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    ₹50 लाख का बीमा क्लेम पाने के लिए कागज पर खुद को जान से मार डाला, फर्जी रसीद ने ऐसी खोल दी पोल

    Insurance Claim बीकानेर में मांगीलाल ज्याणी नामक एक नर्सिंगकर्मी ने 50 लाख रुपये का बीमा क्लेम पाने के लिए खुद को मरा हुआ बताया। उसने श्मशान घाट से अंतिम संस्कार की फर्जी रसीद बनवाकर मृत्यु प्रमाणपत्र भी हासिल किया। बीमा कंपनी को संदेह होने पर जांच की गई जिसमें वह जीवित पाया गया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।

    By Jagran News Edited By: Gyanendra Tiwari Updated: Sat, 16 Aug 2025 09:22 PM (IST)
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    ₹50 लाख के बीमा क्लेम पाने के लिए कागज पर खुद को जान से मार डाला

    नई दिल्ली। Insurance Claim:  राजस्थान के बीकानेर में 50 लाख रुपये का बीमा क्लेम लेने के लिए एक युवक ने खुद को मरा बताया और उसे सही साबित करने के लिए श्मशान घाट से अंतिम संस्कार की रसीद भी बनवा ली।

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    फर्जीवाड़ा करने वाला नर्सिंगकर्मी मांगीलाल ज्याणी है। मांगीलाल ने फर्जी तरीके से पेपर तैयार करने के बाद क्लेम के लिए बीमा कंपनी में जमा कर दिए। जब बीमा कंपनी ने जांच की तो मांगीलाल जीवित मिला। इस संबंध में बीकानेर के जयनारायण व्यास पुलिस थाने में बीमा कंपनी के विधि अधिकारी सौरभ ने रिपोर्ट दर्ज करवाई।

    पुलिस ने किया गिरफ्तार

    रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपी मांगीलाल को गिरफ्तार कर लिया। जानकारी के अनुसार मांगीलाल ने 9 अगस्त, 2023 को बीमा करवाया था। इसके लिए जिस किराए के मकान में रहता था उसे अपना बताया था।

    ले रखा था 50 लाख रुपये का प्लान

    पुलिस थाना अधिकारी देवेंद्र ने बताया कि दर्ज रिपोर्ट में कहा गया कि मांगीलाल ने 50 लाख रुपये का टर्मलाइफ प्लान लिया था। दो किस्त जमा करवाने के बाद मांगीलाल के स्वजन की तरफ से फर्जी दस्तावेज पेश कर कहा गया कि उसकी अक्टूबर, 2024 हृदयगति रुकने से मौत हो गई है।

    क्लेम की रकम के लिए आवेदन किया

    मांगीलाल ने अपने मित्र पवन को खुद का स्वजन बताकर दिसंबर, 2024 में क्लेम की रकम के लिए आवेदन किया था। बीमा करवाने से पहले मांगीलाल ने बैंक ऑफ बड़ौदा में खाता खुलवाया था। पवन के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए।

    रशीद के जरिए बनवाया मृत्यु प्रमाण पत्र

    शहर के मुक्तिधाम से मांगीलाल का अंतिम संस्कार होने की रसीद बनाई गई। उसी रसीद के आधार पर निगम से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार करवाया गया। क्लेम के लिए आवेदन होने पर बीमा कंपनी और बैंक के अधिकारियों को जांच में फर्जीवाड़े का पता चला।

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