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    BRICS देशों में किसकी करेंसी सबसे ताकतवर; भारत-ब्राजील-रूस नहीं, इस देश ने मार ली बाजी

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 03:45 PM (IST)

    ब्रिक्स जिसमें पहले ब्राजील रूस भारत और चीन शामिल थे में बाद में दक्षिण अफ्रीका भी जुड़ गया। अब इसमें मिस्र इथियोपिया इंडोनेशिया ईरान और यूएई के शामिल होने से कुल 10 सदस्य देश हैं। इन देशों में यूएई की करेंसी सबसे मजबूत (BRICS Currency) है जहाँ 1 दिरहम 24.01 रुपये के बराबर है। विस्तारित ब्रिक्स की संयुक्त जीडीपी जी7 से भी अधिक है।

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    ब्रिक्स देशों में किसकी करेंसी है सबसे मजबूत

    नई दिल्ली। BRICS को पहले BRIC कहा जाता था। इसमें तब Brazil, Russia, India और China शामिल थे। बाद में South Africa शामिल हुआ, तो BRIC बन गया BRICS। समय के साथ इसमें 5 और मेंबर जुड़े, जिनमें मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं। यानी अब BRICS में कुल 10 देश शामिल हैं। आइए जानते हैं कि इन 10 देशों में सबसे मजबूत करेंसी किसकी है।

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    इस देश की मुद्रा सबसे मजबूत

    इन 10 देशों में सबसे मजबूत करेंसी यूएई की है। यूएई का 1 दिरहम 24.01 रुपये के बराबर है। वहीं 1 दिरहम 1.94 चाइनी युआन और रूस के 22.26 रूबल के बराबर है। साउथ अफ्रीका की करेंसी भी यूएई से कमजोर है। 1 दिरहम 4.78 साउथ अफ्रीकन रैंड के बराबर है।

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    रुपये में समझें सारा गणित 

    देश करेंसी भारतीय करेंसी
    यूएई 1 दिरहम 24.01 रुपये
    ब्राजील 1 ब्राजीलियन रियल 16.26 रुपये
    चीन 1 युआन 12.34 रुपये
    साउथ अफ्रीका 1 साउथ अफ्रीकन रैंड 5.01 रुपये
    इजिप्ट (मिस्र) 1 इजिप्शियन पाउंड 1.82 रुपये
    रूस 1 रशियन रूबल 1.08 रुपये
    इथियोपिया 1 इथियोपियन बिर्र 0.62 रुपये
    इंडोनेशिया 1 इंडोनेशियन रुपियाह 0.0053 रुपये
    ईरान 1 ईरानी रियाल 0.0021 रुपये


    कितनी बड़ी है BRICS की GDP

    एक रिपोर्ट के अनुसार, विस्तारित ब्रिक्स ग्रुप की संयुक्त नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2025 के मध्य तक लगभग 77 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गयी, जो जी7 के 57 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। पीपीपी आधार पर, ब्रिक्स के पास वैश्विक जीडीपी का लगभग 35% हिस्सा है, जो जी7 के 30% से अधिक है।

    नए देशों की एंट्री से बढ़ी जीडीपी

    ग्रुप का आर्थिक उत्पादन वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 40% है। साथ ही दुनिया की लगभग आधी आबादी भी इसमें आती है। 2024 में कई नए देशों के शामिल होने से समूह के ओवरऑल आर्थिक साइज और ग्लोबल इम्पैक्ट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।