SIP Calculation: 8000 रुपये की एसआईपी से 10 साल बाद कितना फंड बनकर तैयार होगा? देखें कैलकुलेशन
म्यूचुअल फंड एसआईपी के बारे में आज हर कोई जानता है। हर कोई इसमें मिलने वाले आकर्षक रिटर्न का फायदा उठाना चाहता है। एसआईपी के जरिए भविष्य में कब तक मनच ...और पढ़ें
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नई दिल्ली। म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सबसे आसान तरीका एसआईपी है। एसआईपी के जरिए आप छोटी किस्तों से बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं। इसे इसलिए आसान माना जाता है क्योंकि एसआईपी में आपको कई तरह की सुविधा मिलती है, जो आपको अन्य सुरक्षित स्कीम में शायद ही मिले।
आज हम एसआईपी कैलकुलेशन की मदद से समझेंगे कि हर महीने 8000 रुपये की एसआईपी से 10 साल बाद कितना फंड बनकर तैयार होगा?
कैलकुलेशन
- निवेश रकम- हर महीने 8000 रुपये
- निवेश अवधि- 10 साल
- निवेश रिटर्न- 12 फीसदी
अगर कोई व्यक्ति 10 साल के लिए हर महीने 8000 रुपये की एसआईपी करता है, तो उसे 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से 18,59,000 रुपये मिल सकते हैं। इन 20 सालों में आपका मूलधन 9,60,000 रुपये होगा। इन 20 सालों में आपको केवल रिटर्न में ही 8,9,000 रुपये मिल सकते हैं।
बाजार गिरने पर SIP बंद करना
आमतौर पर ये देखा जाता है कि एसआईपी निवेशक शेयर बाजार गिरने पर घबरा जाते हैं। वे ऐसी स्थिति में एसआईपी को बंद करने पर विचार करते हैं। ताकि उन्हें इससे ज्यादा नुकसान न हो। जो कि पूरी तरह से गलत है। म्यूचुअल फंड में अगर आप मुनाफा चाहते हैं, तो लंबे समय के निवेश करें। लंबे समय में निवेश करने पर आपको मुनाफा देखने को मिलेगा।
इसके साथ ही जब शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो ये समय और निवेश करने के लिए बेहतर माना जाता है। क्योंकि इस समय शेयर की वैल्यू कम हो जाती है या आपको शेयर कम कीमत पर मिल जाते हैं। इसलिए ये समय एसआईपी रोकने का नहीं, बल्कि निवेश करने का समय होता है।
सही फंड न चुनना
निवेशक को अपनी जरूरत के हिसाब से फंड का चयन करना चाहिए। जैसे अगर वे ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट चाहते हैं, तो इक्विटी फंड में निवेश करें। ऐसी ही अगर वे कम जोखिम वाले फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो डेट और हाइब्रिड फंड का चुनाव कर सकते हैं। इसके अलावा डिजिटल गोल्ड जैसे ईटीएफ में भी निवेश किया जा सकता है।
टैक्स और अन्य चार्ज को नजरअंदाज
म्यूचुअल फंड में आपका पैसा फंड मैनेजर या एजेंट द्वारा निवेश किया जाता है। जिसके बदले आपसे चार्ज या फीस ली जाती है। वहीं म्यूचुअल फंड में होने वाला मुनाफा टैक्स के दायरे में आता है। इसके मुनाफे या प्रॉफिट में कितना टैक्स देना होगा, ये निवेश अवधि पर निर्भर करता है।
शेयर्स को फाइनेंशियल एसेट के अंतर्गत आते हैं। इसलिए इनसे होने वाले मुनाफे में कैपिटल गेन टैक्स देना होता है।
धैर्य की कमी
ये भी देखा गया है कि निवेशकों को जल्द से जल्द मुनाफा कमाना होता है। लेकिन म्यूचुअल फंड में तभी मुनाफा हो सकता है, जब आप लंबे समय के लिए निवेश करें। इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त धैर्य रखें। अगर किसी वित्तीय संकट के चलते आप एसआईपी में पैसा नहीं दे पा रहे हैं, तो इस बंद करने की जगह SIP Pause का ऑप्शन चुने।
निवेश अमाउंट को न बढ़ाना
एसआईपी टॉप अप के जरिए आपका निवेश अमाउंट ऑटोमेटिकली बढ़ जाता है। ये अमाउंट आप खुद से निर्धारित कर सकते हैं। इसके अलावा आप सामान्य म्यूचुअल फंड के जरिए भी अपना निवेश अमाउंट जब चाहे बढ़ा सकते हैं।
(डिस्क्लेमर: यहां म्यूचुअल फंड पर दी गयी जानकारी निवेश की सलाह नहीं है। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। म्यूचुअल फंड में जोखिम हो सकता है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)

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