साथ ही, सेबी ने लगभग 546 करोड़ रुपये जब्त करने का आदेश भी दिया है। सेबी का कहना है कि यह रकम अवैध तरीके से बिना किसी रजिस्ट्रेशन के इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी सेवाएं बेचकर कमाई गई थी, जिससे हजारों रिटेल निवेशक गुमराह हुए।
कैसे पहुंची सेबी तक यह शिकायत?
पूरा मामला तब सामने आया जब कुछ निवेशकों ने शिकायत की कि ASTA केवल ट्रेडिंग के कोर्स ही नहीं बेच रहा था, बल्कि लाइव मार्केट में खरीद-फरोख्त के सीधे निर्देश भी देता था। जांच शुरू होते ही सेबी ने वीडियो, व्हाट्सऐप चैट, सोशल मीडिया पोस्ट, फीस स्ट्रक्चर और प्रतिभागियों के बयान खंगाले।
सेबी ने एक उदाहरण भी दिया, जिसमें अवधूत सातें एक लाइव ट्रेडिंग सेशन में लोगों को स्पष्ट निर्देश देते दिखे कि Bank Nifty futures में इस प्राइस पर एंट्री करो, ये स्टॉप-लॉस रखो, ये टारगेट रखो। सेबी के मुताबिक, यह शिक्षा नहीं बल्कि सीधी निवेश सलाह है, जिसके लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
ये शिक्षा नहीं, सलाह बेचने का कारोबार था
सेबी के ऑर्डर में कहा गया कि ASTA की टीम अलग-अलग ''काउंसलिंग बैच'' चलाती थी, जिनमें व्हाट्सएप ग्रुप और लाइव सेशन के जरिए रियल-टाइम ट्रेडिंग कॉल दी जाती थी। कई ग्रुप्स में सैकड़ों लोग जुड़ते थे और मोटी फीस चुकाते थे।
नुकसान छिपाती, लाभ दिखाती
एक बड़ी चिंता यह भी थी कि अकादमी अपने कोर्स को बेचने के लिए केवल लाभ वाले ट्रेड्स के स्क्रीनशॉट दिखाती थी, नुकसान छिपाती थी और जिंदगी बदलने वाले हाई-प्रोबेबिलिटी स्ट्रैटेजी जैसी बातें कहकर गारंटीड रिटर्न जैसा भ्रम पैदा करती थी। सेबी ने इसे निवेशकों को लुभाने और गुमराह करने की रणनीति बताया।
इसके अलावा, सेबी ने कहा कि अवधूत साठे को 2024 की शुरुआत में चेतावनी दी गई थी, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने गतिविधियां नहीं रोकीं, बल्कि उन्हें और प्राइवेट तरीके से जारी रखा।
लाखों में बिकने वाले कोर्स
ASTA के कोर्स 50-60 हजार से शुरू होकर 6.75 लाख रुपये तक जाते थे। सेबी का कहना है कि इतनी भारी रकम इसलिए ली जाती थी क्योंकि कोर्स का USP सिर्फ सीखना नहीं, बल्कि लाइव मार्केट में क्या खरीदना है, क्या बेचना है उसका निर्देश पाना भी था। नियामक ने साफ कहा कि, ''पूरा मॉडल एक पेड इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी की तरह चल रहा था, शिक्षक की तरह नहीं।''
क्यों माना जा रहा है यह फैसला 'टर्निंग पॉइंट?
ऑनलाइन फिनफ्लुएंसर और ट्रेडिंग कोर्स बेचने वाले क्षेत्र में पिछले कुछ समय से धुआंधार मार्केटिंग और गुमराह करने वाले दावे बढ़े हैं। सेबी का यह कदम इस पूरे इकोसिस्टम को साफ करने की दिशा में बहुत बड़ा संदेश माना जा रहा है, कि शिक्षा के नाम पर बिना लाइसेंस सलाह बेचने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

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