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    सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी, निवेश के लिए Gold, ETF या गोल्ड बॉन्ड में से कौन-सा है बेहतर विकल्प

    Updated: Tue, 30 Jul 2024 08:00 AM (IST)

    Gold vs. ETF vs. Gold Bonds सोने की कीमतों में बजट के बाद नरमी देखने को मिली है। निवेश के लिए गोल्ड काफी अच्छा ऑप्शन है पर सवाल आता है कि गोल्ड के किस रूप में हमें निवेश करना चाहिए। कहां हमें ज्यादा फायदा होगा। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड बॉन्ड में से आपके लिए कौन-सा ऑप्शन बेस्ट रहेगा।

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    Gold vs. ETF vs. Gold Bonds: कहां करें निवेश

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारत में सोना (Gold) खरीदाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा यह निवेश के लिए भी लोगों की पहली पसंद होती है। दरअसल, माना जाता है कि गोल्ड में बाकी इन्वेस्टमेंट ऑप्शन से ज्यादा रिटर्न मिलता है क्योंकि मंदी या महंगाई किसी भी समय में यह मजबूती के साथ पॉजिटिव रिटर्न देता है।

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    जून में जहां सोने की कीमतों में शानदार तेजी देखने को मिली थी। वहीं, यूनियन बजट (Union Budget 2024-25) के बाद सोने की कीमतों में नरमी आ गई। 23 जुलाई को पेश हो चुके आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने गोल्ड के आयात पर लगने वाले टैक्स को 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया है। इंपोर्ट ड्यूटी कम हो जाने की वजह से सोने की कीमतों में नरमी आई। भारत में गोल्ड का प्रोडक्शन नहीं होता है और यह दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड कंज्यूमर देश भी है, ऐसे में ड्यूटी टैक्स कम होने के कारण कीमतों में गिरावट आई।

    सोने की कीमतों में आई नरमी के बाद लोग कन्फ्यूजन में है कि वह ज्यादा से ज्यादा लाभ पाने के लिए गोल्ड के किस रूप में निवेश करें? इसका मतलब है कि वह फिजिकल गोल्ड (Physical Gold), ईटीएफ (Gold ETF) या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में से किसमें निवेश करें?

    ETF में कर सकते हैं निवेश

    शॉर्ट टर्म प्रॉफिट के हिसाब से गोल्ड ईटीएफ काफी अच्छा ऑप्शन है। इसमें निवेशक कभी भी अपनी इच्छा के हिसाब से पैसे निकाल सकता है। यानी कि निवेशक अपनी मर्जी से इसे खरीद या बेच सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ में फिजिकल गोल्ड की तुलना में कम पर्चेजिंग चार्ज लगता है और यह 100 फीसदी शुद्धता की गारंटी देता है।

    गोल्ड ईटीएफ में आप एसआईपी (SIP) के जरिये निवेश कर सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ की खास बात यह है कि लोन लेते वक्त इसे सिक्योरिटी के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

    फिजिकल गोल्ड है अच्छा ऑप्शन

    फिजिकल गोल्ड और डिजिटल गोल्ड की कीमत एकसमान रहती है। हालांकि, फिजिकल गोल्ड में चोरी या खो जाने का जोखिम बना रहता है। वहीं, डिजिटल गोल्ड में यह खतरा नहीं रहता है। इसके अलावा फिजिकल गोल्ड खरीदते वक्त कैरेट में धोखा खाने या नकली सोना का भी खतरा रहता है। अगर आपको गोल्ड ज्वेलरी पहनने का शौक है तब आप फिजिकल गोल्ड के ऑप्शन को सेलेक्ट कर सकते हैं।

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    अगर आप एक सुरक्षित और दीर्घकालिक निवेश चाहते हैं, तो *सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड* एक अच्छा विकल्प हो सकता है। वहीं, अगर आप लिक्विडिटी यानी आसानी से पैसे निकालने की सुविधा चाहते हैं, तो *गोल्ड ETF* सही रहेगा। *सोने के आभूषण* उन लोगों के लिए उपयुक्त हैं जो निवेश के साथ-साथ व्यक्तिगत उपयोग के लिए भी सोना खरीदना चाहते हैं।

    सिद्धार्थ मौर्य, फाउंडर एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, विभावंगल अनुकूलकारा प्राइवेट लिमिटेड

    सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भी है बेस्ट ऑप्शन

    लॉन्ग टर्म टेन्योर के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड काफी अच्छा ऑप्शन है। आपको बता दें कि इसमें 8 साल का लॉक-इन पीरियड होता है। यानी कि निवेश करने के 8 साल तक आप निकासी नहीं कर सकते हैं। हालांकि, इसमें मैच्योरिटी के बाद इनकम टैक्स बेनिफिट (Tax Benefit) मिलता है और 2.5 फीसदी का गारंटी रिटर्न मिलता है।

    अगर गोल्ड में निवेश करने का मन है लेकिन ज्यादा राशि नहीं लगाना चाहते हैं तब भी आप एसजीबी को चुन सकते हैं। आपको बता दें कि एसजीबी स्कीम भारत सरकार द्वारा शुरू की गई है। इसमें आपको कम से कम 1 ग्राम और अधिकतम 4 किलोग्राम तक का निवेश करने की अनुमति है।

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