ICICI बैंक के ₹50000 मिनिमम बैलेंस रखने पर RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा का आया बयान, कह दी ये बड़ी बात
आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank minimum balance) ने बचत खातों के लिए न्यूनतम बैलेंस नियमों में बदलाव किया है जिसके तहत मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम शेष राशि ₹10000 से बढ़कर ₹50000 हो गई है। आरबीआई गवर्नर (RBI Governor Sanjay Malhotra) ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी है और कहा है कि यह मामला नियामक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नहीं आता। ये नए नियम 1 अगस्त 2025 से लागू होंगे।

नई दिल्ली। ICICI बैंक ने हाल ही में बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर के लिए नए नियम लागू किए हैं। मेट्रो और शहरी क्षेत्रों के ग्राहकों के लिए न्यूनतम औसत शेष राशि को पहले के ₹10,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दिया गया है। ये नियम 1 अगस्त, 2025 से प्रभावी होंगे। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 11 अगस्त को ICICI बैंक ने नॉन सैलरी अकाउंट के लिए मिनिमम अमाउंट बढ़ाने पर राय दी है। उनका इस कहना है कि " यह किसी भी नियामक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत" नहीं आता है।
हाल ही में, बैंक ने 1 अगस्त या उसके बाद खोले गए नए बचत खातों के लिए मिनिमम बैलेंस को पाँच गुना बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया है। आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहकों के लिए 31 जुलाई, 2025 तक बचत बैंक खातों में मीनिमम बैलेंस का दायरा 10,000 रुपये था।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में आम तौर पर कम बैलेंस रखने की अनिवार्यता होती है और अक्सर जन-धन खातों के लिए इसे माफ कर दिया जाता है। कई बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस रखने की अनिवार्यता को पूरी तरह से हटा दिया है और इसे न रखने पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाता है।
न्यूनतम बैलेंस में बढ़ोतरी का विरोध
बैंकिंग हितधारकों के हितों की वकालत करने वाले एक नागरिक समाज संगठन ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर आईसीआईसीआई बैंक के नए बचत खातों के लिए न्यूनतम औसत शेष (एमएबी) की जरूर बढ़ाने के निर्णय में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। संगठन ने कहा है कि ऐसा कदम सरकार के समावेशी बैंकिंग और विकास के दृष्टिकोण के लिए हानिकारक है।
वित्त सचिव को लिखे पत्र में 'बैंक बचाओ देश बचाओ मंच' ने बैंक के निर्णय को "अन्यायपूर्ण" करार दिया।
फोरम के संयुक्त संयोजक बिस्वरंजन रे और सौम्या दत्ता ने दावा किया, "यह प्रतिगामी निर्णय समावेशी बैंकिंग के सिद्धांत को कमजोर करता है।"
नागरिक समाज संगठन ने इस निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की तथा सरकार से जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने तथा व्यापक वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने की अपील की।
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