सैलरी आने और EMI की डेट में बड़ा गैप, फिर क्यों कम हो जाता है क्रेडिट स्कोर; एक्सपर्ट ने समझाया
आज के जमाने में क्रेडिट स्कोर (Credit Score) एक ऐसी चीज है जिसके बिना आपको लोन नहीं मिलता। यानी लोन लेने के लिए क्रेडिट स्कोर का अच्छा बहुत ही जरूरी है। कई बार लोन मिल जाने के बाद जब आप ईएमआई भरते हैं तो भी क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है। आखिर कैसे? आइए एक्सपर्ट से जानते हैं।
नई दिल्ली। सैलरी आने और EMI की तारीख में बड़ा अंत होता है। इसके बावजूद कई लोगों का क्रेडिट स्कोर (credit score) बहुत कम हो जाता है। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है। क्यों ऐसा होता है। इसे बारे में गुड स्कोर (Goodscore) के फाउंडर संचित बंसल ने जागरण बिजनेस से बात करते हुए बड़े ही अच्छे तरीके से समझाया है। आइए आसान भाषा में उदाहरण के साथ इसे समझने की कोशिश करते हैं।
आकांक्षा शर्मा, जो द्वारका, दिल्ली में एक HR मैनेजर हैं, अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग को लेकर काफी सतर्क रहती हैं। वह समय पर बिल भरती हैं, बजट बनाकर खर्च करती हैं और सेविंग की भी आदत रखती हैं। लेकिन पिछले महीने अचानक उनका क्रेडिट स्कोर 34 अंक गिर गया।
पैसे उनके खाते में थे। उन्हें EMI की रिमाइंडर भी मिली थी। फिर भी वह समय पर EMI नहीं भर पाईं। असल वजह थी - तारीख़ों का मेल नहीं बैठना। EMI की अंतिम तारीख थी महीने की 3 तारीख, लेकिन उनकी सैलरी आमतौर पर 7 तारीख को आती है। रोजमर्रा की भागदौड़, काम के प्रेशर और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच यह भुगतान उनके दिमाग से फिसल गया।
दुर्भाग्य से, क्रेडिट सिस्टम इतनी सहनशील नहीं होती। EMI चूकते ही क्रेडिट ब्यूरो में रिपोर्ट हो जाती है और स्कोर में 25 से 60 अंक की गिरावट आ सकती है। इसका असर लोन, क्रेडिट कार्ड या यहां तक कि कुछ नौकरी के अवसरों पर भी पड़ता है।
हर EMI चूक आर्थिक तंगी नहीं होती
जब भी कोई EMI मिस होती है, ज्यादातर लोग मान लेते हैं कि सामने वाला आर्थिक परेशानी में है। लेकिन मैंने हजारों यूज़र्स के साथ काम करते हुए यह देखा है कि अधिकतर EMI मिस सिर्फ़ तारीख़ या याददाश्त की गलती होती है — पैसे की कमी नहीं।
लोग अपनी आर्थिक दिनचर्या अपने वेतन, किराये, स्कूल की फीस और त्योहारों के खर्च के हिसाब से सेट करते हैं। लेकिन बैंक और लोन कंपनियों की EMI तारीख़ें अक्सर इस चक्र से मेल नहीं खातीं।
जब EMI की तारीख सैलरी से पहले होती है, तो लोग अक्सर सोचते हैं, "सैलरी आते ही भर दूंगा।" लेकिन फिर कामकाज और ज़िन्दगी की व्यस्तता में वे भूल जाते हैं।
EMI चूकने के तीन बड़े कारण
मेरे अनुभव के अनुसार, EMI चूकने के तीन मुख्य कारण होते हैं:
- सिर्फ़ भूल जाना: सबसे कॉमन। इरादा था लेकिन तारीख़ निकल गई।
- EMI और सैलरी की तारीख का मेल न होना: दिमाग में EMI बाद में भरने का प्लान बन जाता है।
- वास्तविक आर्थिक दिक्कत: यह केस अपेक्षाकृत कम है।
वित्तीय व्यवहार के विशेषज्ञ इसे "Mental Accounting Mismatch" कहते हैं — जब दिमाग़ में हम भुगतान की योजना अपनी सैलरी के हिसाब से बनाते हैं, लेकिन बैंक का शेड्यूल अलग होता है।
यह क्यों जरूरी है समझना
- क्रेडिट सिस्टम बहुत संवेदनशील होता है। सिर्फ़ 1-2 दिन की देरी भी स्कोर गिरा सकती है और इसका असर लंबे समय तक रह सकता है।
- कई बार EMI चूकने वाले लोग आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं, उनके पास पैसे होते हैं, बस तारीख़ का मिलान नहीं हो पाता।
- दिक्कत यह है कि हमारा फाइनेंशियल सिस्टम अब भी काफी कठोर है। EMI की तारीख़ें फिक्स रहती हैं और सिस्टम उम्मीद करता है कि लोग खुद उन्हें याद रखें, चाहे सैलरी जब भी आए।
- कुछ बैंकों और प्लेटफॉर्म ने अब लचीले EMI डेट ऑप्शन देना शुरू किया है, लेकिन यह अभी बहुत सीमित है।
बदलती जीवनशैली, बदलती जरूरतें
पहले के संयुक्त परिवारों में कोई न कोई हमेशा वित्तीय तारीख़ों पर नज़र रखता था। लेकिन आज छोटे परिवारों में, खासकर मेट्रो सिटीज़ में, लोग सब कुछ अकेले संभालते हैं।
ऐसे में चीजें छूट जाना स्वाभाविक है।
हर EMI चूक लापरवाही नहीं होती
- EMI चूक हमेशा लापरवाही या गैर-जिम्मेदारी का संकेत नहीं होती। कभी-कभी यह सिर्फ़ तारीख़ों का असंतुलन होता है। लेकिन क्रेडिट ब्यूरो यह फर्क नहीं करता।
- यह जरूरी है कि लोग समझें कि EMI चूकने का उनके क्रेडिट स्कोर पर कितना गंभीर असर पड़ सकता है। और साथ ही, फाइनेंशियल कंपनियों को भी ऐसे सिस्टम बनाने की जरूरत है जो लोगों की असली दिनचर्या के हिसाब से काम करें।
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