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    महिलाओं का इंश्योरेंस पुरुषों से सस्ता क्यों, क्या हैं इसके कारण और कितना होता है अंतर?

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 05:23 PM (IST)

    आजकल बीमा कंपनियां महिलाओं को आकर्षित करने के लिए पुरुषों की तुलना में कम प्रीमियम पर (insurance premium rates) लाइफ इंश्योरेंस दे रही हैं, क्योंकि महिलाएं औसतन पुरुषों से ज़्यादा जीती हैं और उनमें धूम्रपान जैसी आदतें कम होती हैं। रिस्क बेस्ड प्राइसिंग के कारण पुरुषों को ज़्यादा प्रीमियम देना पड़ता है। महिलाओं को भी पुरुषों की तरह टैक्स में छूट मिलती है और उनके लिए लाइफ इंश्योरेंस उतना ही ज़रूरी है, खासकर अगर परिवार उन पर आर्थिक रूप से निर्भर है।

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    नई दिल्ली। अगर आप हाल ही में लाइफ इंश्योरेंस लेने की सोच रहे हैं, तो शायद आपने गौर किया होगा कि महिलाओं के लिए प्रीमियम रेट्स पुरुषों से कम होते हैं। आजकल बीमा कंपनियां महिलाओं को आकर्षित करने के लिए उनके लिए सस्ती योजनाएं पेश कर रही हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? आइए इसे थोड़ा आसान तरीके से समझते हैं।

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    महिलाओं को सस्ता इंश्योरेंस क्यों मिलता है?

    दरअसल, महिलाएं औसतन पुरुषों से लगभग पांच साल ज़्यादा जीती हैं। इसका मतलब बीमा कंपनी के लिए जोखिम कम होता है। अगर कोई व्यक्ति ज्यादा समय तक जीवित रहता है, तो कंपनी को उस व्यक्ति के लिए क्लेम जल्दी नहीं देना पड़ता यानी कंपनी को फायदा होता है। इसी वजह से बीमा कंपनियां महिलाओं से थोड़ा कम प्रीमियम लेती हैं।

    साथ ही, महिलाएं आमतौर पर स्मोकिंग, ड्रिंकिंग या खतरनाक लाइफस्टाइल में पुरुषों के मुकाबले कम होती हैं। इसलिए, उन्हें दिल की बीमारियाँ या अन्य गंभीर रोग भी देर से होते हैं और बीमा कंपनियों के लिए यह एक और पॉजिटिव पॉइंट है।

    एक उदाहरण से समझिए कि जैसे जितेंद्र और पूजा, दोनों 30 साल के हैं और स्मोक नहीं करते। जब दोनों एक ही बीमा कंपनी से 30 साल का टर्म इंश्योरेंस लेते हैं, तो विषाल को रेवती से लगभग 14% ज़्यादा प्रीमियम देना पड़ता है सिर्फ इसलिए क्योंकि वह पुरुष है।

    इसी तरह, अगर राहुल (25 साल) और आरती (25 साल) दोनों नॉन-स्मोकर हैं और 40 साल की पॉलिसी लेना चाहते हैं, तो दिव्या को सचिन से करीब 13-15% कम प्रीमियम देना पड़ता है।

    कंपनियां ऐसा क्यों करती हैं?

    बीमा कंपनियां रिस्क बेस्ड प्राइसिंग के आधार पर प्रीमियम तय करती हैं। यानी, जो व्यक्ति ज़्यादा रिस्की है उसे ज़्यादा प्रीमियम देना पड़ता है। पुरुषों में एक्सीडेंट, दिल की बीमारी, लिवर की समस्या या धूम्रपान से जुड़ी बीमारियाँ ज़्यादा पाई जाती हैं। इसी वजह से बीमा कंपनियों को लगता है कि पुरुषों के साथ क्लेम का चांस थोड़ा ज़्यादा होता है।

    टैक्स बेनिफिट दोनों को समान

    चाहे पुरुष हों या महिला, दोनों को इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स में छूट मिलती है। आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत, आप सालाना ₹1.5 लाख तक की छूट ले सकते हैं। हालांकि, ये लाभ टैक्स कानूनों में बदलाव के साथ बदल भी सकते हैं।

    क्यों महिलाओं को लाइफ इंश्योरेंस जरूर लेना चाहिए?

    आज की दुनिया में महिलाएं सिर्फ घर नहीं संभाल रहीं, बल्कि घर की आर्थिक जिम्मेदारी भी उठा रही हैं। ऐसे में अगर परिवार की सुरक्षा की बात हो, तो लाइफ इंश्योरेंस उनके लिए भी उतना ही जरूरी है जितना पुरुषों के लिए।

    अगर किसी महिला के परिवार में उसकी आमदनी पर निर्भर लोग हैं, तो एक टर्म इंश्योरेंस उनके परिवार के भविष्य को सुरक्षित कर सकता है। साथ ही, कई बीमा कंपनियां अब महिलाओं के लिए खास योजनाएं भी ला रही हैं जैसे मेटरनिटी बेनिफिट या क्रिटिकल इलनेस कवर भी होता है।

    यह भी पढ़ें: क्या बीड़ी-सिगरेट पीने वालों के लिए होता है अलग इंश्योरेंस, स्मोकर्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस क्यों ज्यादा जरूरी?


    मानसिक शांति और सुरक्षा

    लाइफ इंश्योरेंस सिर्फ टैक्स बचाने या निवेश का जरिया नहीं है यह एक मन की शांति देने वाला कवच है। यह जानकर अच्छा लगता है कि अगर भविष्य में कुछ भी अनहोनी होती है, तो आपका परिवार आर्थिक रूप से सुरक्षित रहेगा।

     

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