परमाणु परीक्षण का प्रतिबंध, मंदी और कोरोना जैसे बड़े तूफान झेला भारत, टैरिफ का दौर भी गुजर जाएगा: एक्सपर्ट
Trump Tariffs News भारत के ऊपर अमेरिका द्वारा लगाया गया 50 फीसदी टैरिफ का दौर गुजर जाएगा। क्योंकि भारत ने इससे पहले कई बड़े संकट देखें हैं और उसका मजबूती से डट कर सामना किया है। परमाणु परीक्षण के बाद चाहे वो अमेरिकी प्रतिबंध हो या फिर आर्थिक मंदी का दौर या फिर कोविड का दौर।

नई दिल्ली। Trump Tariffs News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ (Trump Tariff) लगा दिया है। टैरिफ की खूब हो हल्ला हो रही है। लेकिन ऐसी जो रिपोर्ट आ रही है उसमे भारत को ज्यादा नुकसान न होने की बात कही जा रही है। इन सबके बीच एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत के इतिहास की बात करें तो ट्रंप टैरिफ उसके आगे कुछ नहीं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत आर्थिक मंदी के दौर से लेकर परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों और कोविड जैसे बड़े तूफानों को झेल गया। उसके हिसाब से ट्रंप टैरिफ तो एक छोटा सा हवा का झोका बस है। यह दौर भी जल्द ही गुजर जाएगा। आइए इसे तीन हिस्सों में समझने की कोशिश करते हैं।
भारत पर नहीं पड़ेगा टैरिफ का असर
एक्सपर्ट्स के अनुसार अमेरिका को भारत लगभग 86 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापारिक निर्यात करता है। यह हमारी जीडीपी का लगभग 2 फीसदी है। 86 बिलियन अमेरिकी डॉलर में से, पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal Tariffs) में लगभग 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर शामिल है। Value added के हिसाब से भी देखें तो ज्यादा प्रभाव नहीं पडेगा। क्योंकि कई निर्यात आयात भी करते हैं। ऐसे में टैरिफ का असर उतना नहीं पड़ेगा।
भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत है, रेटिंग अच्छी हैं, और विकास दर बेहतर है। हम जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं, और हर साल 300 अरब डॉलर से अधिक जीडीपी में जोड़ रहे हैं। ऐसे में भारतवासियों को इस प्रभाव को गंभीरता से लेना चाहिए, लेकिन इसे बढ़ा-चढ़ाकर नहीं देखना चाहिए, ताकि हमारी स्थिति कमजोर न हो।
भारत ने पार किए हैं एक से एक बड़े संकट
विशेषज्ञों के अनुसार भारत ने ट्रंप के टैरिफ से पहले भी कई बड़े संकटों जैसे परमाणु प्रतिबंध, कोविड, वैश्विक वित्तीय संकट का सामना किया है और हर बार मजबूत होकर उभरा है। इन बड़े संकटों से निकलने हमें थोड़ी कठिनाई भले हुई है लेकिन हमने हर बार मजबूती से ऐसे संकट का सामना किया और एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनकर उभरे।
ट्रंप टैरिफ को चुनौती में अवसर की तरह लेना चाहिए
बड़े-बड़े संकट को भारत ने पार किया तो ट्रंप टैरिफ को एक चुनौती की तरह लेना चाहिए और इसे हमें खुद को आगे बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए। भारत को यह ध्यान देना होगा कि अपने घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र में क्या सुधार किए जा सकते हैं ताकि हमारे व्यवसायों के लिए विश्वस्तरीय वातावरण बन सके।
भारत और अमेरिका एक दूसरे के बड़े अहम साझेदार है। ऐसे में हमें अपने कम्यूनिकेशन यानी संचार चैनल को खुला रखना चाहिए। भारत का दबदबा श्रम-आधारित उत्पादों (जैसे कपड़ा, चमड़ा, जेनेरिक दवाएं, रत्न-आभूषण, इंजीनियरिंग सामान) में है, जबकि अमेरिका का दबदबा ईंधन, उच्च तकनीक मशीनरी, चिकित्सा उपकरण और तकनीकी उत्पादों में है। ऐसे में बातचीत के जरिए नए विकल्प तलाशे जा सकते हैं।
अमेरिका से इतर अन्य बड़े बाजारों की करनी चाहिए तलाश
ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, जापान आदि देशों के साथ मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) का लाभ उठाकर मुक्त व्यापार समझौते (FTA) वाले देशों में निर्यात को बढ़ाना चाहिए।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को EFTA और यूके मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) को लागू करने और यूरोपीय संघ, ओमान, कुछ लैटिन अमेरिकी देशों आदि के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) को शीघ्रता से संपन्न करने की दिशा में कार्य करना चाहिए।
इसके साथ भारत को निर्यात के लिए और भी विकल्प खोजने चाहिए। जैसा की मालुम हो कि भारत का व्यापारिक निर्यात वैश्विक व्यापार का केवल 2.1% है। इसलिए, अन्य बाजारों को खोजा जा सकता है।
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