MSMEs को प्रोत्साहित कर पतंजलि दे रहा उद्यमिता को बढ़ावा, ग्रामीण सप्लाई चेन को मजबूत करके खोले रोजगार के द्वार
पिछले कुछ सालों में सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) भारत की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। ये उद्यम देश के GDP में 30 प्रतिशत से ज़्यादा योगदान देने के साथ ही लाखों लोगों को रोज़गार भी देते हैं। ये MSMEs नई सोच से काम करते हुए निर्यात बढ़ाते हैं और ग्रामीण विकास में मदद करते हैं।

डिजिटल टीम, हरिद्वार। पिछले कुछ सालों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) भारत की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। ये उद्यम देश के GDP में 30 प्रतिशत से ज़्यादा योगदान देने के साथ ही लाखों लोगों को रोज़गार भी देते हैं। ये MSMEs नई सोच से काम करते हुए निर्यात बढ़ाते हैं और ग्रामीण विकास में मदद करते हैं। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि MSMEs को मज़बूत बनाना देश के विकास और आर्थिक मजबूती के लिए ज़रूरी है। यही कारण है कि पतंजलि स्थानीय उद्यमियों और ग्रामीण उत्पादकों को पूरा सहयोग दे रहा है जिससे सबका विकास हो सके।
ग्रामीण सप्लाई चेन को मजबूत बनाना
स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए पतंजलि अपने उत्पादों को बनाने के लिए ज़रूरी कच्चा माल जैसे जड़ी-बूटियाँ, अनाज, तेल और फसलें सीधे किसानों से खरीदता है। इसमें बिचौलियों की भूमिका न होने की वजह से किसानों को अत्यधिक फायदा मिलता है। इस मॉडल में सभी छोटे उत्पादकों को उचित दाम दिलाने पर जोर दिया जाता है जो कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मज़बूती देता है क्योंकि इससे देशभर में हजारों लोगों को रोज़गार और व्यापार के अवसर मिलते हैं।
जैविक खेती और किसान सशक्तिकरण
पतंजलि अपने 'किसान समृद्धि कार्यक्रम' के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती और उन्नत खेती के तरीकों की ट्रेनिंग देता है। इसमें बिना रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल किये अच्छी गुणवत्ता की फसल उगाने की ट्रेनिंग दी जाती है, साथ ही ऐसे तरीके सिखाये जाते हैं जिससे उत्पादन को बढ़ाया जा सके। यह कार्यक्रम NSDC और ASCI जैसे राष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर चलाया जाता है।
किसान उत्पादक संगठन (FPO) का गठन
पतंजलि के ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट ने SFAC (Small Farmers’ Agri-Business Consortium) के साथ मिलकर किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया है। मूलतः उत्तर प्रदेश के ललितपुर और जालौन जिलों में इन संगठनों में 300 से ज़्यादा किसान सदस्य हैं। ये संगठन किसानों को आर्गेनिक खाद, बीज, उत्पादों को बेचने के लिए बाज़ार और FSSAI मानक वाली सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। इससे सामूहिक और स्थानीय स्तर पर बिज़नेस का विकास होता है।
फूड और हर्बल पार्क के ज़रिए मूल्य श्रृंखला में एकीकरण
पतंजलि के फूड एंड हर्बल पार्क ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास का माध्यम बन रहे हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो जब किसान समूह, पंचायतें और स्वयं सहायता समूह एक साथ मिलते हैं, तो इस साझेदारी से खेती और छोटे व्यवसाय को काफी बढ़ावा मिलता है। इसके चलते ग्रामीण इलाकों में रोज़गार, आमदनी और अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी होती है।
तकनीकी टूल्स और डिजिटल बाज़ार तक पहुंच
डिजिटल इंडिया के युग में पतंजलि ने किसानों को स्मार्ट तकनीक से जोड़ने की पहल की है। किसान समृद्धि योजना के अंतर्गत उन्हें मिट्टी की जांच, बदलते मौसम की सही जानकारी, और बाज़ार के भाव जैसी सुविधाएँ मोबाइल ऐप्स के ज़रिये मुहैया कराई जाती हैं। इस सहयोग से किसान और लोकल उद्यमी बेहतर और लाभदायक फैसले ले पाते हैं।
वित्तीय सहायता और डीलर सपोर्ट
पतंजलि ने कुछ फिनटेक कंपनियों के साथ पार्टनरशिप की है, जिससे छोटे व्यापारी और किसान इनवॉइस फाइनेंसिंग के ज़रिये चालू पूंजी (वर्किंग कैपिटल) प्राप्त कर सकें। इससे MSMEs को अपने स्टॉक और कैश प्रवाह को सही ढंग से संभालने में मदद मिलती है।
महिला-नेतृत्व वाले उद्यमों को बढ़ावा
ये तो जग जाहिर है कि पतंजलि महिला किसानों और कारीगरों को खास समर्थन देता है। यह संस्था महिला स्वयं सहायता समूहों और महिला नेतृत्व वाले किसान समूहों के साथ मिलकर उन्हें सशक्त और सक्षम बनाने की ओर अग्रसर है।
राष्ट्रीय मान्यता और नीति के साथ तालमेल
2024 में एक अध्ययन में पतंजलि के सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि पतंजलि ने गांवों की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने और ग्रामीण MSMEs के विकास में अहम भूमिका निभाई है। यह दिखाता है कि पतंजलि राष्ट्रीय विकास के लिए प्रगतिशील है।
चाहे वह उचित मूल्य देना हो, जैविक खेती की ट्रेनिंग देना, या डिजिटल टूल्स और सहायता समूहों के माध्यम से किसानों को जोड़ना हो, पतंजलि ने MSMEs को बढ़ाने और स्थानीय उद्यमिता को सशक्त करने का बीड़ा उठाया है। अपनी पहलों और प्रयासों से पतंजलि ग्रामीण और शहरी उद्यमिता के बीच की दूरी मिटाने का काम कर रहा है।
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