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    ट्रंप के 50% टैरिफ को भारत का ठेंगा, बढ़ाने जा रहा रूस से तेल आयात; रॉयटर्स की रिपोर्ट में बड़ा दावा!

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 10:14 PM (IST)

    Donald Trump की अगुवाई वाली अमेरिकी सरकार ने बुधवार 27 अगस्त से भारत के निर्यात पर टैरिफ को दोगुना कर 50% कर दिया। वजह है भारत का रूस के तेल पर निर्भर रहना। फिर भी भारतीय रिफाइनर अगस्त की तुलना में 10-20% ज्यादा तेल खरीदने की योजना बना रहे हैं। माना जा रहा कि अब ट्रेड वॉर शुरू हो सकता है।

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    रिपोर्ट में दावा है कि भारत सितंबर से तेल आयात बढ़ा सकता है।

    नई दिल्ली | Trade War : भारत सितंबर में रूस से तेल आयात बढ़ाने जा रहा है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की अगुवाई वाली अमेरिकी सरकार ने बुधवार, 27 अगस्त से भारत के निर्यात पर टैरिफ को दोगुना कर 50% कर दिया। वजह है भारत का रूस के तेल पर निर्भर रहना।

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    फिर भी, भारतीय रिफाइनर अगस्त की तुलना में 10-20% ज्यादा तेल खरीदने की योजना बना रहे हैं। यानी 1.5-3 लाख बैरल प्रतिदिन। रॉयटर्स ने प्रारंभिक व्यापार डेटा के हवाले से यह जानकारी दी है। ट्रंप ने 7 अगस्त को 25% टैरिफ लगाया था, जो 70 देशों पर भी लागू था। लेकिन भारत के रूस से तेल खरीदने के कारण इसे 50% (trump 50% tariffs) कर दिया। 

    भारत क्यों खरीद रहा सस्ता रूसी तेल?

    2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों ने रूस को कई बाजारों से काट दिया। तब भारत रूस के तेल का बड़ा खरीदार बन गया। इससे भारतीय रिफाइनरों को सस्ता तेल मिला। 2024 के मध्य तक भारत रोज 15-16 लाख बैरल रूसी तेल आयात कर रहा था।

    ये भारत की तेल जरूरत का करीब 40% है। वोर्टेक्सा (Vortexa) के डेटा के मुताबिक, अगस्त के पहले 20 दिनों में आयात 15 लाख बैरल प्रतिदिन रहा, जो जुलाई जैसा ही था। 

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    सितंबर में क्यों बढ़ेगा आयात?

    व्यापारियों का कहना है कि सितंबर में रूस के पास ज्यादा तेल उपलब्ध है। वहां रिफाइनरी बंद होने से घरेलू ईंधन उत्पादन कम हुआ है। बीएनपी पारिबा (BNP Paribas) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक चर्चा चल रही है।

    लेकिन रूस के सस्ते तेल और भारत की रिफाइनरी जरूरतों के कारण आयात में बड़ी कटौती नहीं होगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी, जो रूस के तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं, ने सितंबर की योजना पर कोई टिप्पणी नहीं की। रूस का तेल सस्ता होने से भारतीय रिफाइनरों को फायदा हो रहा है।

    भारत सरकार का रुख क्या है?

    भारत सरकार टैरिफ विवाद को बातचीत से सुलझाने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे। अमेरिका का कहना है कि भारत सस्ते रूसी तेल से मुनाफा कमा रहा है।

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    लेकिन भारत का जवाब है कि पश्चिमी देश खुद रूस से अरबों का सामान खरीदते हैं। भारत का कहना है कि उसका तेल आयात बाजार और 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा जरूरतों पर आधारित है। 

    रूस से तेल लेना क्यों जरूरी?

    पिछले दो सालों में भारत ने सस्ते रूसी तेल पर निर्भरता बढ़ाई। इससे ओपेक से महंगा तेल खरीदना कम हुआ। 2024 में ओपेक का हिस्सा थोड़ा बढ़ा, लेकिन रूस का तेल सस्ता है। सितंबर के लिए रूस का यूराल तेल ब्रेंट बेंचमार्क से 2-3 डॉलर प्रति बैरल सस्ता है। अगस्त में ये छूट 1.50 डॉलर थी, जो 2022 के बाद सबसे कम थी। 

    अगर भारत रूस से तेल लेना बंद कर दे तो?

    विश्लेषकों का कहना है कि अगर भारत रूस से तेल लेना कम करता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति में 10 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी आ सकती है। इससे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं।

    ये रूस के लिए भी बड़ा झटका होगा, क्योंकि भारत उसका बड़ा खरीदार है। CLSA का कहना है कि जब तक वैश्विक प्रतिबंध या नीति में बदलाव नहीं होता, भारत रूस से तेल लेना जारी रखेगा। 

    इधर, बाजार के जानकारों का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ और यूरोपीय प्रतिबंधों का असर अक्टूबर में आने वाली खेपों पर दिखेगा। इनका व्यापार अभी शुरू हुआ है।