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    Insurance Sector in 2024: बीमाधारकों को फायदा पहुंचाने वाले बदलाव हुए, पर चुनौतियां भी बढ़ीं

    Updated: Fri, 20 Dec 2024 01:58 PM (IST)

    Insurance Sector Performance in 2024 इस साल इंश्योरेंस सेक्टर में भी काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। जहां 2024 में बीमाधारकों के लिए कई नियमों में बदलाव हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ इंश्योरेंस सेक्टर के सामने कई चुनौतियां भी खड़ी हुई हैं। हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि 2024 में इंश्योरेंस सेक्टर के लिए कौन-सी चुनौतियां खड़ी हुई थी और बीमाधारकों को क्या फायदे मिले।

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    2024 में इंश्योरेंस सेक्टर का कैसा रहा प्रदर्शन,

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। 2024 अपने अंत की तरफ बढ़ गया औ अब कुछ दिनों में 2025 का आगाज हो जाएगा। साल 2024 में शेयर बाजार और महंगाई दर के साथ इंश्योरेंस सेक्टर के सामने भी कई चुनौतियां खड़ी थी। इन चुनौतियों के साथ इंश्योरेंस सेक्टर को कई फायदे भी हुए हैं। हम आपको नीचे बताएंगे कि साल 2024 में इंश्योरेंस सेक्टर का प्रदर्शन कैसा रहा?

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    इंश्योरेंस सेक्टर का प्रदर्शन कैसा रहा?

    इस साल भारत के इंश्योरेंस सेक्टर में कई बदलाव देखने को मिले हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 100 फीसदी तक बढ़ाने के प्रस्ताव से नई कंपनिया आकर्षित हुई। इसके अलावा इंश्योरेंस सेक्टर के इनोवेशन में तेजी और बेहतर सेवाओं की उम्मीद है।

    इसके अतिरिक्त 70 आयु से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को कवर करने के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Ayushman Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) का विस्तार बुजुर्ग लोगों के लिए अधिक स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित करता है।

    इस बीच हेल्थ और व्हीकल इंश्योरेंस (Vehicle Insurance) में भी वृद्धि हुई है। इस मजबूती ने बाजार के समग्र विस्तार में योगदान दिया। ये सुधार उपभोक्ता अनुभव को बेहतर बनाने के लिए तैयार हैं।

    बाजार तक पहुंच बढ़ाने के लिए भारत की नजर बीमा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई पर बनी हुई है। दरअसल, इंश्योरेंस सेक्टक के विकास और विस्तार को बढ़ावा देने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है। भारतीय बीमा उद्योग में अधिक पूंजी आकर्षित करने के लिए, सरकार ने हाल ही में एक परामर्श पत्र जारी किया है जिसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा को 74 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करने का प्रस्ताव है। यह प्रस्ताव ऐसे महत्वपूर्ण समय पर आया है, क्योंकि कई वैश्विक और उभरते बाजारों की तुलना में भारत में कुल मिलाकर बीमा की पहुंच अपेक्षाकृत कम है।

    राकेश गोयल, डायरेक्‍टर - प्रोबस

    सीनियर सिटिजन को हुआ लाभ

    भारत सरकार ने सितंबर में 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य कवरेज को मंजूरी दी। सीनियर सिटिजन आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत इसका लाभ उठा सकते हैं। इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को स्वास्थ्य कवरेज मिले और उन्हें व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए मजबूर न किया जाए।

    हेल्‍थ एवं मोटर इंश्‍योरेंस क्षेत्र में मजबूत वृद्धि

    भारत में जनरल इंश्योरेंस के अलावा हेल्‍थ एवं मोटर इंश्‍योरेंस दो प्रमुख क्षेत्र हैं। यह गैर-जीवन बीमा है। अक्टूबर 2024 के अंत तक में सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम आय में स्वास्थ्य बीमा की वृद्धि 14 फीसदी रही, जो 71,537 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस सेगमेंट के पास अब लगभग 40 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है।

    इस बीच मोटर इंश्‍योरेंस ने 54,418 करोड़ रुपये की सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम आय दर्ज की। इसमें सालाना 9.63 फीसदी की वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर, हेल्‍थ एवं मोटर इंश्‍योरेंस की कुल बाजार हिस्सेदारी में लगभग 68 फीसदी हिस्सेदारी है।

    राकेश गोयल के अनुसार उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने के इरादे से हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट में हालिया सुधार लागू किए गए हैं। इनमें तेजी से क्लेम्स को एक्सेप्ट करना, क्लेम के लिए मोराटोरियम पीरियड को कम करना और बीमाकर्ताओं को कई पॉलिसी में क्लेम के प्रबंधन की जिम्मेदारी को ट्रांसफर करना शामिल है।

    हालांकि, इन बदलावों में अल्पकालिक चुनौतियां आ सकती हैं, लेकिन ग्राहकों के विश्वास और संतुष्टि को बढ़ाते हुए ये विकास को बढ़ावा दे सकते हैं। उपभोक्ताओं को अनुचित वित्तीय जुर्माने से बचाने के लिए, नीति निर्माताओं ने जीवन बीमा एनडोमेंट पॉलिसी के लिए सरेंडर कीमतों में भारी कटौती की है। यह परिवर्तन न केवल पॉलिसी की गलत बिक्री को रोकता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि जब ग्राहक अपनी पॉलिसी को जल्दी समाप्त करने का विकल्प चुनते हैं तो उन्हें भारी जुर्माने का भुगतान न करना पड़े और इसकी वजह से एक निष्पक्ष और अधिक पारदर्शी बाजार का माहौल तैयार होता है।