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    अदाणी ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी ला रही है 25000 करोड़ का Rights Issue, डिस्काउंट पर मिलेंगे शेयर

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 04:03 PM (IST)

    अदाणी समूह की होल्डिंग कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज ने राइट्स इश्यू के जरिए 25,000 करोड़ रुपये जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कंपनी बोर्ड अगले चरण के इनक्यूबेशन को सपोर्ट देने, बैलेंस शीट को और मजबूत करने के लिए राइट्स इश्यू लेकर आ रहा है।

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    नई दिल्ली। अदाणी ग्रुप की होल्डिंग कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज ने राइट्स इश्यू के जरिए 25000 करोड़ रुपये जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कंपनी ने FY26 की दूसरी तिमाही के नतीजों में इसका ऐलान किया है। Q2 में अदाणी एंटरप्राइजेज का मुनाफा वन टाइम गैन के चलते 3,583 करोड़ रुपये रहा और सालाना आधार पर नेट प्रॉफिट में 84% की वृद्धि देखने को मिली। अदाणी समूह की सबसे प्रमुख कंपनी के बोर्ड ने अगले चरण के इनक्यूबेशन को सपोर्ट देने, बैलेंस शीट को और मजबूत करने के लिए राइट्स इश्यू के जरिए 25,000 करोड़ रुपये तक जुटाने को मंजूरी दे दी है।

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    वहीं, कंपनी का रेवेन्यू Q2FY26 में 6% घटकर 21,249 करोड़ रुपये रह गया, जबकि Q2FY25 में यह 22,608 करोड़ रुपये था। इन नतीजों और राइट्स इश्यू के ऐलान के बाद अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयर करीब 2 फीसदी की गिरावट के साथ 2419.80 रुपये पर बंद हुए हैं। आइये आपको बताते हैं राइट्स इश्यू क्या होता है और इससे निवेशकों को क्या फायदा होगा?

    क्या होता है राइट्स इश्यू

    दरअसल, राइट्स इश्यू किसी कंपनी के लिए अपने मौजूदा शेयरधारकों को डिस्काउंट प्राइस पर नए शेयर देकर पैसे जुटाने का एक तरीका है। इससे मौजूदा शेयरधारक बाजार मूल्य से कम कीमत पर शेयर खरीद सकते हैं, ऐसे में निवेशकों को भी फायदा होता है और कंपनी को अपने बिजनेस के विस्तार या अन्य कामों के लिए फंड मिल जाता है।

    आमतौर पर कंपनियां बिना मौजूदा कर्ज, क्षमता विस्तार, नए अधिग्रहण या अन्य किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए राइट्स इश्यू लेकर आती है। इससे फायदा यह होता है कि कंपनी को कोई नया कर्ज नहीं लेना पड़ता है और वह सीधे शेयरधारकों से पैसा जुटा लेती है।

    शेयर प्राइस पर  क्या असर होता है

    आमतौर पर राइट्स इश्यू शेयरों की कीमत के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं होते हैं। हालांकि, शेयरों पर इसके पॉजिटिव व नेगेटिव दोनों असर देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि, कंपनी की ओर से डिस्काउंट पर जारी किए जाने वाले नए शेयरों के कमजोर पड़ने से स्टॉक की कीमत में गिरावट आ सकती है। वहीं, अगर कंपनी राइट्स इश्यू के जरिए जुटाए जाने वाले फंड का उपयोग अपने डेवलपमेंट या वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए करती है, तो लॉन्ग टर्म में शेयरों की कीमत के लिहाज से यह बेहतर साबित हो सकता है।