RBI देगा बड़ी राहत? एक्सपर्ट बोले- इस बार ब्याज दरों में हो सकती है कटौती
आरबीआई के नवनियुक्त गवर्नर संजय मल्होत्रा बुधवार से शुरू होने वाली अपनी पहली एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। छह सदस्यीय समिति के फैसले की घोषणा सात फरवरी शुक्रवार को की जाएगी। विशेषज्ञों की राय है कि मौजूदा स्थिति नीतिगत दर में कटौती के लिए अनुकूल है क्योंकि यह खपत आधारित मांग वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बजट में घोषित उपायों के पूरक के रूप में काम करेगा।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो महीने पर होने वाली बैठक बुधवार (5 फरवरी) को शुरू हो गई। उम्मीद है कि इस बार एमपीसी शुक्रवार को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो कर्ज सस्ता होने का दौर एक बार फिर शुरू हो सकता है।
आरबीआई ने इससे पहले मई, 2020 में रेपो रेट को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया था। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि अर्थव्यवस्था को कोरोना महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के संकट से निपटने में मदद मिल सके। आरबीआई ने मई, 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर नीतिगत दर में वृद्धि का सिलसिला शुरू किया था और मई, 2023 में वृद्धि पर रोक लगी। अभी रेपो रेट 6.5 प्रतिशत है।
हमें नहीं लगता कि केंद्रीय बजट में किए गए राजकोषीय प्रोत्साहन का मुद्रास्फीति पर महत्वपूर्ण असर होगा। ऐसे में हमें लगता है कि स्थितियां फरवरी, 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में दर में कटौती के पक्ष में है। हालांकि, अगर वैश्विक कारक इस सप्ताह के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में और अधिक कमजोरी का कारण बनते हैं, तो नीतिगत दर में कटौती अप्रैल, 2025 तक टल सकती है।
अदिति नायर, मुख्य अर्थशास्त्री, इक्रा
आरबीआई के नवनियुक्त गवर्नर संजय मल्होत्रा बुधवार से शुरू होने वाली अपनी पहली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। छह सदस्यीय समिति के फैसले की घोषणा सात फरवरी शुक्रवार को की जाएगी। विशेषज्ञों की राय है कि मौजूदा स्थिति नीतिगत दर में कटौती के लिए अनुकूल है क्योंकि यह खपत आधारित मांग वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बजट में घोषित उपायों के पूरक के रूप में काम करेगा।
एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति चौथी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत और चालू वित्त वर्ष में औसतन 4.8 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है। इसमें यह भी कहा गया है कि जनवरी के मुद्रास्फीति आंकड़े 4.5 प्रतिशत के आसपास बने हुए हैं।
हमें फरवरी, 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद है। फरवरी और अप्रैल में दो बार कटौती के साथ नीतिगत दर में कुल 0.75 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है। उसके बाद यथास्थिति रखने के बाद नीतिगत दर में कटौती का दूसरा दौर अक्टूबर, 2025 से शुरू हो सकता है।
SBI के आर्थिक विभाग की रिसर्च रिपोर्ट
गोल्डमैन सैक्स को 0.25 प्रतिशत कटौती की उम्मीद
प्रतिष्ठित गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि आरबीआई रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। उसका मानना है कि बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते कटौती आवश्यक है। वैश्विक वित्तीय फर्म के भारत के अर्थशास्त्री शांतनु सेनगुप्ता के मुताबिक, भविष्य अनिश्चित बना हुआ है और नीति निर्माताओं को विभिन्न आर्थिक कारकों का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करने की आवश्यकता होगी।
उन्होंने एक मीडिया रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि वैश्विक आर्थिक परिवर्तन और टैरिफ समायोजन से मुद्रास्फीति में मामूली वृद्धि हो सकती है, लेकिन अन्य देशों की तुलना में भारत पर इसका प्रभाव कम होने की संभावना है।
क्या है इंडस्ट्री और एक्सपर्ट की राय?
सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के फाउंडर और चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि आरबीआई आगामी एमपीसी मीटिंग रेपो रेट कट कर सकता है। यह भारत की आर्थिक गति को आकार देने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। खासकर, जब केंद्रीय बजट 2025 से खपत और निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। रियल एस्टेट क्षेत्र में, इस तरह के नीतिगत बदलाव से अधिक किफायती होम लोन मिल सकते हैं, जिससे लोगों की आवास खरीदने की क्षमता बेहतर होगी और डिमांड को बढ़ावा मिलेगा।
गोल्डन ग्रोथ फंड (जीजीएफ) के सीईओ अंकुर जालान का मानना है कि यह ब्याज दरों में कटौती करने का यह आदर्श समय है। यह खपत को प्रोत्साहित करने और रियल एस्टेट सहित सभी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधि को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक गतिविधियां प्रमुख उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के चुनौतियां बढ़ा रही हैं। ऐसे में और आरबीआई की ओर से सक्रिय उपाय देश की आर्थिक संभावनाओं को अनचाही मुश्किलों से बचाएंगे।
गुरुग्राम स्थित प्रॉपर्टी कंसल्टिंग फर्म इंफ्रा मंत्रा के डायरेक्टर और को-फाउंडर गर्वित तिवारी का कहना है कि आरबीआई से उम्मीद है कि वह शहरी खपत को बढ़ावा देने के लिए बजट में दिखाए गए रास्ते पर आगे बढ़ेगा, जिसमें गिरावट आई है। शीर्ष बैंक ने लगातार 11वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। भारत की घटती जीडीपी वृद्धि दर को देखते हुए, इस समय दरों में कटौती से रियल एस्टेट क्षेत्र को मदद मिलेगी।
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