सॉवरेन गोल्ड vs फिजिकल गोल्ड… निवेश के लिए क्या सही, कौन देता है ज्यादा रिटर्न? 5 पॉइंट में जानिए फायदे-नुकसान
सोना हर भारतीय की पहली पसंद होता है। लेकिन जब निवेश की बात आती है तो अक्सर सवाल उठता है- क्या हमें गहनों में सोना खरीदना चाहिए या फिर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold vs Physical Gold) में पैसा लगाना चाहिए? दोनों में फायदे भी हैं और नुकसान भी। अगर इसे लेकर आप भी कन्फ्यूज हैं तो 5 पॉइंट्स में समझते हैं कि आखिर कौन-सा गोल्ड आपके लिए बेहतर है।

नई दिल्ली| आमतौर पर सोना हर भारतीय की पहली पसंद होता है। लेकिन जब निवेश की बात आती है, तो अक्सर सवाल उठता है- क्या हमें गहनों में सोना खरीदना चाहिए या फिर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold vs Physical Gold) में पैसा लगाना चाहिए? दोनों में फायदे भी हैं और नुकसान भी। अगर इसे लेकर आप भी कन्फ्यूज हैं, तो 5 पॉइंट्स में समझते हैं कि आखिर कौन-सा गोल्ड आपके लिए बेहतर है।
1. दोनों में असली फर्क क्या है?
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) सरकार की ओर से जारी बॉन्ड है, जिसमें सोने की कीमत से जुड़े रिटर्न मिलते हैं। इसमें घर में रखने की झंझट नहीं होती और न ही चोरी होने का डर होता है। जबकि फिजिकल गोल्ड यानी ज्वैलर वाला गोल्ड गहनों या सिक्कों के रूप मिलता है, जिसे आप पहन भी सकते हैं और बेच भी सकते हैं।
2. तुरंत पैसों की ज़रूरत पड़े तो?
सवॉरेन गोल्ड को बेचने के लिए आपको स्टॉक एक्सचेंज या बैंक की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, तुरंत कैश मिलना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। फिजिकल गोल्ड को ज्वैलर के पास तुरंत बेच सकते हैं या गिरवी रखकर तुरंत कैश ले सकते हैं।
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3. 2.5% ब्याज और टैक्स-फ्री फायदा
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में हर साल सोने की कीमत पर मिलने वाले रिटर्न के साथ 2.5% का फिक्स ब्याज भी मिलता है। और 8 साल पूरे होने पर बेचने पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता। जबकि फिजिकल गोल्ड में सिर्फ सोने की कीमत बढ़ने पर ही फायदा होगा, ब्याज या टैक्स-फ्री बेनिफिट नहीं मिलता।
4. मेकिंग चार्ज और GST का झंझट
सॉवरेन गोल्ड में कोई मेकिंग चार्ज या GST नहीं लगता। जो पैसा लगाओगे, वही निवेश माना जाएगा। वहीं फिजिकल गोल्ड में गहने बनवाते वक्त 10-20% तक मेकिंग चार्ज और 3% GST देना पड़ता है, यानी शुरुआत में ही नुकसान।
5. लंबे समय में ज्यादा रिटर्न कहां?
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में 5-10 साल तक रखने पर टैक्स फ्री मुनाफा प्लस 2.5% ब्याज के कारण रिटर्न ज्यादा मिलता है। जबकि फिजिकल गोल्ड में लंबे समय में सोने की कीमत जरूर बढ़ेगी, लेकिन टैक्स और चार्जेस की वजह से फायदा SGB जितना नहीं होगा।
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एक्सपर्स्ट का मानना है कि दोनों गोल्ड के अपने फायदे हैं। निवेश और ज्यादा रिटर्न के लिए SGB सबसे सही विकल्प है। तो वहीं तुरंत कैश और गहनों के शौक के लिए फिजिकल गोल्ड यानी ज्वैलर वाला गोल्ड बेस्ट है।
कहां से और कैसे खरीद सकते हैं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड?
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) भारत सरकार की ओर से जारी एक खास निवेश योजना है, जिसमें आप सोने में निवेश कर सकते हैं बिना उसे फिजिकली खरीदे। ये बॉन्ड डिजिटल रूप में होते हैं और सोने की कीमत से जुड़े होते हैं। इसमें 2.5% सालाना ब्याज भी मिलता है।
इन्हें खरीदने के लिए आप बैंकों (जैसे SBI, HDFC), डाकघर, स्टॉक एक्सचेंज (NSE/BSE), या RBI की वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। खरीदने का समय सरकार द्वारा तय इश्यू पीरियड में होता है। न्यूनतम 1 ग्राम सोने का बॉन्ड ले सकते हैं। जबकि फिजिकल बॉन्ड को किसी भी ज्वैलर के यहां से खरीदा जा सकता है।
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