सस्ती पीली मटर का आयात रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
भारत दालों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। यह हर साल अपनी जरूरत का 15 से 18 प्रतिशत दालों का आयात करता है। फिलहाल 31 मार्च 2026 तक सरकार ने कुछ दाल ...और पढ़ें

देश में पीली मटर का आयात (yellow peas import duty) रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा। इस याचिका में कहा गया है कि सस्ती पीली मटर के आयात से दालों की खेती करने वाले किसानों की आजीविका (farmers’ livelihood) प्रभावित हो रही है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने किसान महापंचायत की तरफ से दायर इस जनहित याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने किसान संगठन की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण से कहा, वे इस बात पर भी गौर करें कि क्या देश में दालों का पर्याप्त उत्पादन होता है। पीठ ने कहा, ‘‘हम नोटिस जारी करने के लिए इच्छुक हैं, लेकिन इसका अंतिम परिणाम यह नहीं होना चाहिए कि उपभोक्ताओं को नुकसान हो।’’
सिर्फ 35 रुपये किलो की दर से आयात
भूषण ने कहा कि 35 रुपये प्रति किलोग्राम की सस्ती कीमत पर पीली मटर का आयात अरहर, मूंग और उड़द जैसी दालें उगाने वाले किसानों को प्रभावित कर रहा है। सरकार सहित कई विशेषज्ञों की रिपोर्ट में सरकार से पीली मटर का आयात न करने को कहा गया है क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर भारतीय किसान प्रभावित होंगे। पीली मटर का अप्रतिबंधित और सस्ता आयात बंद किया जाना चाहिए। भूषण ने कहा कि कृषि मंत्रालय और नीति आयोग ने भी पीली मटर के आयात के खिलाफ राय दी है और दालों के स्थानीय उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया है।
पीठ ने भूषण से कहा, आप पीली मटर के आयात की अनुमति न दें और फिर बाजार में दालों की कमी हो जाए, हमें इससे बचना होगा। आपने बताया है कि कुछ देशों में पीली मटर का इस्तेमाल मवेशियों के चारे के रूप में किया जाता है। क्या आपने इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव की जांच की है? इस पर भूषण ने जवाब दिया कि पीली मटर खाने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और यह एक बड़ी समस्या है।
31 मार्च तक है शुल्क मुक्त आयात की अनुमति
फिलहाल सरकार ने 31 मार्च 2026 तक पीली मटर, अरहर और उड़द दालों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे रखी है। मसूर पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पिछले दिनों पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि इससे घरेलू बाजार में दाम प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने पीली मटर पर 50 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी लगाने की मांग की थी। गौरतलब है कि स्नैक्स बनाने वाली कंपनियां पीली मटर का अधिक आयात कर रही हैं।
कम दाम पर दालों का आयात बढ़ने के कारण घरेलू बाजार में हाल के महीने में इनके दामों (domestic pulse prices) में गिरावट आई है। इस समय मंडियों में दालों के भाव पिछले साल की तुलना में 35 प्रतिशत तक नीचे चल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इससे रबी सीजन में किसान दालों की खेती कम कर सकते हैं। इसलिए कुछ ट्रेडर्स ने भी सरकार से पीली मटर तथा अन्य दालों के आयात पर शुल्क लगाने या बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि दाल आयात की कीमत (लैंडेड कॉस्ट) न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम नहीं होनी चाहिए।
फसल वर्ष 2024-25 (जुलाई से जून) में देश में 252.3 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था। भारत हर साल अफ्रीका, म्यांमार, कनाडा, रूस, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से अपनी खपत का 15 से 18 प्रतिशत दालों का आयात करता है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 73.4 लाख टन दालों का आयात किया था।

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