सिक्युरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स संवैधानिक है भी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनाई; केंद्र सरकार को नोटिस जारी
सिक्युरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT Tax) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला किया है। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता असीम जुनेजा ने तर्क दिया है कि STT समानता और आजीविका के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

नई दिल्ली। काफी समय से निवेशकों के बीच शेयर, म्यूचुअल फंड और डेरिवेटिव के खरीद और बिक्री पर लगाया जाने वाला STT टैक्स चर्चा में रहा। अब इसको लेकर भारत के सुप्रीम कोर्ट याचिका दायर की गई है। सोमवार 6 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सिक्युरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका की जांच करने का फैसला लिया है।
यह वित्त अधिनियम, 2004 के तहत लिस्टेड स्टॉक एक्सचेंज के जरिए से एक्सचेंज ट्रांजैक्शन पर लगाया जाने वाला डायरेक्ट टैक्स है।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने असीम जुनेजा द्वारा दायर याचिका पर वित्त मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार को औपचारिक नोटिस जारी किया।
जुनेजा का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सिद्धार्थ के. गर्ग ने किया। याचिका में तर्क दिया गया कि STT समानता, व्यापार या आजीविका कमाने के मौलिक अधिकारों और सम्मान के साथ जीने के मूल अधिकार का उल्लंघन करता है।
याचिका में स्पष्ट किया गया कि STT को चुनौती इसलिए नहीं दी गई है कि शेयर बाजार प्रतिभागियों पर टैक्सेशन बढ़ गया है या वर्तमान में टैक्स अधिक है।
याचिका में कहा गया है, "वर्तमान याचिका STT के रूप में लगाए गए टैक्स की वैधता पर सवाल उठा रही है... सबसे पहले, यह कि दो बार टैक्स भरने के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। उदाहरण के रूप में बाजार से कमाए गए फायदे पर पहले ही लाभ कर का भुगतान करता है और फिर उसे उसी लेनदेन पर पहले से चुकाए गए पूंजीगत लाभ कर के अलावा STT का भी भुगतान करना पड़ता है।"
दूसरे, जुनेजा ने तर्क दिया कि STT भारत में एकमात्र ऐसा कर है जो “केवल एक पेशे को चलाने के कृत्य पर लगाया जाता है और इसका भुगतान इस बात पर ध्यान दिए बिना किया जाता है कि लाभ हुआ है या नहीं, जो इसे लगभग दंडात्मक या निवारक प्रकृति का बनाता है।”
याचिका में कहा गया है, "भारत में हर कर साल के अंत में होने वाले लाभ पर लगता है, लेकिन STT तब भी लागू होता है जब शेयर बाजार का व्यापारी घाटे में चल रहा हो। शेयर बाजार में कर चोरी रोकने के लिए 2004 में STT की शुरुआत की गई थी। इसका मतलब है कि शेयर बाजार के प्रतिभागियों के लिए STT वैसा ही है जैसा वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए टीडीएस। लेकिन समस्या यह है कि टीडीएस साल के अंत में वापस कर दिया जाता है या आयकर के साथ समायोजित कर दिया जाता है, लेकिन STT के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और व्यापारी को दोनों का भुगतान करना पड़ता है।"
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