SEBI ने सरकारी कंपनियों को दी बड़ी राहत, आसान डीलिस्टिंग मानदंडों को दी मंजूरी; विदेशी निवेशकों पर भी दिखाई नरमी
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने बुधवार को बाजार दक्षता निवेशक पहुंच और स्टार्टअप भागीदारी में सुधार लाने के उद्देश्य से नियमों में सुधार की मंजूरी दी। यह फैसले सेबी की बोर्ड मीटिंग (SEBI Board Meet) में लिए गए। देर शाम सेबी चेयरमैन तुहिन कांत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बोर्ड द्वारा लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी दी।

नई दिल्ली। सेबी बोर्ड ने 18 जून को चुनिंदा सरकारी कंपनियों (PSUs) के लिए स्वेच्छा से डीलिस्ट होने की प्रक्रिया (SEBI delisting relief) को आसान बनाने के लिए विशेष उपाय शुरू करने के प्रस्तावों को मंजूरी दी। जिन सरकारी कंपनियों में सरकार की 90 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी हैं और मार्केट में लिस्टेड हैं वो अपनी स्वेच्छा से डीलिस्ट हो सकती है। हालंकि, इस नियम में कई कंपनियों को बाहर रखा गया है। कुछ चुनिंदा कंपनियों को ही इसमें रखा गया है।
डीलिस्ट होने के आसान नियमों को बुधवार शाम Securities and Exchange Board of India ने मंजूरी दी। इसके साथ ही सेबी बोर्ड ने मीटिंग (SEBI Board Meet) में विदेशी निवेशकों के भारतीय बाजार में निवेशक करने के नियमों को और आसान बनाने की मंजूरी दी है। सेबी चेयरमैन तुहिन कांत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इन फैसलों के बारे में बताया।
सेबी ने सार्वजनिक क्षेत्र की जिन कंपनियों को डिलिस्ट करने के आसान नियमों को मंजूरी दी है वो नियम बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और बीमा कंपनियों पर लागू नहीं होंगे।
विदेशी निवेशकों को भी राहत
इसके अलावा, बाजार नियामक सेबी ने ऐसे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI bond investment easing) को कंप्लायंस में राहत दी है, जो सिर्फ सरकारी बॉन्ड में निवेश करना चाहते हैं। उन्हें अब इंडिविजुअल निवेशकों का डाटा नहीं देना होगा।
सेबी ने लिस्टेड कंपनियों के लिए क्यूआईपी दस्तावेजों को सरल बनाने की मंजूरी दी
सेबी बोर्ड ने लिस्टेड कंपनियों के क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) को सरल बनाने के लिए सेबी (आईसीडीआर) विनियमन, 2018 में संशोधनों को मंजूरी दे दी। अब राइट इश्यू लाते समय कंपनियों को वह सूचनाएं अपने ऑफर डॉक्यूमेंट में नहीं डालनी होंगी, जो पहले से पब्लिक डोमेन में हैं। इसके साथ ही डिस्क्लोजर को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है।
स्टार्टअप संस्थापकों के लिए ESOP नियमों को आसान बनाया
सेबी बोर्ड ने स्टार्टअप संस्थापकों को आईपीओ योजना से एक साल पहले दिए गए ईसॉप (एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन प्लान) को बरकरार रखने की अनुमति देने का फैसला किया है। मौजूदा नियमों के तहत, प्रमोटर्स को ईएसओपी लेने से रोका जाता है। अगर वे डीआरएचपी दाखिल करते समय ऐसे लाभ रखते हैं, तो उन्हें आईपीओ से पहले उन्हें समाप्त करना होता है। इससे डीआरएचपी चरण में प्रमोटर के रूप में वर्गीकृत संस्थापकों को नुकसान होता था। मंजूर प्रस्ताव के तहत अब फाउंडर डीआरएचपी दाखिल करने से कम से कम एक साल पहले प्राप्त ESOP कंपनी सूचीबद्ध होने के बाद भी बनाए रख सकेंगे।
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