Business idea: सावन नहीं हर व्रत में खाते हैं ये चीज, 12 महीने रहेगी डिमांड, कैसे शुरू करें बिजनेस
High Demand Business Idea सावन (Sawan 2025) के इस पावन अवसर पर हर कोई साबूदाना खाना पसंद करते हैं। सिर्फ सावन में ही नहीं बल्कि इसे हर व्रत के दौरान बड़े चाव से खाया जाता है। इसलिए इसकी 12 महीने डिमांड रहती है। इसका मार्केट भी काफी बड़ा है। आज हम जानेंगे कि आप कैसे साबूदाना का बिजनेस कर सकते हैं।

नई दिल्ली। साबूदाना जिसे सागो भी कहते हैं, ये व्रत के समय काफी खाया जाता है। साबूदाना से लोग कई तरह के पकवान बनाते हैं। इसे टैपिओका स्टार्च द्वारा बनाया जाता है। देश के कई हिस्सों में इसकी ब्रिकी होती है। इसका मार्केट भी काफी बड़ा है।
आज हम जानेंगे कि कैसे साबूदाना का बिजनेस शुरू कर सकते है। इसमें कितना खर्चा आएगा। वहीं इससे कितनी कमाई हो सकती है।
साबूदाना के बारे में बेसिक जानकारी
साबूदाना का उत्पादन टैपिओका स्टार्च द्वारा किया जाता है। इससे आप एक टन टैपिओका स्टार्च में औसतन 200 किलोग्राम साबूदाना बना सकते हैं। वहीं एक टन टैपिओका के लिए आपको 5000 लीटर की आवश्यकता होगी।
कैसे बनाते हैं साबूदाना?
सफाई- इस प्रक्रिया में, टैपिओका की जड़ों को कारखानों तक 1 से दो दिन के भीतर पहुँचाया जाता है। क्योंकि इनका जल्दी खराब होने का रिस्क होता है। पहले इन टैपिओका की जड़ों को एक ड्रम में रखकर रूट वॉशर (Root Washer) से गुजरना होता है। इसके जरिए इन्हें साफ किया जाता है।
कटाई- इसके बाद इन्हें हाथ से अच्छी तरह साफ किया जाता है। फिर रैस्पर मशीन से इन्हें काटने का काम होता है।
इसके बाद ये कई तरह के एक्सट्रैक्टर्स से होकर गुजरते हैं, जहां स्टार्च के घोल से गूदे अलग किए जाते हैं।
फिर इस स्टार्च को 3 से 5 दिन के लिए टैंक में रखकर Fermentation किया जाता है। इसके बाद फिर इसमें पानी अलग करने का काम होता है। पानी की मात्रा घोल में 60% से घटकर 35-40% ही रह जाती है।
स्टार्च केक को स्पाइक मिलों का उपयोग करके Pulverized किया जाता है। इस तरह से ये गोल फिर 100°C पर लगभग 6 से 8 मिनट तक गर्म प्लेटों पर हल्का भूना जाता है। वहीं इन्हें 8 से 12 घंटे तक सीमेंट की फर्श पर धूप में सुखाया जाता है। भूनने के दौरान साबूदाने के गुठलियां बन जाती हैं, हालांकि ये बाद में बिखर जाती है।
कहां-कहां होती है टैपिओका की खेती
टैपिओका की खेती देश के विभिन्न राज्यों जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में की जाती है, लेकिन तमिलनाडु में इसका सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। तमिलनाडु का सलेम क्षेत्र में देश के कुल टैपिओका उत्पादन का लगभग 80% हिस्सा उगता है
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