Success Story: ऑनलाइन नहीं मिला खाना तो घर की छत से शुरू किया मिलेट का कारोबार, आज लाखों कमा रही ये लड़की
Success Story ये कहानी एक साधारण से परिवार से आने वाली लड़की की है। इस लड़की का नाम है पलक अरोड़ा। उन्होंने एक ऐसा बिजनेस शुरू किया जिसके बारे में आज खूब चर्चा होती है। वह रेडी टू ईट मिलेट बनाती हैं। आज उनकी कंपनी मिलेट (Millium) के जरिए हर महीने लाखों रुपये कमा रही है।

नई दिल्ली। Success Story: आज के समय में बिजनेस शुरू करना और उसे सफल बनाने आसान नहीं है। व्यापार करने की तो बहुत लोग ही सोचते हैं लेकिन इसमें सफल कम ही हो पाते हैं। सफल होने के लिए आपको दुनिया से अलग चलना पड़ता है। जब आप अलग रास्तों पर चलते हैं तो लोग आपको पागल समझ लेते हैं। लेकिन यह पागलपन आपको सफल बना देता है। फिर दुनिया आप पर विश्वास करती है। कुछ ऐसा ही रास्ता चुना मिलियम की संस्थापक पलक अरोड़ा ने। आज वह तरक्की की राह पर चल रही हैं।
26 साल की पलक अरोड़ा फूड इंजीनियर हैं। आज वह एक ऐसी कंपनी की मालकिन हैं जो महीनों में लाखों रुपये का रेवेन्यू जनरेट कर रही है। वह Millium नाम का एक फूड ब्रांड रन करती हैं। इसके जरिए वह मिलेट से बने हेल्दी और रेडी-टू-कुक मिक्स सेल करती हैं। उन्होंने अपने इस कारोबार की शुरुआत अपने घर की छत से की थी। लेकिन कम ही समय में उनके बिजनेस इतनी तरक्की की कि उन्हें फरीदाबाद में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगानी पड़ी।
कोविड काल में अगर मिल जाता खाना तो नहीं होता पलक का बिजनेस
पलग ओरड़ा बताती हैं कि लॉकडाउन के दौरान वह इस तरह के खाने की तलाश कर रही थी जो आसानी से बन जाए यानी रेडी टू ईट हो और मिलेट पौष्टिक हो। पलक को लॉकडाउन में इस तरह की कोई चीज नहीं मिली। मिली तो सिर्फ कच्चा मिलेट या मोटा आटा। यह रेडी टू ईट नहीं था। ऐसे में उनके दिमाग में एक आईडिया आया और इस आइडिया को उन्होंने अच्छी तरीके से एग्जीक्यूट किया। अगर इस तरह की उन्हें कोई चीज मिल जाती तो शायद आज Millium ब्रांड होती ही नहीं।
पलक अरोड़ा एक फूड टेक्नोलॉजी इंजीनियर हैं। उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट (NIFTEM) डिग्री हासिल की हुई है।
गेहूं को आप आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। उसे आटा बनाकर उसका यूज किया जा सकता है। लेकिन मिलेट के साथ ऐसा नहीं होता। लोगों को या तो कच्चा मिलेट मिलता था फिर प्रोससे किया हुआ। ऐसे में पलक ने लोगों को मिलेट प्रोवाइड करने की सोची और अपने बिजनेस की नींव रखी।
पिता को किडनी की समस्या
पलक अपने बिजनेस के बारे में बताते हुए कहती हैं कि उनके पिता किडनी की समस्या से जूझ रहे थे। वह ऐसा खाना बनाना चाहती थीं जो पौष्टिक होने के साथ-साथ बनाने में भी आसान हो। ताकि लोग कम समय में अच्छा हेल्दी खाना खा सकें।
पलक ने बताया कि कोरोना काल में वह अपने घर में थीं। कॉलेज बंद था। इसलिए अपने घर की छत पर ही ऐसा किचन बनाया जहां वह रिसर्च कर सकती थीं। उन्होंने घर पर मिलेट फूड बनाने के लिए कई बार एक्सपेरिमेंट किया। मिलेट की पोषकता बनाए रखने के लिए उसे सही तरीके से पीसने के लिए पल्वराइजर खरीदा ताकि आसानी रेडी टू कुक फूड बनाया जा सके।
और लॉन्च किया पहला प्रोडक्ट
शुरुआत में पलक ने अंकुरित मिलेट का दलिया, सब्जी से भरी इडली और पंजाबी स्टाइल चीला तैयार किया। इसे उन्होंने अपने रिश्तेदारों और घरवालों को टेस्ट कराया। इसके जरिए उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की स्वाद के साथ टेस्ट और पोषण है कि नहीं। जब उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स मिला तो 2021 में उन्होंने SatGuru Superfoods के नाम से अपनी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया और Millium को 2022 में लॉन्च कर दिया।
उनके शुरुआती प्रोडक्ट अंकुरित बाजरे का दलिया, सब्जी से भरी इडली और पंजाबी शैली का चीला थे।
हर महीने हो रही है लाखों रुपये की कमाई
पलक Millium हर महीने लाखों रुपये की कमाई कर रही हैं। उनके SatGuru Superfoods के अंतर्गत बनने वाले मिलियम में रागी सूप, मिलेट नूडल्स और पास्ता, मिलेट पोहा और पैनकेक मिक्स 10 से अधिक प्रोडक्ट हैं। यह सभी प्रोडक्ट 55 रुपये से लेकर 640 रुपये की कीमत तक बिक रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार इसके जरिए पलक हर महीने 3 लाख रुपये से अधिक का बिजनेस कर रही हैं।
पलग कहती हैं, "मैं हमेशा से कुछ ऐसा बनाना चाहती थी जिसे मैं खुद खा सकूँ। मुझे खाना पकाने में घंटों बिताना पसंद नहीं, इसलिए मैंने ऐसा स्वस्थ भोजन बनाने का लक्ष्य रखा जो 10 मिनट या उससे भी कम समय में तैयार हो सके।"
ऐसे बनते हैं मिलेट प्रोडक्ट्स
प्रत्येक उत्पाद का निर्माण किसान के अनाज से शुरू होता है, जो उत्पादन केंद्र में पहुंचता है, जहाँ उसे हाथ से भिगोया जाता है, विशेष कक्षों में अंकुरित किया जाता है, और फिर औद्योगिक ड्रायर में सुखाया जाता है।
कुछ उत्पादों को दाल के साथ पीसने और मिलाने से पहले, उनका अनोखा स्वाद लाने के लिए भूना जाता है। उदाहरण के लिए, पंजाबी चीला मिश्रण में अंकुरित रागी, ज्वार, मूंग दाल और मोठ दाल शामिल हैं, और सभी को कड़े गुणवत्ता नियंत्रण के बाद ही पैक किया जाता है।
पलक बताती हैं, "बाजरा प्राकृतिक रूप से फाइबर और आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जबकि दालें पूरक प्रोटीन प्रदान करती हैं। साथ मिलकर, ये रेडी-टू-कुक मिश्रण में एक संतुलित और पौष्टिक भोजन बनाते हैं।"
किसानों की भी मदद कर रही हैं पलक
पलक अपनी कंपनी के जरिए किसानों की मदद कर रही हैं। वह रागी, ज्वार और बाजरा सीधे किसानों से खरीदती हैं, उचित मूल्य देती हैं और शीघ्र भुगतान का आश्वासन देती हैं। पलक बताती हैं, "बाजरा जलवायु-प्रतिरोधी फसलें हैं जिन्हें चावल या गेहूँ की तुलना में बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है और ये मिट्टी की उर्वरता में सुधार करती हैं। बाजरे को बढ़ावा देकर, हम लोगों का पोषण तो कर ही रहे हैं, साथ ही अपनी मिट्टी और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को भी बहाल कर रहे हैं।"
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