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    क्या है Claims Paid Ratio, इंश्योरेंस पॉलिसी लेने से पहले जरूर देखें, पता चल जाएगी कंपनी के दावों की हकीकत

    What is Claims Paid Ratio इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय CPR (क्लेम पेड रेशियो) पर जरूर गौर करना चाहिए क्योंकि यह बीमा कंपनियों के क्लेम देने के दावे और विश्वसनियता को दर्शाता है। वहीं किसी भी कंपनी के लिए हाई CPR हासिल करना आसान नहीं होता है। क्योंकि यह एक सुनियोजित ग्राहक-केंद्रित क्लेम सिस्टम का परिणाम होता है।

    By Chandrashekhar Gupta Edited By: Chandrashekhar Gupta Updated: Thu, 24 Jul 2025 01:04 PM (IST)
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    इंश्योरेंस पॉलिसी में क्लेम पेड रेशियो एक अहम क्लॉज होता है।

    नई दिल्ली। लाइफ, टर्म या हेल्थ इंश्योरेंस हो, हर आदमी मुसीबत में आर्थिक संकट से बचने के लिए पॉलिसी खरीदता है। लेकिन, जब क्लेम का वक्त आता है तो परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इंश्योरेंस कंपनियां आसानी से क्लेम अप्रूव नहीं करती तो कई बार रिजेक्ट कर देती हैं। हालांकि, पॉलिसी बेचते समय इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम सेटलमेंट के बड़े-बड़े दावे करती हैं लेकिन क्लेम के वक्त इन दावों की हकीकत कुछ और होती है।

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    अगर आपने भी क्लेम के वक्त ऐसी परेशानियों का सामना किया है तो आगे से पॉलिसी खरीदते समय एक अहम क्लॉज पर गौर जरूर करें, और वह है CPR (Claims Paid Ratio), यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं बल्कि पॉलिसी खरीदते समय एक महत्वपूर्ण पैमाना है।

    क्या है क्लेम पेड रेशियो (CPR)

    दरअसल, क्लेम पेड रेशियो (CPR) दर्शाता है कि एक बीमा कंपनी ज़रूरत के समय परिवारों की मदद करने के अपने वादे को कितनी अच्छी तरह निभाती है, इसलिए हेल्थ हो या लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, इसे खरीदते समय कंपनी के सीपीआर से यह पता चल जाता है कि बीमा कंपनी क्लेम के समय अपने वादे पर खरी उतरी है या नहीं।

    किसी भी कंपनी के लिए हाई CPR हासिल करना आसान नहीं होता है। क्योंकि, यह एक सुनियोजित, ग्राहक-केंद्रित क्लेम सिस्टम का परिणाम होता है। सीपीआर, कंपनी के मज़बूत मैनेजमेंट और कंज्यूमर फ्रेंडली व्यवहार को दर्शाता है। सीपीआर से हमें 3 खास बिंदुओं के बारे में पता चलता है..

    क्लेम सेटलमेंट में तेज़ी: टॉप इंश्योंरेस कंपनीज क्लेम का जल्द से जल्द भुगतान करने के लिए बेहतर तकनीक और सुव्यवस्थित प्रोसेस अपनाती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि क्लेम के समय बीमाराशि ग्राहक को समय पर मिले।

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    आसान कागजी कार्यवाही: क्लेम के समय सबसे ज्यादा परेशानी कागजात को लेकर होती है। ऐसे में हायर CPR वाली इंश्योरेंस कंपनियां डॉक्यूमेंटेशन प्रोसेस को सरल बनाने के लिए डिजिटल सिस्टम का उपयोग करते हैं, जिससे क्लेम प्रोसेस आसान और ज्यादा संवेदनशील हो जाती है।

    लो रिजेक्शन रेट (कम अस्वीकृति दर), कंपनी के क्लेम प्रोसेस की पारदर्शिता को दिखाता है कि इंश्योरेंस कंपनी वैलिड क्लेम का भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

    क्या होना चाहिए CPR

    भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की लेटेस्ट एनुअल रिपोर्ट (2023-24) में भारतीय जीवन बीमा कंपनियों के लिए 96.82 प्रतिशत का औसत सीपीआर उत्साहजनक माना गया है।क्लेम पेमेंट रेशियो (CPR) एक अहम आंकड़ा है जो इंश्योरेंस कंपनी विश्वसनीयता को दर्शाता है।