Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    अदाणी को हराकर जीत ली JP Associates की बोली, अब 17000 करोड़ रुपये चुकाना लग रही चुनौती, वेदांता ने मांगा कर्ज

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 06:38 PM (IST)

    माइनिंग कारोबारी अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांता समूह ने अदाणी ग्रुप से ज्यादा बोली लगाकर जेपी एसोसिएट्स को खरीदा है, और अब 17000 करोड़ की रकम जुटाने के लिए कुछ विदेशी हेज फंड्स के साथ बातचीत की है। उधर,  वेदांता को जेएएल अधिग्रहण के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।

    Hero Image

    नई दिल्ली। अरबपति माइनिंग कारोबारी अनिल अग्रवाल की वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited) ने दिवालिया कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (Jaiprakash Associates) को खरीदने के लिए लगी बोली में अदाणी ग्रुप को हरा दिया था। लेकिन, अब 17,000 करोड़ रुपये की रकम जुटाने के लिए वेदांता समूह ग्लोबल इन्वेस्टर्स और हेज फंडों से संपर्क कर रहा है। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले यह बताया गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वेदांता समूह ने फंडिंग के लिए कुछ विदेशी हेज फंड्स के साथ शुरुआती बातचीत की है। हालांकि, इस बारे में कंपनी की ओर से कोई कमेंट नहीं किया गया फंड जुटाने के लिए यह बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के कर्जदारों ने वेदांता की बोली का समर्थन करने के लिए धन का प्रमाण या एक सहमति पत्र मांगा है। वेदांता को 17,000 करोड़ रुपये के जेएएल अधिग्रहण के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।

    डील को पूरा करने की शर्तें

    दरअसल, इस डील को पूरा करने के लिए वेदांता लिमिटेड को 3800 करोड़ रुपये अपफ्रंट देने होंगे और बाकी का पैसा अगले 5 सालों में चुकाना होगा। चूंकि, जयप्रकाश एसोसिएट्स का बिजनेस, वेदांता ग्रुप के बिजनेसेज से अलग है इसलिए क्रेडिट रिसर्च फर्म इस डील को लेकर चिंतित है। क्रेडिट साइट्स ने कहा, हम वेदांता के इस नए वेंचर की शुरुआत और इससे जुड़े जोखिमों पर नजर रखे हुए हैं।

    यदि प्रस्तावित लेनदेन सफल रहा, तो जेएएल के व्यापक भूमि बैंकों और टाउनशिप परिसंपत्तियों के माध्यम से वेदांता की बिजली उत्पादन क्षमता और अचल संपत्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

    ये भी पढ़ें- JP Associates क्यों नहीं खरीद पाए गौतम अदाणी, अनिल अग्रवाल से हैं 46 गुना अधिक दौलतमंद; कैसे पलटी बाजी?

    जुलाई में, अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर, वायसराय रिसर्च ने वेदांता पर ऑडिट अनियमितताओं, छिपी हुई देनदारियों और अस्थिर लोन प्रथाओं में लिप्त होने का आरोप लगाया था। उन्होंने वेदांता पर अपनी भारतीय सहायक कंपनियों से नकदी निकालकर कर्ज से जूझ रहीं मूल कंपनी की सहायता करने का आरोप लगाया था।