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    सरकार लाएगी क्रेडिट गारंटी योजना, ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ से छोटे निर्यातकों को मिलेगा सहारा!

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसले से भारतीय निर्यात पर असर की आशंका के बीच केंद्र सरकार छोटे व्यवसायों और निर्यातकों के लिए क्रेडिट गारंटी योजना ला रही है। वित्त मंत्रालय बैंकों को 10-15% क्रेडिट गारंटी देने का प्रस्ताव कर रहा है ताकि वे बकाया लोन वाले व्यवसायों को कर्ज दे सकें।

    By Ashish Kushwaha Edited By: Ashish Kushwaha Updated: Mon, 11 Aug 2025 08:50 PM (IST)
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    केंद्र सरकार छोटे व्यवसायों और निर्यातकों के लिए क्रेडिट गारंटी योजना लाने की तैयारी में है।

     नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 50% टैरिफ लगाने के फैसले से भारत के 55% निर्यात प्रभावित होने की आशंका के बीच केंद्र सरकार छोटे व्यवसायों और निर्यातकों के लिए क्रेडिट गारंटी योजना लाने की तैयारी में है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने प्रस्ताव रखा है कि बैंकों को 10% से 15% तक की क्रेडिट गारंटी दी जाएगी, ताकि वे 90 दिन तक बकाया लोन वाले छोटे व्यवसायों को कर्ज दे सकें।

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    यह सुविधा उन इकाइयों को मिलेगी जिनका सालाना टर्नओवर ₹43,830 करोड़ तक है और जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की विशेष उल्लेख खाते (SMA) श्रेणी में आते हैं।

    छोटे व्यवसायों को समय पर और पर्याप्त औपचारिक कर्ज मिलने में अब भी मुश्किल होती है। इस योजना के तहत केंद्र लगभग ₹3,50,640 करोड़ की गारंटी बैंकों को देगा। इसका मकसद उन कंपनियों की मदद करना है जो बाहरी कारणों से वित्तीय दबाव में हैं।

    छोटे निर्यातकों के लिए अलग योजना भी तैयार

    सरकार छोटे निर्यातकों के लिए एक और योजना पर भी काम कर रही है, जिसके तहत उन्हें टर्म लोन दिया जाएगा और उस पर 70%-75% तक सरकारी गारंटी होगी। इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2026 के बजट में की थी।

    बैंक कर रहे हैं जोखिम का आकलन

    ज्यादा टैरिफ के दबाव के बीच देश के बैंक अब अपने पोर्टफोलियो का सेक्टर-वार मूल्यांकन कर रहे हैं, ताकि अमेरिकी बाजार पर निर्भर क्षेत्रों के जोखिम का आकलन किया जा सके। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह आकलन आंतरिक स्तर पर किया जा रहा है और RBI ने इसके लिए कोई निर्देश नहीं दिया है।

    एक बैंक अधिकारी ने बताया कि कपड़ा और आभूषण क्षेत्र के लघु एवं मध्यम उद्यमों पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है। हालांकि दवा उद्योग फिलहाल टैरिफ से मुक्त है, लेकिन अमेरिकी बाज़ार पर अधिक निर्भर क्षेत्रों में बैंकों ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है।

    एक अन्य अधिकारी के मुताबिक, अमेरिकी व्यापार से जुड़े सप्लाई चेन में रुकावट आने का खतरा है, जिससे छोटे कारोबारियों की समय पर कर्ज चुकाने की क्षमता पर अल्पावधि में असर पड़ सकता है।