देश में खाद्य पदार्थों की मांग सालाना सिर्फ 2.5% बढ़ रही, सरप्लस उत्पादन के लिए निर्यात के अवसर तलाशने होंगेः रमेश चंद
Food demand growth: नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के एक कार्यक्रम में कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि क ...और पढ़ें

विकसित भारत के लिए कृषि में 5% ग्रोथ चाहिए
नीति आयोग के सदस्य और कृषि अर्थशास्त्री प्रो. रमेश चंद ने कहा है कि पिछले दस वर्षों में भारत में कृषि की ग्रोथ 4.6 प्रतिशत के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गई। यह चीन की कृषि विकास दर से भी ज्यादा है। इंडस्ट्री बॉडी पीएचडी चैंबर के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत को विकसित देश बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए खेती में 5 प्रतिशत की ग्रोथ हासिल करने की जरूरत है।
रमेश चंद ने कहा कि 5 प्रतिशत की ग्रोथ के साथ भारत अपनी कृषि GDP को तेजी से तीन गुना कर सकता है, जबकि मौजूदा रेट पर इसके लिए 24-25 साल चाहिए। कृषि विकास दर बढ़ाने से भारत को 30 ट्रिलियन (लाख करोड़) डॉलर की इकोनॉमी बनाने के बड़े लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।
आबादी में धीमी वृद्धि के कारण मांग भी कम बढ़ रही
उन्होंने कहा कि आबादी में धीमी वृद्धि के कारण घरेलू स्तर पर खाद्य पदार्थों की मांग (domestic food demand) सालाना सिर्फ 2.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। इसलिए भारत को या तो सरप्लस उत्पादन (surplus production) का निर्यात करना होगा (export opportunities) या बायोफ्यूल जैसे दूसरे इस्तेमाल ढूंढ़ने होंगे।
उन्होंने कहा कि भारत, चीन के इंटेंसिव खेती के तरीकों से सीख सकता है। चीन के किसान भारत की तुलना में दोगुने से ज्यादा फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण पर बुरे असर से भी बचते हैं।
उन्होंने कई ग्रोथ ड्राइवर्स की पहचान की, जिनमें फसल की इंटेंसिटी बढ़ाना, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और राज्यों के बीच पैदावार के अंतर को कम करना शामिल हैं। कुछ राज्यों में प्रति हेक्टेयर 70 क्विंटल मक्के की पैदावार होती है, जबकि दूसरे सिर्फ 25 क्विंटल ही कर पाते हैं। उन्होंने खेती के नकली इनपुट से निपटने की जरूरत पर भी जोर दिया।
एमएसपी पर उपज खरीद के बजाय भावांतर भुगतान
उन्होंने किसानों से उपज की खरीद के बजाय भाव में अंतर के भुगतान के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने की भी वकालत की, ताकि बाजार की कीमतें न बिगड़े और निर्यात प्रतिस्पर्धा को नुकसान न पहुंचे।
नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत के कृषि क्षेत्र की विकास दर 4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले साल यह 4.6 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा, मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही के एग्रीकल्चर ग्रोथ के आंकड़ों को देखें तो दूसरा हाफ नॉर्मल रहने की उम्मीद है। इस वर्ष पहली तिमाही में कृषि विकास 3.7 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

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