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    दालों में आत्मनिर्भरता के लिए मिशन की शुरुआत करेंगे पीएम मोदी, रकबा और उत्पादकता बढ़ाने की क्या है योजना

    Updated: Fri, 10 Oct 2025 03:35 PM (IST)

    Mission for Atma Nirbharta in Pulses: भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बावजूद सबसे ज्यादा दालों का आयात भारत ही करता है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि देश में दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए 11 अक्टूबर को PM Modi अभियान की शुरुआत करेंगे।

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार, 11 अक्टूबर को ‘दलहन आत्मनिर्भरता मिशन’ (Self-Reliance in Pulses Mission) और ‘पीएम धन-धान्य योजना’ (PM Dhan-Dhaanya Yojana) की शुरुआत करने जा रहे हैं। इस अवसर पर कृषि अवसंरचना कोष, पशुपालन, मत्स्य पालन एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की 1,100 से अधिक परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया जाएगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी।

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    केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने को लेकर तत्परता से काम कर रही है। 2014 से अब-तक खाद्यान्न उत्पादन में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। गेहूं, चावल, मक्का, मूंगफली, सोयाबीन का उत्पादन रिकॉर्ड बढ़ा है। आज गेहूं और चावल में हम पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं, लेकिन दलहन के मामले में अभी और प्रयास करने की जरूरत है।

    सबसे बड़ा उत्पादक, फिर भी सबसे अधिक आयात

    केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक भी है उपभोक्ता भी, इसके बावजूद सबसे ज्यादा दालों का आयात भारत ही करता है। दालों में आत्मनिर्भरता के लिए ‘दलहन मिशन’ की योजना बनाई गई है।

    केंद्रीय मंत्री ने ‘दलहन मिशन’ के तहत बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी, उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की बात कही। उन्होंने बताया कि 2030-31 तक दालों के रकबे में बढ़ोतरी (Expansion of cultivation area) करने का लक्ष्य है। वर्तमान में यह 275 लाख हेक्टेयर है जिसे बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर किया जाएगा।

    प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने (Increase in productivity of pulses) की दिशा में भी काम किया जाएगा। अभी उत्पादकता 880 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जिसे बढ़ाकर 1,130 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर करने का प्रयास होगा। उन्होंने कहा कि अभी दालों का उत्पादन 242 लाख टन है जिसे बढ़ाकर 350 लाख टन किया जाएगा।

    कीट प्रतिरोधी और जलवायु अनुकूल किस्मों का विकास

    केंद्रीय मंत्री ने बताया कि दलहन से जुड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनुसंधान और विकास की रणनीति बनाई गई है। उच्च उत्पादकता वाली, कीट प्रतिरोधी और जलवायु अनुकूल किस्मों के विकास पर बल दिया जा रहा है। ऐसी किस्में किसानों तक सही समय पर पहुंचे, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अच्छे बीज किसानों तक ‘मिनी किट्स’ के रूप में पहुंचाए जाएंगे। 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज किसानों को वितरित किए जाएंगे। बीज के 88 लाख किट नि:शुल्क भी बांटे जाएंगे।

    बुवाई वाले क्षेत्र में ही प्रोसेसिंग के फायदे

    चौहान ने कहा कि दलहन बुवाई वाले क्षेत्रों में ही यदि प्रोसेसिंग का काम हो जाए तो किसानों को उपज के ठीक दाम भी मिलेंगे और प्रोसेसिंग का काम भी वहीं संपन्न हो जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1,000 प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने का लक्ष्य है, जिसपर सरकार 25 लाख रुपये की सब्सिडी देगी।

    दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के तहत तुअर, उड़द और मसूर जैसी प्रमुख दालों के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस मिशन के अंतर्गत केन्द्रीय एजेंसियां पंजीकृत किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 100 प्रतिशत खरीद करेंगी, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्राप्त होगा।

    कम उत्पादकता वाले जिलों में उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास

    प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना पर जानकारी देते हुए चौहान कहा कि पूरे देश में हर क्षेत्र की उत्पादकता एक जैसी नहीं है। अलग-अलग फसलों की उत्पादकता अलग-अलग राज्यों में भी अलग है। यहां तक कि एक राज्य में जिलों की उत्पादकता भी विभिन्न है। इसलिए सरकार ने तय किया है कि कम उत्पादकता वाले जिले छांटे जाएंगे और उनमें उत्पादकता बढ़ाने के लिए विशेष प्रयत्न किए जाएंगे।

    केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कम उत्पादकता वाले जिलों को यदि औसत स्तर पर भी ले आएं, तो देश के कुल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। जरूरतें भी पूरी होंगी और उन जिलों के किसानों की आय भी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल ऐसे 100 जिले चुने गए हैं। प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना के तहत इन जिलों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रयत्न किए जाएंगे। इन प्रयत्नों में सिंचाई की व्यवस्था में विस्तार, भंडारण की व्यवस्था, दीर्घकालिक और अल्पकालिक ऋणों की सुविधाओं में विस्तार और फसल विविधीकरण शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना, आकांक्षी जिलों के लिए बनाए मॉडल पर भी आधारित है। नीति आयोग डैश बोर्ड के माध्यम से इसकी निगरानी करेगा।