SIP Calculation: 1000 रुपये की एसआईपी से 5 लाख रुपये का फंड कितने सालों में बनेगा? पढ़ें कैलकुलेशन
आज हर कोई म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहा है। म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करना और आसान हो जाता है। एसआईपी के जरिए आप छोटी से छोटी रकम निवेश कर बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं। आज हम एसआईपी कैलकुलेशन की मदद समझेंगे कि हर महीने 1000 रुपये की एसआईपी से 5 लाख रुपये का फंड बनकर कब तक तैयार होगा?
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नई दिल्ली। एक समय ऐसा था, जब निवेशक म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने से डरते थे। आज इसमें मिलने वाले आकर्षक रिटर्न को देखते हुए हर कोई इसमें पैसा लगाना चाहता है। एसआईपी के जरिए आप आज 100 रुपये से भी निवेश शुरू कर सकते हैं।
आज हम एसआईपी कैलकुलेशन की मदद समझेंगे कि हर महीने 1000 रुपये की एसआईपी से 5 लाख रुपये का फंड बनकर कब तक तैयार होगा?
कैलकुलेशन
- निवेश रकम- हर महीने 1000 रुपये
- रिटर्न- 12 फीसदी
अगर कोई व्यक्ति हर महीने 1000 रुपये की एसआईपी करता है, तो उसे 5 लाख रुपये का फंड बनाने के लिए 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से 15 साल तक निवेश करना होगा। एसआईपी कैलकुलेशन तो हमने समझ लिया, लेकिन असली परेशानी सही म्यूचुअल फंड चुनने में है
आइए एक्सपर्ट से समझते हैं कि आप सही म्यूचुअल फंड का चयन कैसे कर सकते हैं।
यूटीआई एएमसी के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट एंड हेड ऑफ प्रोडक्ट्स, फरहाद गादीवाला से बातचीत की थी। उन्होंने निवेशकों को फंड चुनने से पहले कुछ खास बातों पर गौर करने के लिए कहा है।
किन बातों का रखें ध्यान?
फरहाद गादीवाला का कहना है कि सही म्यूचुअल फंड का मतलब ये नहीं है कि पिछले रिटर्न के पीछे भागा जाए। इसके लिए कई कारकों का मूल्यांकन करना जरूरी है। सबसे पहले आपको ये देखना होगा कि निवेश करने का उद्देश्य क्या है और इसे समय-सीमा, जोखिम लेने की क्षमता का भी आकलन करना होगा।
उदाहरण से समझें
जैसे अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं और जोखिम सह सकते हैं, तो इक्विटी फंड सही ऑप्शन रहेगा। लेकिन अगर आप दो या तीन साल बाद निवेश कर फंड किसी कार्य में उपयोग करना चाहते हैं, जैसे शादी, पढ़ाई इत्यादि, तो हाइब्रिड और डेट फंड सही ऑप्शन रहेगा। ये आपको कम जोखिम के साथ अच्छा रिटर्न दे सकता है।
रिटर्न नहीं, देखें रोलिंग रिटर्न
एक बार अपने एक कैटेगरी चुन लिया, अब आपको कई अन्य फैक्टर पर ध्यान देना होगा। जैसे ये न देखें कि 1, 2 और 5 साल में फंड ने कितना रिटर्न दिया है। बल्कि इस बार ध्यान दें कि मार्केट के उतार-चढ़ाव के समय फंड कैसा रिटर्न दे रहा है। इसके साथ ही अलग-अलग रिस्क फैक्टर जैसे शार्प रेश्यो को भी ध्यान में रखना जरूरी है।
चार्जेज का भी रखें खास ध्यान
इसके साथ ही चार्जेज जैसे एक्सपेंस रेश्यो का ध्यान रखें। वहीं पोर्टफोलियो में कौन-कौन से सेक्टर जोड़े गए हैं, फंड मैनेजर और उसका प्रदर्शन कैसा रहा है, इन बातों का भी ध्यान रखें।
(डिस्क्लेमर: यहां म्यूचुअल फंड पर दी गयी जानकारी निवेश की सलाह नहीं है। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। शेयर बाजार में जोखिम हो सकता है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)

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