GST की दरों में कटौती के बाद Life और हेल्थ इंश्योरेंस हो जाएंगे सस्ते? जानिए काम की बात
GST Rates Cut केंद्र ने प्रस्ताव दिया है कि व्यक्तियों के लिए जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों को जीएसटी से छूट दी जानी चाहिए। बीमा पर गठित 13 सदस्यीय राज्य मंत्री समूह की बुधवार को बैठक में यह प्रस्ताव दिया गया है। लेकिन इस प्रस्ताव पर अंतिम फैसला GST काउंसिल लेगी।
नई दिल्ली। GST Rates Cut: पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से जीएसटी की दरों में सुधार का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि इस बार दिवाली पर वह देश की जनता को तोहफा देंगे। GST स्लैब की दरों में बदलाव किया जाएगा। जीएसटी मंत्री समूह (जीओएम) ने गुरुवार को स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम को जीएसटी से पूरी तरह मुक्त करने का प्रस्ताव रखा है। लेकिन अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल को ही लेना है।
Life और Health Insurance प्रीमियम पर GST से छूट के प्रस्ताव ने पॉलिसीधारकों और उद्योग के हितधारकों के बीच उम्मीद जगाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि विभिन्न प्रकार के बीमा उत्पादों में वास्तविक लाभ अलग-अलग हो सकते हैं।
ध्रुव एडवाइजर्स के पार्टनर जिग्नेश घेलानी ने इस प्रस्ताव को "सामर्थ्य और कवरेज बढ़ाने के उद्देश्य से एक सराहनीय कदम" बताया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसकी प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करेगी कि छूट को कैसे लागू किया जाता है, खासकर इनपुट टैक्स क्रेडिट के संबंध में।
अभी Insurance पर कितनी लगती है GST?
वर्तमान में, स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसी प्रीमियम दोनों पर 18% की दर से जीएसटी लगती है। इसका मतलब है कि अगर आप 100 रुपये के प्रीमियम वाली जीवन बीमा पॉलिसी 18% जीएसटी दर पर खरीदते हैं, तो आपको पॉलिसी खरीदते समय 118 रुपये का भुगतान करना होगा। लेकिन अगर इसमें छूट दी जाती है तो यह आपको 100 रुपये की पड़ेगी।
ग्राहकों से GST न मिलने पर, ITC क्रेडिट भी समाप्त हो सकते हैं, जब तक कि सरकार कोई अन्य कदम न उठाए। इसलिए, बीमा कंपनियों को अभी भी प्रति 100 रुपये के प्रीमियम पर 12.6 रुपये का जीएसटी खर्च उठाना होगा, लेकिन पॉलिसीधारकों से प्राप्त जीएसटी (18 रुपये) से इसे समायोजित नहीं किया जा सकेगा। विशेषज्ञ के अनुसार जीएसटी छूट बीमा कंपनियों के इनपुट टैक्स क्रेडिट को रोक सकती है, जिससे कुछ लाभ प्रभावित हो सकते हैं।
वर्तमान व्यवस्था के तहत, बीमा कंपनियां कमीशन, पुनर्बीमा (Reinsurance) और प्रशासन जैसी सेवाओं के लिए भुगतान किए गए जीएसटी पर आईटीसी का दावा करती हैं। बीमा प्रीमियम पर जीएसटी हटाने से यह लाभ समाप्त हो जाएगा, जिससे परिचालन लागत बढ़ जाएगी।
यह 18% जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभ के साथ आता है। GST के तहत, व्यवसाय अपने द्वारा उपयोग की गई वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए GST के बराबर क्रेडिट का दावा करके अपनी Tax की देनदारी कम कर सकते हैं।
यदि स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम भुगतान दोनों को शून्य-रेटेड या शून्य के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, तो उपभोक्ताओं के लिए टैक्स के बाद बीमा प्रीमियम कम हो जाएगा, क्योंकि बीमा कंपनियों के लिए आईटीसी क्रेडिट अभी भी उपलब्ध होंगे।
विशेषज्ञों के बीच आम सहमति स्पष्ट है। अगर इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो जीएसटी छूट टर्म और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों की लागत कम कर सकती है, जिससे ये लाखों लोगों के लिए ज्यादा किफायती हो जाएंगी।
पॉलिसी धारकों को मिलेगा फायदा
जनरली सेंट्रल लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ, आलोक रूंगटा कहते हैं कि चूँकि जीवन बीमा मूलतः सुरक्षा का एक उत्पाद है, इसलिए Health और LIFE Insurance से GST हटने से लागत में सीधे तौर पर कमी आएगी।
उदाहरण के लिए, ₹100 के प्रीमियम पर, ग्राहक वर्तमान में जीएसटी के बाद ₹118 का भुगतान करते हैं। छूट के साथ, टैक्स का हिस्सा शून्य हो जाएगा, और पूरा लाभ पॉलिसी धारकों को मिलेगा। चूँकि प्रीमियम रसीदों में टैक्स का विवरण अलग से दिया जाता है, इसलिए ग्राहकों को अपनी कुल देय राशि में कमी स्पष्ट रूप से दिखाई देगी।"
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