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    Budget 2022: MFIs ने की क्रेडिट गारंटी योजना के विस्तार की मांग, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखा पत्र

    By Lakshya KumarEdited By:
    Updated: Fri, 07 Jan 2022 07:47 AM (IST)

    माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (MFIs) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर सूक्ष्म ऋणदाताओं के लिए 15000 करोड़ रुपये की राशि के साथ वित्त वर्ष 2022-23 तक क्रेडिट गारंटी योजना का विस्तार करने की मांग की है। बता दें कि सरकार अगले महीने 2022-23 का बजट पेश करने वाली है।

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    माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (MFIs) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है।

    नई दिल्ली, पीटीआइ । माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (MFIs) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर सूक्ष्म ऋणदाताओं के लिए 15,000 करोड़ रुपये की राशि के साथ वित्त वर्ष 2022-23 तक क्रेडिट गारंटी योजना का विस्तार करने की मांग की है। इस राशि में से कम से कम 75 प्रतिशत छोटे और मध्यम आकार के MFIs के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए। सूक्ष्म वित्त क्षेत्र के लिए एक स्व-नियामक संगठन सा-धन (Sa-Dhan) ने वित्त मंत्री को बजट के पूर्व अपनी अपेक्षाओं के बारे में लिखते हुए यह मांग की। बता दें कि सरकार अगले महीने 2022-23 का बजट पेश करने वाली है।

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    संगठन ने कहा कि छोटे MFIs को अतिरिक्त/नया निवेश जुटाना मुश्किल हो रहा है और इसलिए उन्होंने 5 से 7 साल के कार्यकाल वाले अधीनस्थ ऋण के साथ सहायता का अनुरोध किया। इसने यह भी कहा कि SIDBI और NABARD को अर्ध शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे MFIs को विशेष रूप से ऋण/इक्विटी प्रदान करने के लिए पांच साल के लिए कर-मुक्त सामाजिक बॉन्ड जारी करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इनमें से करीब 30 फीसदी फंड इक्विटी और बाकी डेट (Debt) के रूप में हो सकते हैं।

    इसके अलावा, सूक्ष्म ऋणदाताओं ने अनुदान के साथ-साथ रिवॉल्विंग फंड/रिफाइनेंस सपोर्ट के साथ गैर-लाभकारी MFIs को सहायता के लिए NABARD में 1,000 करोड़ रुपये के माइक्रोफाइनेंस डेवलपमेंट फंड की स्थापना का अनुरोध किया गया है।

    सा-धन के कार्यकारी निदेशक पी सतीश ने कहा, "माइक्रोफाइनेंस सेक्टर ने पिछले वित्त वर्ष में 2,03,262 लाख करोड़ रुपये का वितरण किया, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 1.5 प्रतिशत के करीब है। इसलिए, अगर आगामी केंद्रीय बजट में इस क्षेत्र को पर्याप्त रूप से सपोर्ट दिया जाता है, तो यह विकास और खपत को पुनर्जीवित करने और चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।"

    उन्होंने कहा कि सरकार ने चल रही महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान क्रेडिट गारंटी योजना सहित विभिन्न उपायों के माध्यम से इस क्षेत्र को सपोर्ट किया है। हालांकि, इस क्षेत्र को अभी भी उच्च ऋण लागत और कम लागत वाली लंबी अवधि के फंड तक पहुंचने के मामले में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।