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    UPI का मैजिक; ट्रांजैक्शन-सर्विस फ्री, फिरभी करोड़ों की कमाई कर रहे पेमेंट एप, पर कैसे? चौंका देगी ये जानकारी

    देश-दुनिया में UPI सर्विस का बोलबाला है। बस एक क्लिक और पैसे ट्रांसफर वो भी बिल्कुल मुफ्त। चाहे चाय की टपरी हो या ऑनलाइन शॉपिंग गूगल-पे और फोन-पे जैसे ऐप्स हर जगह छाए हैं। अब सवाल यह है कि अगर ये सर्विस फ्री है तो फिर यूपीआई पेमेंट एप्स वाली कंपनियां हजारों-करोड़ों रुपए कैसे (payment apps earnings) कमा रही हैं? चलिए समझते हैं पूरी कहानी।

    By Ankit Kumar Katiyar Edited By: Ankit Kumar Katiyar Updated: Thu, 14 Aug 2025 06:30 PM (IST)
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    ट्रांजैक्शन-सर्विस फ्री, फिरभी करोड़ों की कमाई कर रहे पेमेंट एप।

    नई दिल्ली | यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी UPI ने पेमेंट की दुनिया में तहलका मचाकर रखा है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भारत की UPI सर्विस का बोलबाला है। बस एक क्लिक और पैसे ट्रांसफर, वो भी बिल्कुल मुफ्त। चाहे चाय की टपरी हो या ऑनलाइन शॉपिंग, गूगल-पे और फोन-पे जैसे ऐप्स हर जगह छाए हैं।

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    अब सवाल यह है कि अगर ये सर्विस फ्री है, तो फिर यूपीआई पेमेंट एप्स वाली कंपनियां हजारों-करोड़ों रुपए कैसे (payment apps earnings) कमा रही हैं? बिना कुछ बेचे इतनी कमाई का राज़ क्या है? कभी ना कभी ये सवाल आपके मन में भी आया होगा। तो चलिए समझते हैं इसकी पूरी कहानी। 

    ट्रस्ट, स्केल और इनोवेशन पर टिका बिजनेस मॉडल

    फोनपे और गूगलपे जैसे एप्स की कमाई एक खास बिजनेस मॉडल से हुई, जो ट्रस्ट, स्केल और इनोवेशन पर टिका है। इसे लेकर आईसी वीसी के फाउंडिंग पार्टनर मृणाल झवेरी ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट शेयर किया।

    जिसमें उन्होंने बताया कि फोनपे और गूगलपे ने पिछले साल 5,065 करोड़ रुपए की कमाई की, वो भी बिनाई कोई प्रोडक्ट बेचकर। उन्होंने इन एप्स की कमाई के बारे में डिटेल में बताया। इनमें किराना स्पीकर यानी वॉयस-ऑपरेटिंग स्पीकर सर्विस, स्क्रेच कार्डस, सॉफ्टवेयर और लोन जैसी सुविधाएं शामिल हैं। 

    1. वॉयस-ऑपरेटिंग स्पीकर

    आमतौर पर जब आप UPI से किसी दुकान पर पेमेंट करते हैं तो आपको सुनाई देता है- "...50 रुपए प्राप्त हुए"। मृणाल झवेरी के मुताबिक, यह सिर्फ एक नोटिफेकिशन नहीं बल्कि रुपए बनाने का बड़ा तरीका है।  फोनपे, गूगलपे और पेटीएम जैसी तमाम कंपनियों ने इन वॉयस स्पीकर्स को दुकानदारों को रेंट पर दे रखा है, जिसके बदले हर महीने 100 रुपए तक जाते हैं।

    भले ही यह रकम छोटी है, लेकिन 100, 200, 1000 या उससे ज्यादा दुकानों के हिसाब से देखें तो यह रकम बहुत लाखों-करोड़ों में पहुंच जाती है। बता दें कि हर बार पेमेंट का कंफर्मेशन दुकानदार और कस्टमर दोनों को संतुष्ट करता है। साथ ही, ब्रांड की क्रेडिबिलिटी भी बढ़ती है।

    2. स्क्रैच कार्ड्स से दोहरी कमाई

    कई बार आपने देखा होगा कि पेमेंट करने पर आपको स्क्रैच कार्ड मिलते हैं, जो आपको कैशबैक या फिर कूपन के रूप में मिलते हैं। मृणाल झवेरी के मुताबिक, यह कैशबैक कूपन आपको खुश करने के लिए नहीं मिलते, बल्कि ये ब्रांड की ब्राडिंग यानी उनके विज्ञापन का तरीका है। ब्रांड्स ग्राहकों तक पहुंचने के लिए इन कार्ड्स के लिए पेमेंट करते हैं। जिससे इन एप्स को दोहरा फायदा होता है। 

    यह भी पढ़ें- UPI Payment Limit : यूपीआई से एक दिन में कर सकेंगे ₹1 लाख से ज्यादा की पेमेंट, लेकिन कैसे? जानें एक-एक पॉइंट

    3. सॉफ्टवेयर और लोन से मुनाफा

    इन कंपनियों ने UPI की ताकत को एक सॉफ्टवेयर सर्विस (SaaS) के रूप में बदल दिया है। इसके जरिए छोटे व्यवसायियों को GST सहायता, इनवॉइस बनाने और छोटे लोन जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। UPI का बुनियादी ढांचा सिर्फ एक आकर्षण है, असली कमाई सॉफ्टवेयर और वित्तीय सेवाओं से होती है। इस मॉडल में शुरुआती लागत शून्य है, जिससे यह और भी प्रभावी हो जाता है।

    तो क्या हमेशा फ्री रहेगा UPI ?

    यह एक ऐसा सवाल है जो पिछले दिनों काफी चर्चा में रहा। जिस पर 6 अगस्त को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर संजय मल्होत्रा का रिएक्शन भी आया। उन्होंने कहा- "मैंने कभी नहीं कहा कि UPI हमेशा मुफ्त रह सकता है। यह अभी भी मुफ्त नहीं है, कोई ना कोई इसके लिए पेमेंट कर रहा है।

    चाहे सामूहिक रूप से हो या व्यक्तिगत रूप से, किसी ना किसी को तो लागत वहन करनी ही होगी। सरकार इसे सब्सिडी दे रही है। लेकिन मैंने कभी नहीं कहा कि यूजर्स को भुगतान करना होगा।"