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    UPS vs NPS : आपके लिए कौन-सी पेंशन स्कीम रहेगी बेहतर, दोनों में क्या है अंतर?

    Updated: Sun, 25 Aug 2024 07:16 PM (IST)

    नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार लाई थी। इसे 2009 में प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी खोल दिया गया। इसका मकसद पुरानी पेंशन योजना (OPS) की जगह लेना था जो सरकारी खजाने पर भारी बोझ डाल रही थी। सरकारी कर्मचारियों ने शुरू से ही विरोध किया जो अब तक जारी था। यही वजह है कि सरकार अब यूनिफाइड पेंशन स्कीम लाई है।

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    यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार की नई पहल है।

    बिनजेस डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को मंजूरी दे दी है। इससे रिटायरमेंट के बाद पेंशन की गारंटी मिलेगी। सरकारी कर्मचारी लंबे वक्त से नेशनल पेमेंट सिस्टम (NPS) को वापस लेने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग कर रहे थे। सरकार ने पुरानी पेंशन योजना और एनपीएस को मिक्स करके यूनिफाइड पेंशन स्कीम बनाई है।

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    आइए जानते हैं कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम क्या है और इसमें और NPS में क्या अंतर है।

    यूनिफाइड पेंशन स्कीम क्या है?

    यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सरकार की नई पहल है। यह काफी हद तक ओल्ड पेंशन स्कीम की है। इसमें सरकारी कर्मचारियों को निश्चित और न्यूनतम पेंशन की गारंटी मिलेगी। अगर अगर किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी ने 25 साल की न्यूनतम सर्विस दी है, तो उसे रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों के औसत बेसिक सैलरी का 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलेगी।

    इसका मतलब कि अगर किसी औसत बेसिक सैलरी 50 हजार रुपये रहेगी, तो उसे पेंशन के रूप में 25 हजार रुपये प्रति माह मिलेंगे। अगर किसी सेवा अवधि कम है, तो उसे उसी हिसाब से कम पेंशन मिलेगी। पेंशन के लिए कम से कम 10 साल की सर्विस करनी अनिवार्य रहेगी।

    नेशनल पेंशन सिस्टम क्या है?

    नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार लाई थी। इसे 2009 में प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी खोल दिया गया। इसका मकसद पुरानी पेंशन योजना (OPS) की जगह लेना था, जो सरकारी खजाने पर भारी बोझ डाल रही थी। सरकारी कर्मचारियों ने शुरू से ही विरोध किया, जो अब तक जारी था।

    NPS के तहत कर्मचारियों से भी पेंशन के लिए कंट्रीब्यूशन लिया जाने लगा। साथ ही, रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी 60 फीसदी रकम निकाल सकते थे, जबकि बाकी 40 फीसदी से उन्हें पेंशन मिलती। इसमें समय को लेकर भी कुछ बंदिशें हैं।

    UPS और NPS के बीच अंतर

    • UPS के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को निश्चित पेंशन मिलेगी। यह उनकी रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का आधा होगी। वहीं, NPS में पेंशन की रकम बाजार के रिटर्न पर निर्भर होती थी, जिससे उसमें उतार-चढ़ाव होता रहता।
    • UPS और NPS दोनों में सरकारी कर्मचारियों को वेतन का 10 फीसदी योगदान देना होगा। हालांकि, सरकार अपना योगदान बढ़ाएगी। वह NPS में 14 फीसदी कंट्रीब्यूट करती थी, जबकि UPS में 18.5 फीसदी करेगी।
    • UPS के तहत 25 साल की सर्विस के बाद कर्मचारियों को फिक्स पेंशन और एकमुश्त रकम मिलेगी। पेंशन में महंगाई दर के हिसाब से इजाफा भी होगा। वहीं, NPS में कई कर्मचारियों को नाममात्र की पेंशन मिल रही थी।
    • NPS में कोई निश्चित पेंशन नहीं थी। वहीं, UPS में पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन की गारंटी है। 10 साल की सेवा के बाद UPS में न्यूनतम 10 हजार की पेंशन की गारंटी होगी। NPS में ऐसा कोई प्रावधान नहीं।
    • NPS के कंट्रीब्यूशन को बाजार में निवेश किया जाता है। ऐसे में पेंशन भी बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर थी। UPS में बाजार पर निर्भरता को खत्म कर दिया है, जिससे कर्मचारियों को अधिक स्थिरता मिलती है।

    यह भी पढ़ें : OPS और NPS से कैसे अलग है यूनिफाइड पेंशन स्कीम, कर्मचारियों को फायदा होगा या नुकसान?