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    UPI ट्रांजेक्शन से हुई चोरी, अब SBI इस शख्स को देगा 99,940 रुपये; क्या है पूरा मामला?

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 03:55 PM (IST)

    Business News: चंडीगढ़ से एक मामला सामने आया है, जिसमें एक शख्स के साथ यूपीआई के जरिए धोखाधड़ी हुई। इस धोखाधड़ी में उसके 99,940 रुपये उड़ गए। अब इसकी भरपाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया करने वाला है। चंडीगढ़ के उपभोक्ता आयोग ने किस नियम के आधार पर  शख्स के पक्ष में फैसला लिया?

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    चंडीगढ़ से एक मामला सामने आया है, जिसमें एक शख्स के साथ यूपीआई के जरिए धोखाधड़ी हुई। इस धोखाधड़ी में उसके 99,940 रुपये उड़ गए। अब इसकी भरपाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया करने वाला है। चंडीगढ़ के उपभोक्ता आयोग ने किस नियम के आधार पर  शख्स के पक्ष में फैसला लिया?

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    क्या है पूरा मामला?

    चंडीगढ़ स्थित एक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच में संजीव कुमार शर्मा का बचत खाता था। 21 जुलाईदोपहर 2.50 बजे  संजीव कुमार शर्मा के मोबाइल में लगातार यूपीआई ट्रांजैक्शन के मैसेज आते हैं। देखते ही देखते संजीव के खाते से 25,060 रुपये की राशि तीन बार, एक बार 24,560 रुपये और 200 रुपये डेबिट हो जाते हैं।

    संजीव के खाते से कुल 99,940 रुपये चले जाते हैं। इस मामले पर संजीव ने तुरंत एक्शन लिया। सबसे पहले संजीव ने इस धोखाधड़ी की शिकायत की। इसके साथ ही अपना खाता और मोबाइल नंबर दोनों बंद करवा दिया। संजीव ने इसकी शिकायत  साइबर सेल और बैंक में जाकर भी दर्ज की ।

    बैंक वालों ने उस समय उनकी शिकायत दर्ज कर ली और उन्हें जल्द से जल्द कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। इसके साथ ही उन्हें बोला गया कि कार्रवाई के बाद 15 दिन के अंतर्गत उनकी रकम वापस आ जाएगी। 

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    लेकिन कई दिन बीत गए, संजीव ने लगातार बैंक से संपर्क किया और कार्रवाई के बारे में पूछताछ की। उनके हाथ कुछ नहीं लगा। परेशान होकर संजीव ने चंडीगढ़ के उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की। 

    बैंक ने क्या कहा?

    बैंक ने इस मामले में तर्क दिया कि ये पैसे यूपीआई के जरिए ट्रांसफर हुए थे। यूपीआई ट्रांजैक्शन बिना यूपीआई पिन के संभव नहीं। इसलिए इसमें बैंक की कोई भागीदारी नहीं है। साथ ही बैंक ने अपनी सर्विस में किसी भी तरह की कमी से इनकार कर दिया और शिकायत को खारिज करने की मांग की। 

    उपभोक्ता आयोग ने इस पर क्या लिया फैसला?

    आयोग ने ग्राहक के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। आयोग  ने इस केस में 6 जुलाई 2017 को जारी आरबीआई के एक सर्कुलर का हवाला दिया। इसके साथ ही आयोग ने राष्ट्रीय आयोग और बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा लिए गए कई निर्णयों का भी हवाला दिया।

    आयोग ने माना कि अगर किसी तीसरे पक्ष की ओर से गैरकानूनी रूप से  लेनदेन होता है, तो इस मामले में ग्राहक की जिम्मेदारी नहीं होती। चाहे बैंक की ओर से कोई चूक हो या नहीं। इसके साथ ही आयोग ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को ये आदेश दिया कि वे संजीव (ग्राहक) के हुए नुकसान की भरपाई करें। 

    इसके अलावा आयोग ने आदेश दिया कि बैंक को 99,940 रुपये संजीव को देने होंगे और जिस तारीख से नुकसान हुआ है, उसके हिसाब से 9 फीसदी ब्याज भी देना पड़ेगा।


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