सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल 2025 क्या है, जिसे सरकार शीतकालीन सत्र में करेगी पेश! क्या बदलेगा?
सरकार शीतकालीन सत्र में सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल 2025 पेश करने जा रही है। इस विधेयक का उद्देश्य प्रतिभूति बाजार को मजबूत करना और निवेशकों के हितों की रक्षा करना है। यह निवेशकों के लिए सुरक्षा उपायों को बढ़ाकर बाजार में उनका विश्वास बढ़ाएगा। इस बिल के माध्यम से निवेशकों का निवेश सुरक्षित होगा और उन्हें बेहतर अवसर मिलेंगे।

सरकार ने सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल, 2025 को 1 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने की योजना बनाई है।
सरकार ने सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल, 2025 को 1 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने की योजना बनाई है। यह जानकारी लोकसभा सचिवालय के जारी एक बुलेटिन में दी गई है।
क्या बदलने जा रहा है यह नया कोड?
यह बिल भारत के वित्तीय बाजारों में मौजूद कई अलग-अलग कानूनों को मिलाकर एक एकीकृत (यूनिफाइड) कोड बनाने का प्रस्ताव रखता है। इनमें SEBI एक्ट (1992), डिपोजेटरी एक्ट (1996), सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट (Regulation) Act (1956) कानूनों को मिलाया जाएगा।
पहली बार इसका प्रस्ताव केंद्रीय बजट 2021-22 में रखा गया था, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन सभी कानूनों के साथ गवर्नमेंट सिक्योरिटी एक्ट, 2007 को भी मिलाकर एक "रैशनलाइज्ड सिक्योरिटीज मार्केट कोड" बनाने की बात कही थी।
क्यों जरूरी था एक यूनिफाइड सिक्योरिटीज कोड?
वर्तमान में भारत के पूंजी बाजारों को नियंत्रित करने के लिए कई संस्थाएं और अलग-अलग कानून लागू होते हैं। जिससे कभी-कभी नियमों में टकराव और अनुपालन (कॉम्प्लायंस) का बोझ बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि एक यूनिफाइड कोड से कंपनियों का कॉम्प्लायंस खर्च घटेगा, नियमों के बीच होने वाला फ्रिक्शन कम होगा और निवेशकों व बाजार संस्थाओं के लिए प्रक्रियाएं आसान हो जाएंगी।
सरकारी बॉन्ड बाजार को भी मिलेगा फायदा
इस बिल के तहत गवर्नमेंट सिक्योरिटी एक्ट को भी शामिल किया जा रहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इससे सरकार की उधारी प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनेगी, विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और सरकारी बॉन्ड मार्केट को बड़ी मजबूती मिलेगी।
यह बिल भारत के सिक्योरिटीज मार्केट में एक देश, एक कोड जैसी व्यवस्था बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। अगर यह पारित हो जाता है, तो बाज़ार की कार्यप्रणाली और निवेशकों का अनुभव दोनों पहले की तुलना में काफी सरल और व्यवस्थित हो सकते हैं।

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